GORAKHPUR: कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर मंगलवार को सूर्योपासना का महापर्व छठ शहर में परंपरागत श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया गया। महिलाओं ने सारा दिन व्रत रखा और सायंकाल 5.25 बजे अस्ताचलगामी सूर्य को प्रथम अ‌र्घ्य देकर पति व पुत्र के लिए मंगल कामना की। बुधवार सुबह अरुणोदय कालीन अ‌र्घ्य सुबह 6.36 बजे दिया गया।

दोपहर बाद शुरू हो गई घाटों पर भीड़

व्रती महिलाओं ने मंगलवार सुबह से ही तालाबों, कुंडों व नदी तट पर जाने की तैयारियां शुरू कर दी थीं। पूजा में प्रयुक्त होने वाले प्रमुख सामानों जैसे बांस की टोकरी, ईंख, गागरनीबू, नारियल पत्ते वाली हल्दी, टेकुआ आदि को एकत्र कर महिलाओं ने दोपहर होते-होते अपने परिजनों के साथ सूर्यदेव को अ‌र्घ्य देने के लिए जाना प्रारंभ कर दिया। शाम होते-होते बाजे-गाजे के साथ सिर पर पूजा का सामान रखे व्रती महिलाओं की भीड़ से शहर भगवान भास्कर की भक्ति में डूब सा गया। भजन व छठ गीत गाती ये महिलाएं गोरखनाथ मंदिर, असुरन स्थित विष्णु मंदिर, सूर्यकुंड धाम, राप्ती नदी, शंकर घाट बसंतपुर, महेसरा पुल हनुमान गढ़ी, लालडिग्गी आदि की ओर बढ़ी चली जा रही थीं। सायंकाल सूर्यास्त के समय व्रती महिलाओं ने अस्ताचलगामी सूर्य देव को प्रथम अ‌र्घ्य दिया। हजारों की संख्या में उपस्थित महिलाओं ने घुटने तक पानी में खड़े होकर पूजा-अर्चना की तथा सजे-धजे सूपों को हाथ में लेकर सूर्यदेव को अ‌र्घ्य दिया। पंडितों या साथ में आए पतियों ने महिलाओं को अ‌र्घ्य दिलाया। उसके बाद महिलाओं ने सूपे को जल से छुआ परिक्रमा की। पूजन के दौरान संपूर्ण वातावरण छठ मइया एवं सूर्यदेव की जय-जयकार से गुंजायमान रहा।

व्रतियों ने शाम को दिया प्रथम अ‌र्घ्य

गोरखनाथ मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ दोपहर बाद ही जुटनी शुरू हो गई थी। शाम यहां बड़ी संख्या में व्रती महिलाओं ने सूर्य को अ‌र्घ्य दिया। त्रेतायुगीन ऐतिहासिक व पौराणिक सूर्यकुंड धाम पर घर वालों के साथ बाजे-गाजे के बीच व्रती महिलाओं के पहुंचने का क्रम शाम तक जारी रहा। सायंकाल सूर्यास्त के समय महिलाओं ने सूर्यदेव को अ‌र्घ्य दिया और असंख्य दीपों की रोशनी से सूर्यकुंड धाम जगमगा उठा। राप्ती तट पर भी हजारों महिलाओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को प्रथम अ‌र्घ्य दिया। इसके साथ ही अ‌र्घ्य देने वाले प्रत्येक स्थान जैसे रामगढ़ताल, असुरन स्थित विष्णु मंदिर, हनुमानगढ़ी स्थित हनुमान घाट, शंकर घाट बसंतपुर तकिया, महेसरा पुल स्थित माता बामंत एवं दुर्गा मंदिर, सर्वोदय नगर बिछिया स्थित मां दुर्गा मंदिर, बिलंदपुर स्थित मां दुर्गा मंदिर, गोलघर काली मंदिर के निकट आदि पर भी सुबह से ही मेले जैसा महौल बना रहा। बुधवार सुबह महिलाओं ने सूर्यदेव को द्वितीय अ‌र्घ्य देकर इस कठिन व्रत का समापन किया।

Posted By: Inextlive