एंड्रायड को मार्केट में आए करीब एक दशक से ज्‍यादा हो चुका है। यह आज सबसे पॉपुलर ओएस बनकर यूजर्स को भा गया है। शुरुआत से लेकर अब तक एंड्रायड में काफी बदलाव आया है लेकिन इसके साथ ही यह काफी इंप्रूव भी होता गया। एंड्रायड का इतिहास काफी रोचक है। तो आइए जानते हैं इसके बारे में वो 10 बातें जो आपको कर देंगी शॉक्‍ड....

1. गूगल ने नहीं बनाया एंड्रायड :-
यह बहुत कम लोग जानते होंगे कि एंड्रायड को गूगल ने नहीं बनाया है। इसे 2003 में एंडी रुबिन, रिच मिनर, निक सीयर्स और क्रिस व्हॉइट ने मिलकर बनाया था। फाउंडर्स ने इसके बाद टी-मोबाइल से टाइ-अप कर लिया। हालांकि बाद में 2005 में गूगल ने इसका अधिग्रहण कर लिया और धीरे-धीरे यह ओएस स्मार्टफोन मार्केट में पॉपुलर होता चला गया।
2. फेल होने की थी आशंका :-
शुरुआत में जब एंड्रायड मार्केट में आया तो क्रिटिक्स को इसके पॉपुलर होने पर संदेह था। उस समय मार्केट में आईफोन, माइक्रोसॉफ्ट और ब्लैकबेरी का प्रभुत्व था। ऐसे में गूगल के लिए नए ओएस के साथ इंट्री करना आसान न था।
3. पहला एंड्रायड प्रोटोटाइप :-
ऐसा बहुत कम लोगों को पता होगा कि, आईफोन के अलावा पहला एंड्रायड फोन भी सबसे अलग दिखता था। 2007 में जो एंड्रायड फोन आया वह लगभग ब्लैकबेरी जैसा ही था। इसमें पोट्रेट कीबोर्ड, कॉल और एंड बटन, ट्रैक पैड और कोई टच स्क्रीन नहीं थी। एंड्रायड की डिजाइन को देखते हुए आईफोन ने एक बड़ा एनाउंसमेंट किया कि उनके फोन में कीबोर्ड नहीं होगा। यानी कि यह वह दौर था जब फुल टच स्क्रीन हैंडसेट की शुरुआत हुई।
4. क्या था पहले एंड्रायड वर्जन का नाम :-
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि, एंडायड के फर्स्ट वर्जन 1.0 का नाम कोई डिश पर नहीं रखा गया था। इसका नाम एल्फा या एस्ट्रो ब्वॉय था। हालांकि बाद में जब एंड्रायड 1.5 आया तो यह पहला ओएस वर्जन था जिसका नाम डेसर्ट पर रखा गया था। इसका नाम 'कपकेक' था। इसके बाद जितने भी वर्जन आए सबके नाम डेसर्ट पर ही रखे गए जैसे कि KitKat, Jelly Bean, Ice Cream आदि।
5. एंड्रायड 3.0 फोन पर नहीं किया रन :-
2015 में लॉन्च हुआ एंड्रायड का नया वर्जन सभी डिवाइसों जैसे कि फोन, टैबलेट और वॉचेज पर रन कर सकता है। लेकिन एंड्रायड का एक वर्जन ऐसा भी है जो कभी फोन पर रन नहीं करा। जी हां 2010 में जब मार्केट में टैबलेट पॉपुलर हो रहा था, तब एंड्रायड 3.0 ओएस लॉन्च हुआ था। उस समय टैबलेट की लोकप्रियता को देखते हुए यि ओएस सिर्फ टैबलेट के लिए ही बनाया गया था। इसका नाम Honeycomb था, हालांकि यह ज्यादा सक्सेस नहीं हो पाया।
6. पहले एंड्रायड डिवाइस में नहीं था ऑडियो जैक :-
2008 की शुरुआत में बिना की-बोर्ड का फोन लोगों को मजाक लगता था। क्योंकि उस समय ब्लैकबेरी के कीबोर्ड वाले फोन काफी चर्चित थे। ऐसे में जब एंड्रायड का पहला फोन T-Mobile G1 मार्केट में आया, तो इसमें स्लाइट कीबोर्ड था जबकि इसमें कोई आडियो जैक नहीं था।
7. एंड्रायड ने गूगल सीईओ को निकलवाया बाहर :-
गूगल और एप्पल के बीच शुरुआत में काफी दोस्ती थी। एप्पल अपने आईफोन में गूगल मैप्स और यू-ट्यूब एप्स का इस्तेमाल करता था। लेकिन धीरे-धीरे समय बीतता गया और जब मार्केट मे आगे निकलने की होड़ मच गई तो इन दोनों के बीच दूरियां बढ़ती गईं। यही नहीं एंड्रायड का व्यापक प्रयार देख उस समय के गूगल सीईओ एरिक स्िमिदित को इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा।

8. WebOS लेने आया था कड़ी टक्कर :-

एंड्रायड की शुरुआत में जब यूजर्स इसके आदी नहीं हुए थे, तो एक WebOS नाम का ऑपरेटिंग सॉ्फ्टवेयर मार्केट में आया था। लेकिन यह एंड्रायड से टक्कर नहीं ले पाया।
9. सोनी ने बनाई पहली एंड्रायड स्मार्टवॉच :-
आपने 2014 में ही एंड्रायड स्मार्टवॉच के बारे में सुना होगा, लेकिन सोनी ने 2010 में ही पहली एंड्रायड ओएस वाली वियरेबल स्मार्टवॉच बना ली थी।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari