यमुना एक्सप्रेस वे पर मथुरा के पास गुरुवार सुबह एयरफोर्स के एक लडा़कू विमान का ट्रायल रन कराया गया.सुबह 6.45 बजे यमुना एक्सप्रेस वे पर विमान मिराज 2000 को दो बार टचडाउन कराया गया. यानी सेना का यह विमान सड़क को छूकर फिर से उड़ गया.देश में ऐसा प्रयोग पहली बार किया गया है और इस दौरान एक्सप्रेस वे को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था. वायु सेना के विमान उतारे जाने के बाद यमुना एक्सप्रेस वे पर एयरफोर्स का हेलिकॉप्टर भी उतारा गया.


लड़ाकू विमान भी उतर सकेंगे: इस एक्सरसाइज के दौरान बड़ी संख्या में एयरफोर्स के अफसर भी मौजूद थे.मिराज-2000 के टचडाउन से पहले वायुसेना के एक हेलिकॉप्टर ने कई चक्कर भी लगाए. दरअसल यूपी सरकार की ओर से यमुना एक्सप्रेस वे की तरह ही ताज एक्सप्रेस का निर्माण भी किया जा रहा है, जो लखनऊ से आगरा को जोड़ेगा.विमान की लैंडिंग यह जांचने के लिए की गई कि आपात स्थिति में एक्सप्रेस वे पर विमान उतर सकते हैं या नहीं.अब उत्तर प्रदेश में 13 हजार करोड़ की लागत से बन रहे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर आपात स्थिति में लड़ाकू विमान भी उतर सकेंगे. यह देश का पहला एक्सप्रेस-वे होगा, जिसे एयर स्ट्रिप की तरह इस्तेमाल किया जा सकेगा.क्यों उतारे जाते हैं लड़ाकू विमान:
राजमार्ग पट्टी या सड़क रनवे हाईवे का एक रूप है जिसे सेना के विमान को उतारने की अनुमति देने और सैन्य हवाई ठिकानों के रूप में सेवा के लिए बनाया जाता है. यह सैन्य विमानों को उड़ाने की अनुमति देने और युद्ध में दुश्मनों के सबसे कमजोर लक्ष्य को भेदने के लिए वायु सेना के कैंप की मदद के लिए बनाया जाता है.द्वितीय विश्वयुद्ध के समय:


सड़क रनवे सबसे पहले नाजी जर्मनी में द्वितीय विश्व युद्ध के अंत समय में बनाया गया था. इसे रैसैतोबा प्रणाली द्वारा और अच्छी तरह से विकसित किया गया और विमानों को सड़कों का इस्तेमाल करने को कहा गया. शीत युद्ध के दौरान सड़क रनवे को और व्यवस्थित ढंग से बनाया गया.जर्मनी, उत्तर कोरिया, चीन गणराज्य (ताइवान), स्वीडन, फिनलैंड, स्विट्जरलैंड, पोलैंड और चेकोस्लोवाकिया में सड़क के दोनों ओर लोहे के पर्दे लगाए गए.कैसा होता है सड़क रनवे:  

सड़क रनवे आमतौर पर हाईवे पर दो से 3.5 किलोमीटर लंबा बनाया जाता है, ताकि विमान सड़क की चौड़ाई का पूरा इस्तेमाल कर सके. इसके लिए सड़क का वह हिस्सा बिल्कुल सीधा और समतल होना चाहिए. इसके अलावा सड़क के नीचे की जमीन धंसने वाली नहीं होनी चाहिए और उस पर कोई ढलान भी नहीं होना चाहिए. जहां रनवे बनाना है वहां सड़क की चौड़ाई सड़क के बाकी हिस्सों से ज्यादा होनी चाहिए. सड़क के दोनों ओर बिजली के खंभे, मोबाइल फोन टॉवर नहीं होने चाहिए. सड़क के दोनों ओर इतनी जगह और व्यवस्था होनी चाहिए जिससे वहां फाइटर प्लेन को गाइड करने के लिए पोर्टेबल लाइटिंग सिस्टम लगाए जा सकें. सड़क पर डिवाइडर ऐसे हों जिन्हें तुरंत निकाला जा सके. इसके अलावा एयरबेस की सारी सुुविधाओं को यहां आसानी से बनाया जा सकता है. सड़क रनवे ऐसा होना चाहिए जो 24 से 48 घंटों में सड़क मार्ग से सड़क रनवे में बदला जा सके. सड़क पर एक भी गंदगी नहीं होनी चाहिए, ताकि विमान को आसानी से लैंड कराया जा सके.किनदेशों में हो चुका सड़क रनवे: 21 मई 2015 को भारत में सड़क रनवे का इस्तेमाल पहली बार किया गया है. जबकि कई ऐसे देश हैं जहां इसका इस्तेमाल हो चुका है. भारत से पहले इसका इस्तेमाल, सिंगापुर, स्वीडन, फीनलैंड, जर्मनी, पोलैंड, चीन गणराज्य (ताइवान) कर चुके हैं. इसके अलावा पाकिस्तान भी इस मामले में भारत से आगे हैं.फिलहाल पाकिस्तान के पास ऐसे दो सड़क रनवे हैं जिसका इस्तेमाल वो युद्ध के दौरान आपात स्थिति में कर सकता है. पाकिस्तान का पहला सड़क रनवे एम -1 है जो कि पेशावर से इस्लामाबाद हाईवे पर बनाया गया है.दूसरा एम-2 इस्लामाबाद-लाहौर हाइवे पर बनाया गया है.

Hindi News from India News Desk

Posted By: Shweta Mishra