यह बात सुनने में आपको बहुत अजीब और चौंकाने वाली लग सकती है कि एक इंसान अपने खून से लाखों बच्चों की जान भला कैसे बचा सकता है। पर ऑस्ट्रेलिया के जेम्स हैरिसन के मामले में यह बात पूरी तरह सच साबित होती है। तभी तो लाखों बच्चे अपनी जिंदगी के लिए उनके शुक्रगुजार हैं। आखिर जेम्स के खून में ऐसी क्या खास बात है?

कानपुर। विज्ञान की मानें तो कोई भी स्वस्थ व्यक्ति द्वारा किए गए एक ब्लड डोनेशन से तीन जिंदगियों को बचाया जा सकता है या फिर कहें कि प्लाज्मा डोनेशन से 18 लोगों की जान बचाई जा सकती है, लेकिन आस्ट्रेलिया के रहने वाले 81 साल के बुजुर्ग जेम्स हैरिसन ने पूरी जिंदगी में अपने खून से करीब 2.4 मिलियन बच्चों की जान बचाई है। सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड (smh.com.au) ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि इस चमत्कार के पीछे है उनके खून की एक ऐसी खासियत, जो पूरी दुनिया में बहुत ही दुर्लभ है। दरसल जेम्स के खून में एक खास तरह की यूनीक एंटीबॉडी मौजूद है, जिसे Anti-D के नाम से जाना जाता है। यह एंटीबॉडी गर्भ में पल रहे तमाम बच्चों को ब्रेन डैमेज या फैटल अनीमिया वाली खतरनाक बीमारी (HDN) से लड़ने की ताकत देती है। तभी तो जेम्स के ब्लड डोनेशन से ऑस्ट्रेलिया में लाखों बच्चे जो शायद गर्भ में ही दम तोड़ देते, लेकिन आज वह एक सेहतमंद जिंदगी जी पा रहे हैं।

 

जेम्स पिछले 60 सालों में कर चुके हैं 1173 बार ब्लड डोनेशन

यह यह भी एक चौंकाने वाला आंकड़ा है कि इस इंसान ने अपनी जिंदगी में करीब 1200 बार अपना खून दान किया है। इतने बार खून दान करने वाले जेम्स को ऐसा करके कमजोरी नहीं बल्कि वो खुशी मिलती थी जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है।

 

पूरे ऑस्ट्रेलिया में Anti-D एंटीबॉडी दवा की हर खुराक बनी है जेम्स के खून से

1960 के दशक में जब Anti-D एंटीबॉडी की पहली बार खोज हुई थी, तब तक SDM नाम की यह बीमारी ऑस्ट्रेलिया में हर साल हजारों बच्चों को पैदा होने से पहले ही निगल जाती थी। डॉक्टरों के मुताबिक जब Rh negative ब्लड ग्रुप वाली महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे का ब्लड ग्रुप Rh पॉजिटिव हो, तो एक ऐसी बीमारी पैदा होती है, जिसके चलते, गर्भ में पल रहे बच्चे का मिसकैरेज, ब्रेन डैमेज और खतरनाक एनीमिया जैसे लक्णों के कारण उसकी मौत हो जाती थी। newsweek.comके मुताबिक वैज्ञानिकों ने पहली बार यह पता लगाया कि Rh negative ग्रुप वाली महिला को अगर RhD immunoglobulin एंटीबॉडी की डोज दे दी जाए, तो यह एंटीबॉडी बच्चे को बिना नुकसान पहुंचाए उसे सेहतमंद बनाए रखती है। जेम्स हैरिसन को यही तो वरदान मिला है, कि उनके खून में RhD-negative और Rh+ antibodies का दुर्लभ कॉन्बिनेशन मौजूद है तभी तो वह SDM बीमारी के इलाज के लिए एक आइडियल डोनर हैं। ऑस्ट्रेलिया की रेडक्रॉस ब्लड सर्विस के मुताबिक साल1964 से लेकर अबतक जेम्स की वजह से गर्भ में पल रहे करीब 24 लाख बच्चों की जान बचाई जा सकी है।

 

There's something special about James' blood: it helped save 2.4 million babies https://t.co/J0zJGMYpWn | @Kaubo

— The Sydney Morning Herald (@smh) May 11, 2018 

इसी फ्राइडे को जेम्स हैरिसन ने आखिरी बार किया ब्लड डोनेट

यूं तो ऑस्ट्रेलिया की कोई भी गर्भवती महिला जिसका बच्चा SDM बीमारी से पीड़ित है वह नहीं चाहेगी कि जेम्स अपना खून दान करना बंद कर दें, लेकिन डॉक्टरों के मुताबिक मिस्टर हैरिसन अपनी ब्लड डोनेशन की ऐज पूरी कर चुके हैं। अब अगर उनसे आगे भी ब्लड डोनेशन कराया गया तो यह उनके शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक साबित हो सकती है। आखिरी बार ऑस्ट्रेलिया के एक हॉस्पिटल में ब्लड डोनेशन करने आए जेम्स हैरिसन चारो ओर से तमाम महिलाओं से घिरे हुए थे। इन सभी की गोद में उनके बच्चे थे जो जेम्स द्वारा दान किए गए एंटीबॉडीज की मदद से जिंदा बच पाए थे। जेम्स हैरिसन को भी इस बात का दुख है कि अब वो अपना खून दान नहीं कर सकते, फिर भी उन्हें इस बात की बहुत खुशी है और वो यह सोच कर काफी भावुक हो जाते हैं कि उनकी वजह से देश के लाखों अजन्मे बच्चे सही सलामत इस दुनिया में आ सके।

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Posted By: Chandramohan Mishra