प्रतिभा उम्र और शिक्षा की मोहताज नही होती है। हुनर लोगों के अंदर बसता है अगर किसी मे कुछ कर गुजरने की चाह है तो दुनिया की कोई ताकत उसे रोक नही सकती है। कुछ ऐसा ही हुआ एक युवक के साथ जब उसने कक्षा पांच से ही अपनी पढ़ाई छोड़ कर काम करना शुरु कर दिया। जब वो बड़ा हुबा तो काम सीखने के लिए विदेश चला गया। विदेश मे कई सालों तक काम सीखने के बाद अपने गांव लौट कर उसने इंजीनियरिंग का एक ऐसा नमूना खड़ा किया जिसे देखने के लिए दूर-दूर से इजीनियर आते हैं।


हमीद ने बनाया मूविंग हाउसहम बात कर रहे हैं तमिलनाडु के मेलापुदुवक्कुदी गांव मे रहने वाले 65 वर्षीय मोहम्मद सहुल हमीद की जिन्होंने अपने सपने को सच करने के लिए क्या कुछ नही किया। आर्थिक स्थिती ठीक ना होने के चलते हमीद ने कक्षा पांच के बाद स्कूल छोड़ दिया और काम करने लगे। हमीद को घर बनाने का शौक था इसलिए उन्होंने कंस्ट्रेशन लाइन मे अपना कॅरियर बनाने की सोची। जब हमीद बड़े हुए तो वो काम सीखने के लिए दुबई चले गये। 20 सालों तक दुबई मे रहकर घर बनाने की ढेरों टेक्नालॉजी सीखीं। 20 साल बाद गांव लौटने पर हमीद ने एक ऐसा घर बनाया जो मूव कर सकता है। इसे मूविंग टाइप हाउस कहा जाता है। इसे प्री फैब्रिकेटेड संरचना कहा जाता है।आयरन रोलर्स पूर होता है मूव
जब हमीद ने ऐसा घर बनाने की बात अपने दोस्तों और परीवार के सामने रखी तो सब उनका मजाक उड़ाने लगे। हमीद ने इस मूविंग हाउस को बनाने के लिए राफ्ट फाउंडेशन टेक्नॉलाजी का प्रयोग किया। 25 लाख रुपये मे तैयार उनका ये प्रोजेक्ट तमिलनाडु के मेलापुदुवक्कुदी गांव में 1080 स्क्वायर फीट जमीन पर खड़ा है। इस घर में ग्राउंड फ्लोर पर तीन और फर्स्ट फ्लोर पर 2 बेडरूम्स हैं। फर्स्ट फ्लोर को आयरन रोलर्स की मदद से इधर-उधर किया जा सकता है। हमीद ने बताया कि मैं कुछ नया करना चाहता था इसलिए मैंने ये मूविंग हाउस बनाकर सबको गलत साबित कर दिया। इस अनोखे निर्माण से प्रभावित होकर राज्य के विभिन्न जगहों से इंजीनियर हमीद का घर देखने आते हैं।

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Posted By: Prabha Punj Mishra