आपदा में 80 लोगों की गई जान, 228.98 करोड़ का नुकसान
- आपदा प्रबंधन को स्टेट में एसडीआरएफ की 4 कंपनियाें की 48 टीमें हैं वर्किंग में।
- अभी तक स्टेट में एसडीआरएफ के जरिए हो चुके हैं 962 रेस्क्यू, बिहार व आंध्र प्रदेश स्टेट तक गई एसडीआरएफ की टीमें >DEHRADUN: सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्यूजडे को सचिवालय में आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक ली। अधिकारियों को निर्देश दिये कि आपदा की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों के लोगों विशेषकर युवाओं को आपदा प्रबंधन के लिए ट्रेंड किया जाए। यह प्रशिक्षण नियमित अंतराल में दिया जाय। रेस्क्यू के समय को और कम कैसे किया जा सकता है, इसके लिए प्रयास किये जाएं। 5 अक्टूबर तक करें आकलनसीएम ने कहा कि आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील स्थानों पर वैकल्पिक मागरें की व्यवस्था हो। यह भी सुनिश्चित हो कि जो नयी सड़कें बन रही हैं, उनमें रोड कटिंग सही तरीके से हो। आपदा से संबंधित विशेषज्ञों व एसडीआरफ के माध्यम से महिला एवं युवक मंगल दलों को प्रशिक्षित किया जाय। अर्थक्वैक की दृष्टि से सुरक्षित भवन निर्माण के लिए कैसी भवन शैली उपयुक्त हो, इसका भी अध्ययन किया जाय। सीएम ने निर्देश दिए कि इस मानसून सत्र में कुल कितनी वित्तीय क्षति हुई है। सभी विभाग इसका आकलन कर आपदा प्रबंधन को 5 अक्टूबर तक उपलब्ध कराएं। जिससे आपदा से हुई वित्तीय क्षति आकलन कर समय पर भारत सरकार को भेजा जा सके।
'प्रोजेक्ट आफ द ईयर' का विजेता घोषित पर खुशीसीएम ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाय कि आपदा की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में फॉरेस्ट रूट भी सही स्थिति में हो। फॉरेस्ट गार्ड्स को भी आपदा से निपटने के लिए ट्रेंड किया जाए। स्कूलों में स्टूडेंट्स को आपदा से निपटने के लिए सामान्य जानकारी हो, जिससे वे स्टूडेंट लाइफ से ही आपदा के प्रति अवेयर रहें, इसके लिए स्कूलों के टीचर्स को भी आपदा से निपटने के लिए ट्रेनिंग दी जाए। जिससे वे स्टूडेंट्स को इसके लिए अवेयर कर सकें। सीएम ने उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को प्रोजेक्ट मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट (पीएमआई) द्वारा मध्यम लागत परियोजनाओं में 'प्रोजेक्ट ऑफ द ईयर' का विजेता घोषित किये जाने पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने पीएमआई की 50वीं स्थापना वर्ष के संबंध में 20-21 सितंबर को हैदराबाद में आयोजित समारोह में उत्तराखंड को यह पुरस्कार मिलने पर संबंधित अधिकारियों को बधाई दी। यूईएपी परियोजना के तहत 1968 किमी सड़क, 272 किमी ट्रैक रूट, 27 हेलीपेड व हैगर, टूरिज्म संपत्तियों व 9 शहरों की पेयजल योजनाओं का निर्माण किया गया था। बैठक में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, यशपाल आर्य, सीएस उत्पल कुमार सिंह, एसीएस ओमप्रकाश, पीसीसीएफ जयराज, डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी आदि अधिकारी मौजूद रहे।
इस वर्ष लग जाएंगे डॉप्लर उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बताया कि मौसम से संबंधित सटीक जानकारियों के लिए इस वित्तीय वर्ष के आखिर तक मुक्तेश्वर व सुरकुंडा देवी में डॉप्लर रडार लगा दिए जाएगे। लैंसडाउन में तीसरे डॉप्लर रडार की स्थापना के लिए मौसम विभाग द्वारा सर्वेक्षण किया जा रहा है। - अभी तक 7766 महिला मंगल व 5968 युवा मंगल दलों को प्राकृतिक आपदाओं के लिए किया जा चुका है ट्रेंड। - मौसम संबंधित पूर्वानुमानों को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से भारत मौसम विज्ञान विभाग के सहयोग से राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में 107 स्वचालित मौसम स्टेशन की स्थापना। - 28 स्वचालित वर्षा मापी, 16 स्वचालित बर्फ मापी व 25 सतही मौसम वेधशालाओं की स्थापना की गयी। - राज्य में स्थापित किये गये अर्थक्वैक पूर्व चेतावनी तंत्र से प्राप्त चेतावनियों को प्रसारित किये जाने से पहले लोगों को इस संबंध में अवेयर करने को साईरनों के जरिए प्रसारित किये जाने की व्यवस्था होगी।- राज्य व जनपद आपातकालीन परिचालन केन्द्रों के अतिरिक्त हल्द्वानी व दून के शहरी क्षेत्र में 68 साईरनों की स्थापना हुई।
- आईआईटी रुड़की के द्वारा अर्थक्वैक की चेतावनी दिये जाने को तैयार किये गये मोबाईल एप्लीकेशन का किया जा रहा परीक्षण। - वैकल्पिक संचार व्यवस्था को तहसील स्तर तक 184 सेटेलाइट फोन की सुविधा उपलब्ध। मानसून सीजन में हुआ नुकसान - इस मानसून सीजन में आपदा से 80 लोगों की हुई मृत्यु - आपदा के कारण राज्य में 80 लोग हुए घायल। - आपदा से 385 छोटे व बड़े पशुओं की हुई हानि - 460 आंशिक व 212 का आधे से ज्यादा व 61 भवनों को पहुंचा नुकसान। - इस मानसून सत्र में अभी तक 228.98 करोड़ के नुकसान का आकलन। - जिसमें से 125.52 करोड़ रुपए से ज्यादा राज्य आपदा राहत कोष के मानकों से किया कवर। - आपदा प्रबंधन के लिए राज्य में एसडीआरएफ की 4 कंपनियाें की 48 टीमें हैं वर्किंग में। - अभी तक राज्य में एसडीआरएफ के जरिए हो चुके हैं 962 रेस्क्यू। - बिहार व आंध्र प्रदेश में भी एसडीआरएफ की टीम ने रेस्क्यू कार्य किया।