पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के कल गुरुवार को चौकाने वाले नतीजे सामने आए है। जिसमें पश्चिम बंगाल का नाम भी शामिल है। यहां पर ममता बनर्जी ने जबर्दस्‍त वापसी की। सबसे खास बात तो यह तो यह है कि यहां पर करीब आठ लाख से अधिक मतदाताओं ने नोटा दबाया है। इससे उन्‍होंने यह जताने का प्रयास किया है कि सभी प्रमुख पार्टियों द्वारा उतारे गए उम्मीदवारों में से कोई भी उम्‍मीदवार उनकी उम्‍मीदों पर खरा नहीं उतर रहा है।


जीत का जश्न मनायाबंगाल में गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी की आंधी में वाम मोर्चा-कांग्रेस गठबंधन के साथ ही भाजपा व अन्य राजनीतिक पार्टियां तिनके की तरह उड़ गए। ममता बनर्जी का मैजिक लोगों के सिर चढ़ कर बोल रहा है। सभी जगहों पर जीत का जश्न मनाया जा रहा है। ममता बनर्जी इस ऐतिहासिक जीत के लिए राज्य में हुए विकास को श्रेय दे रही हैं। बावजूद इसके आठ लाख से अधिक मतदाताओं ने नॉन ऑफ द एवव (नोटा) दबा कर यह साबित कर दिया कि सभी प्रमुख पार्टियों द्वारा उतारे गए उम्मीदवारों में से उन्हें कोई भी पसंद नहीं है।पांच फीसद वोट मिला
कड़ी सुरक्षा घेरे में इस बार बंपर वोटिंग हुई, जिसमें सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को 44.9 फीसद, माकपा को 19.7 फीसद, कांग्रेस को 12.3 फीसद, भाजपा को 10.2 फीसद, फॉरवर्ड ब्लॉक को 2.8 फीसद, निर्दल को 2.2 फीसद, आरएसपी को 1.5 फीसद, सीबीआइ को 1.4 फीसद, एसयूसीआइ को सात फीसद और बीएसपी को पांच फीसद वोट मिला है। वहीं 1.5 फीसद यानी आठ लाख 30 हजार से अधिक मतदाताओं ने नोटा का बटन दबा कर स्पष्ट कर दिया कि उनके लिए कोई भी उम्मीदवार उपयुक्त नहीं है। चुनाव आयोग की आंकड़ों को मानें तो किसी-किसी विधानभा केंद्र के मतदाताओं ने सर्वाधिक पांच से दो हजार तक नोटा का बटन दबा कर उम्मीदवारों को लेकर अपनी असंतुष्टि जाहिर की है।

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Posted By: Shweta Mishra