रणजी ट्रॉफी में पहली बार डीआरएस का इस्तेमाल होने जा रहा है। शनिवार को सौराष्ट्र बनाम गुजरात के बीच जब सेमीफाइनल मुकाबला खेला जाएगा उस मैच में डीआरएस का उपयोग किया जा सकेगा।

राजकोट (पीटीआई)। शनिवार को सौराष्ट्र बनाम गुजरात के बीच खेले जाने वाले रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल मैच में डीआरएस का इस्तेमाल किया जाएगा। टीमों को प्रति पारी चार रेफरल दिए जाएंगे लेकिन तकनीक में हॉक आई और अल्ट्रा एज नहीं होंगे। सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन ने मंगलवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "रणजी ट्रॉफी में पहली बार, अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम (डीआरएस) पेश किया जा रहा है। रणजी ट्रॉफी 2019-20 के सेमीफाइनल मैचों और फाइनल मैच में डीआरएस सिस्टम होगा।" पिछले हफ्ते, बीसीसीआई के महाप्रबंधक क्रिकेट सबा करीम ने कहा था कि डीआरएस का सीमित उपयोग हमेशा रणजी ट्रॉफी के सेमीफाइनल के लिए किया गया था न कि नॉकआउट चरणों से।

क्यों लिया गया डीआरएस का फैसला

सीमित डीआरएस लागू करने का फैसला अंपायरों द्वारा पिछले सत्र के कुछ नॉकआउट खेलों में गलतियों को करने के बाद लिया गया था। जारी रिलीज में कहा गया है, 'खंडेरी के एससीए स्टेडियम में आयोजित सेमीफाइनल मैच में प्रत्येक पारी में, प्रत्येक टीम को अधिकतम चार खिलाड़ी की समीक्षा करने की अनुमति दी जाएगी। जहां एक खिलाड़ी के रिव्यू के परिणाम के लिए ऑन-फील्ड निर्णय के मूल परिणाम को उलट दिया जा रहा है, तो प्लेयर रिव्यू को सफल माना जाएगा और उसकी गिनती नहीं की जाएगी।'

नॉकआउट स्टेज में डीआरएस जरूरी

सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष जयदेव शाह ने रणजी ट्रॉफी में डीआरएस होने के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि विजय हजारे और सैयद मुश्ताक अली के साथ रणजी ट्रॉफी भारत के घरेलू कैलेंडर की सबसे बड़े टूर्नामेंट हैं और इन टूर्नामेंटों के कम से कम सेमीफाइनल और फाइनल में डीआरएस का उपयोग किया जाना चाहिए। बता दें रणजी सेमीफाइनल में सौराष्ट्र छठवीं बार खेल रहा है। वहीं इस घरेलू चैंपियनशिप का दूसरा सेमीफाइनल कर्नाटक और बंगाल के बीच खेला जाएगा।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari