- अब चिडि़याघर में नहीं रहेगा माला हाथी, दो साल बाद दिखेगा चिडि़याघर में हाथी का जोड़ा

- प्रॉपर बाड़ा नहीं होने से चिडि़याघर एडमिनिस्ट्रेशन को लेना पड़ा डिसिजन

PATNA: पटना में स्थित संजय गांधी जैविक उद्यान को पहले से बेहतर करने की योजनाएं लगातार बनाई जा रही हैं। इतना ही नहीं जू वे गिने चुने चिडि़यारघरों में शामिल है जहां शेर संरक्षण एरिया परियोजना शुरू की गई है। बावजूद यहां जानवरों का हाल बेहाल है। दरअसल, जू की प्रसिद्ध माला हाथी अब अब यहां पर नहीं रहेगी। जू एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि उद्यान में हाथी को रखने की व्यवस्था सही नहीं हो पा रही है। बाड़े में फैसिलिटी सही मायने में नहीं होने की वजह से यह फैसला लिया गया है। इस वजह से हाथी को वाल्मिक नगर जू में भेजा जा रहा है। क्978 में सोनपुर मेले से इस हाथी को खरीदकर लाया गया था।

दूर से आते हैं पब्लिक

पटना का दिल माना जाने वाला और क्भ्,ख्9भ् एकड़ में फैले इस उद्यान में क्ख्00 से अधिक जानवर हैं जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। सुबह सबेरे कई लोग हाथी को प्रणाम करते भी दिख जाते हैं। विष्णु के गजराज के रूप में लोगों की बड़ी आस्था हाथी के प्रति है। बच्चों के लिए यह आकर्षण का केन्द्र माना जाता था।

बाड़े की हालत खस्ता

असम, लखनऊ सहित कई ऐसे चिडि़याघर हैं जहां हाथियों के लिए न्यू टेक्निॉलजी का अत्याधुनिक बाड़ा बनाया गया है। जहां वे बिना जंजीरों के प्राकृतिक वातावरण में पूरी आजादी के साथ घूम फिर सकते हैं। लेकिन पटना में हाथी के बाड़े की हालत जर्जर ह,ै यही वजह है कि अब यहां के चिडि़याघर में एक मात्र माला हाथी नहीं रखा जा रहा है।

दो साल बाद दिखेगा

जू के डायरेक्टर एस। चंद्रशेखर का कहना है कि हाथी को रखने के लिए व्यवस्था नहीं बन पा रही थी इस वजह से यह डिसिजन लिया गया है। हालांकि बिहार गवर्नमेंट और सेंट्रल जू ऑथॉरिटी से समस्या के बारे में बात हो चुकी है, बहुत जल्द ही अत्याधुनिक बाड़े बनाए जाएंगे और दो साल बाद हाथी का जोड़ा लाया जाएगा।

डायरेक्टर से सीधी बात

सवाल- चिडि़याघर से हाथी को कहां भेजा जा रहा है?

जवाब- हम लोग पश्चिम चम्पारण के वाल्मिक नगर में भेज रहे हैं इस हाथी को।

सवाल- हाथी को यहां से क्यों भेजा जा रहा है?

जवाब- हाथी के लिए सही मायने में बाड़े नहीं हैं। इस वजह से यह डिसीजन लिया गया।

- एस चद्रंशेखर, डायरेक्टर, चिडि़याघर।

Posted By: Inextlive