GORAKHPUR:

चावल, आम, अरहर व गेहूं के विभिन्न प्रजातियों के जीन की सरंचना से न सिर्फ अच्छी फार्मिग कर सकते है। बल्कि फार्मिग करने वालों को इसके बारे में यूज होने वाले टूल एंड टेक्निक्स के बारे में भी जानकारी दे सकते हैं। फार्मिग के इस प्रोसेज को अपनाने से मार्डन टेक्नोलॉजी से लैस फार्मिग को बढ़ावा और स्टार्ट अप में भी मदद मिल सकता है। इन तमाम पहलुओं पर रिसर्च भी शुरू हो चुके हैं। यह बात डीडीयूजीयू के बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट में शुक्रवार से शुरू हुए दो दिवसीय नेशनल सेमिनार के उद्घाटन सेशन में प्रो.नागेंद्र कुमार सिंह ने बतौर चीफ गेस्ट कही।

टीचर्स व स्टूडेंट्स ने पूछे सवाल

वहीं वीसी ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और इसके विकास के लिए नई पर्यावरणीय प्रतिरोधी प्रजाति को विकसित करने की आवश्यकता है। इस दौरान स्टूडेंट्स व टीचर्स द्वारा पूछे गए क्वेश्चन के आंसर भी दिए गए। इस प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डॉ। बीएन सिंह, अध्यक्ष सेंटर फॉर रिसर्च एंड डेवलपमेंट एवं सह अध्यक्षता माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट की कोऑर्डिनेटर प्रो। पूजा सिंह ने किया। द्वितीय सत्र में किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ के प्रो। शैलेन्द्र सक्सेना ने एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशियेंसी सिंड्रोम पर अपने आडविक अध्ययन को लेकर जानकारी दी। दूसरे व्याख्यान में राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के बायोकेमिस्ट्री विभाग की प्रो। नीलम पाठक ने पौधों के विकास में जीवाणुओं के महत्व पर चर्चा की। द्वितीय तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रो। केडीएस यादव एवं सह अध्यक्षता प्रो। बीके सारंगी ने किया।

पानी के प्रदूषण को कम करेगा मेटाजेनोमिक्स

पर्यावरण संस्थान नेशनल, एन्वॉयर्नमेंटल इंजीनियरिंग एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट, नागपुर के सीनियर साइंटिस्ट डॉ। हेमंत पुरोहित ने बताया कि सूक्ष्म जीवों का उपयोग पानी के प्रदूषण को कम करने में मेटाजेनोमिक्स पर आधारित रिसर्च में किया जाता है। विज्ञान के क्षेत्र में मेटाजेनोमिक्स एक आधुनिक क्षेत्र के रूप में विकसित हो रहा है। इससे प्रकृति में कुल सूक्ष्म जीवों का केवल 5 प्रतिशत के बारे में ही हमें पता है। जबकि 95 प्रतिशत के बारे में जानने में मेटाजेनोमिक्स बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है।

जीवाणुओं के उत्पादन पर किया चर्चा

बाक्स में

वीसी ने किया उद्घाटन

डीडीयूजीयू के बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट में दो दिवसीय नेशनल सेमिनार का शुभारंभ वीसी प्रो। वीके सिंह व चीफ गेस्ट प्रो। नागेंद्र कुमार सिंह ने दीप प्रज्जवलन एवं सरस्वती वंदना के साथ किया। प्रोग्राम के संयोजक एचओडी प्रो। शरद कुमार मिश्रा, आयोजन सचिव प्रो। दिनेश यादव एवं प्रो। राजर्षि गौर रहे। डिपार्टमेंट के एचओडी व सेमिनार के संयोजक प्रो। शरद कुमार मिश्रा ने सभी का वेलकम किया। आयोजन सचिव प्रो। दिनेश यादव ने सेमिनार की रूपरेखा रखी।

कोट्स

बायोटेक्नॉलाजी डिपार्टमेंट में शुरू हुए नेशनल सेमिनार के पहले दिन बहुत सी जानकारियां मिली। जो हमारे स्टडी में काम आएंगी। फार्मिग के अलावा बीमारियों के बारे में भी जानकारी मिली।

उर्वशी, बायोटेक स्टूडेंट

कृषि प्रधान देश में नई पर्यावरणीय प्रतिरोधी प्रजाति की जानकारी दी गई। जो हमारे लिए महत्वपूर्ण है।

उम्मे यासमीन, बायोटेक स्टूडेंट

डॉ। हेमंत पुरोहित सर द्वारा सूक्ष्म जीवों के उपयोग से पानी के प्रदूषण को कम करने के जो टिप्स दिए उससे काफी हद तक कांसेप्ट क्लियर हो गया।

अवंतिका शुक्ला, बायोटेक स्टूडेंट

साइंस के फील्ड में मेटाजेनोमिक्स एक आधुनिक क्षेत्र के रूप में विकसित हो रहा है। इस पर रिसर्च संबंधित जानकारी प्राप्त हुई।

प्रतिभा गौतम, बायोटेक स्टूडेंट

Posted By: Inextlive