- एलयू के मनोविज्ञान विभाग में आयोजित हुआ, मेंटल हेल्थ फस्ट एड विषय पर कार्यक्रम

LUCKNOW : हमारा ध्यान सुसाइड को रोकने पर होना चाहिये क्योंकि हमारे देश की 79 प्रतिशत आबादी मध्यम निम्न सामाजिक आर्थिक स्तर वाली है। ऐसे देश आत्महत्या के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। अनुवांशिक, जैविक और सामाजिक जैसे विभिन्न कारक इंसान को आत्महत्या की ओर ले जाते हैं। इनमें अवसाद मुख्य कारण है जोकि आत्महत्या की ओर ले जाता है। अवसाद शराब के सेवन या किसी लंबी बीमारी से पैदा होता है। यह जानकारी विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर बुधवार को डॉ। शशि राय ने उर्दू विभाग में मेंटल हेल्थ फस्ट एड विषय पर आयोजित कार्यक्रम में दी। वह कार्यक्रम में बतौर चीफ गेस्ट बोल रही थीं।

पैरेंट्स अपने बच्चों को लेकर हैं परेशान

डॉ। शशि ने कहा कि मीडिया आत्महत्या जैसी खबरों का महिमामंडन करती है जोकि उचित नहीं है। डीन फैकल्टी ऑफ आर्ट प्रो। पीसी मिश्रा ने कहा कि पैरेंट्स इन दिनों अपने बच्चों को लेकर बहुत परेशान रहते हैं। उन्होंने कहा कि आज समय की मांग है कि हम सभी एकजुट हों और आत्महत्या के खिलाफ खड़े हों। उर्दू विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो। एपी नय्यर ने कहा कि मौत से बचने की तरकीब है कि जहन में जिंदा रहो। यह समय है युवाओं को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और आत्महत्या रोकने की दिशा में काम करना चाहिए। एमए तृतीय सेमेस्टर के छात्रों ने एक सामूहिक प्रयास किया और लखनऊ यूनिवर्सिटी के 100 छात्रों पर एक सर्वे किया। उन्होंने आत्महत्या के बारे में प्राचीन भारत के परिप्रेक्ष्य में समझाया। उन्होंने अपने सर्वेक्षण में कुछ चौंका देने वाले तथ्य प्रस्तुत किए। उन्होंने अपने सर्वेक्षण में बताया कि 80 प्रतिशत छात्रों के मन में कभी ना कभी आत्महत्या के विचार उत्पन्न हुए है। वहीं 20 प्रतिशत छात्रों ने आत्महत्या का प्रयास भी किया है। मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्षा प्रोफेसर मधुरिमा प्रधान ने आत्महत्या रोकने के उपाय के बारे में बताया। साथ ही कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में बताया।

Posted By: Inextlive