GORAKHPUR: महाराणा प्रताप महिला पीजी कॉलेज व महाराणा प्रताप कन्या इंटर कॉलेज, रमदत्तपुर के संयुक्त सहयोग में राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में 'महिला शिक्षा व महन्त अवेद्यनाथ' सब्जेक्ट पर सेमिनार का आयोजन किया गया। चीफ गेस्ट डीडीयूजीयू एजुकेशन डिपार्टमेंट की एक्स एचओडी प्रो। शैलजा सिंह रही।

उन्होंने कहा कि भारत में नारी सम्मान और नारी शिक्षा वैदिक कालीन परम्परा है। मनु के ये विचार 'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते' रमन्ते तत्र देवता निश्चित रूप से नारी के गरिमा को सूचित करता है। प्राचीन भारत में घोषा, लोपामुद्रा, उर्वशी, गार्गी आदि जैसी अनेक विदुषी महिलाएं हुई। जिन्होंने शिक्षा तथा अध्यापन के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया। उन्होंने बताया कि ब्रह्मलीन अवेद्यनाथ एक सच्चे राष्ट्रवादी संत तथा भारतीय संस्कृति के ध्वज वाहक ही नहीं बल्कि भारतीय सांस्कृतिक परंपराओं के पुनरूद्धार के भी हिमायती थे।

संयुक्त प्रयास से होता है राष्ट्र की उन्नति

अध्यक्षीय उद्बोधन में दिग्विजयनाथ पीजी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। शैलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि ख्क्वीं सदी वैश्रि्वक स्तर पर महिला सशक्तीकरण की सदी है और महाराज जी पूर्व में ही इस विचारधारा को अपनाकर महिलाओं के उत्थान के लिए अनेक प्रयास किया। कहा कि स्त्री और पुरूष समानरूपी रथ में दो पहिये है। इनके संयुक्त प्रयास से ही परिवार, समाज तथा राष्ट्र की उन्नति होती है।

सेमिनार की प्रस्ताविकी तथा अतिथियों का स्वागत प्रिंसिपल डॉ। सरिता सिंह ने किया। संचालन डॉ। सोनी कुमारी तथा आभार ज्ञापन डॉ। सुषमा श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम में वन्दना त्रिपाठी, डॉ। मांगलिका, डॉ। ममता आदि मौजूद थे।

Posted By: Inextlive