सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मुंबई के आरे में मेट्रो कार शेड की स्थापना के लिए अधिकारियों को पेड़ों को काटने से रोक दिया।


नई दिल्ली (पीटीआई)। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और अशोक भूषण की एक विशेष पीठ ने कहा कि उसे पूरी बात की जांच करनी होगी और मामले को अपनी फॉरेस्ट बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए 21 अक्टूबर की तारीख दी है।गिरफ्तार लोगों की रिहाई पीठ ने कहा, 'अब कुछ मत काटो।' पेड़ों की कटाई का पर्यावरण कार्यकर्ताओं और स्थानीय निवासियों द्वारा विरोध किया जा रहा है। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि यदि पेड़ों की कटाई का विरोध करने के लिए गिरफ्तार लोगों को व्यक्तिगत बॉन्ड प्रस्तुत करने के पर रिहा किया जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने पीठ को बताया कि आरे में पेड़ काटने के विरोध में गिरफ्तार सभी लोगों को रिहा कर दिया गया है।केस तय होने तक कटाई नहीं


महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रस्तुत किया कि उन्हें सभी रिकॉर्ड की जानकारी नहीं है और पीठ को आश्वासन दिया कि केस तय होने तक आरे में कुछ भी नहीं काटा जाएगा। जनहित याचिकाकर्ताओं ने पीठ को बताया कि आरे के जंगल को राज्य सरकार द्वारा 'अवर्गीकृत वन' माना गया था और पेड़ों की कटाई अवैध थी।इको सेंसेटिव जोन नहीं है आरे

हालांकि, महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना देखने के बाद, पीठ ने कहा, आरे क्षेत्र नो डेवलपमेंट जोन है न कि इको सेंसेटिव जोन जैसा कि याचिकाकर्ता ने दावा किया है। शीर्ष अदालत ने रविवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को संबोधित एक पत्र को पीआईएल के रूप में दर्ज करने का फैसला किया था, जिसे कानून के छात्र रिशव रंजन ने पेड़ों को काटने पर रोक लगाने की मांग को लेकर लिखा था।बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला बॉम्बे हाईकोर्ट ने 4 अक्टूबर को आरे कॉलोनी को जंगल घोषित करने से इनकार कर दिया था और मेट्रो कार शेड स्थापित करने के लिए ग्रीन ज़ोन में 2,600 से अधिक पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के मुंबई नगर निगम के फैसले को रद्द करने से इनकार कर दिया था।

Posted By: Inextlive Desk