आयुर्वेदिक कॉलेज पर मान्यता का संकट
- कॉलेज में चार विभाग में सीनियर टीचरों की कमी
- हियरिंग में इनचार्ज प्रिंसिपल ने कहा, समय दीजिए, कमी होगी दूर -फुलटाइम प्रिंसिपल नहीं, प्रशासनिक कार्यो में होती है देर - राज्य सरकार के कई आयुर्वेदिक कॉलेज बंद हो गएPATNA : बिहार में भारत के सबसे पुराने आयुर्वेदिक कॉलेज के सामने एक नया संकट खड़ा हो गया है। सवाल मान्यता का। 89 साल पुराने इस कॉलेज से हर साल ब्0 स्टूडेंट्स का बैच निकलता हैं। ऐसे में अगर इसकी मान्यता पर संकट हुआ तो कॉलेज के स्टूडेंट्स परेशानी में आ जाएंगे। जानकारी हो कि बिहार में बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, बक्सर और दरभंगा में आयुर्वेदिक कॉलेज बंद हो चुके हैं। जानकारी के मुताबिक बेगूसराय में वर्ष ख्007 के बाद कोई एडमिशन ही नहीं हुआ। इधर, इस कॉलेज के साथ भी स्वास्थ्य विभाग सौतेला व्यवहार कर रहा है। बिहार राज्य में इसके प्रमोशन के लिए अलग मंत्रालय नहीं है। स्वास्थ्य विभाग का मात्र छह परसेंट ही आयुष विभाग पर खर्च किया जाता है।
बड़ा नाम, काम कछुआ चाल जैसाकदमकुंआ, बुद्धमूर्ति पथ पर स्थित राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं हॉस्पिटल से कई बडे़ नाम जुड़े हुए हैं। इन्हीं में से एक नाम है सीएम नीतीश कुमार के पिता कविराज राम लखन सिंह का। वे इसी कॉलेज से आयुर्वेद की पढ़ाई किये। लेकिन यह एक बड़ा संयोग है कि नीतीश कुमार के राज में इस कॉलेज की आज यह दशा हो गई है। यह कॉलेज फंड की कमी, स्टॉफ की कमी और कई प्रशासनिक अड़चनों के कारण पिछड़ रहा है। कॉलेज के पास फुल टाइम प्रिंसिपल नहीं होने से भी प्रशासनिक काम प्रभावित होता है।
सीनियर टीचरों की है कमी कॉलेज में फिलहाल क्ब् विभाग चल रहे हैं। इसमें से चार विभागों के लिए सीनियर टीचरों की कमी से मान्यता पर सवाल खड़ा हो गया है। इसमें बाल रोग, प्रसूति तंत्र, काय चिकित्सा और पंचकर्म विभाग शामिल है। मान्यता से जुड़े इस प्रश्न को लेकर इनचार्ज प्रिंसिपल डॉ विद्यावती पाठक दिल्ली स्थित आयुष विभाग के इंडियन मेडिसीन सेंट्रल काउंसिल गई थीं। उन्होंने कहा कि मैंन काउंसिल से थोड़ा समय मांगा है ताकि कमियों को पूरा कर सके। फ्क् दिंसबर तक शर्ते पूरी करने का समयडॉ पाठक ने बताया कि काउंसिल से मैंने फ्क् दिसंबर, ख्0क्भ् तक का समय मांगा है। हमें उम्मीद है कि कम से कम कंडीशनल परमीशन तो मिल जाएगी। इसके बाद मान्यता का संकट नहीं रहेगा। इस संबंध में अंडरटेकिंग को लेकर आयुष विभाग को जानकारी दे दी गई है। इस संबंध में सरकार भी अधिसूचित करेगी। जानकारी हो कि इस संबंध में नियुक्ति नए सिरे से होगी या पुराने टीचरों को ही प्रमोट कर इस प्रक्रिया को पूरा करना सरकार का जिम्मा है।
कहा, ख्ख् कमियों को पूरा कर लिया ख्ख् सितंबर को आयुष विभाग में मान्यता को लेकर सभी आवयश्यक कदम उठाए गए हैं। यह कहना है इनचार्ज प्रिंसिपल का। उन्होंने बताया कि मैंने आयुष विभाग को जानकारी दी है नौ जुलाई की हियरिंग में मान्यता से जुड़ी ख्ख् शार्टकमिंग गिनायी गई थीं। ख्ख् सितंबर की हियरिंग में बताया गया कि इसके लिए काम करीब -करीब पूरा कर लिया गया है। इसमें योग टीचर, लैब टेक्निशियन, मेट्रन, सहायक, एसोशिएट लाइब्रेरियन, कम्पाउंडर, नर्सिग स्टाफ आदि की कमी पूरी की गई। अन्य कुछ कमियों को पूरा किया जाएगा। पीजी कोर्स की समस्याक्9ख्म् में स्थापित कॉलेज में समय की मांग के मुताबिक बदलाव लाने का प्रयास शिथिल रहा है। यही वजह है कि अभी तक मात्र दो विभाग, द्रव्य विभाग और रस विभाग में पीजी कोर्स चल रहा है। जानकारी हो कि इन दिनों आयुष विभाग से जो भी वैकेंसी निकाली जाती है, उसमें पीजी कोर्स होना अनिवार्य कर दिया गया है। डॉ विद्यावती का कहना है कि फिलहाल पांच कोर्स में पीजी कोर्स शुरू करने का प्रस्ताव है। पहले कमियों को पूरा कर लिया जाए, फिर इस ओर भी ध्यान दिया जाएगा। उधर, समय पर एग्जाम नहीं होना भी समस्या है।
ये है समस्याएं - कॉलेज में फुलटाइम प्रिंसिपल का पद नहीं - मान्यता के इंतजार में टल सकता है कि नए बैच का एडमिशन - बाल रोग, प्रसूति तंत्र, काय चिकित्सा और पंचकर्म विभाग में है सीनियर टीचरों की कमी हमें आशा है कि संबंधित चार विभागों में सीनियर टीचरों की कमी पूरी कर लेने पर कंडीशनल परमिशन मिल जाएगी। इसके लिए हमारे पास फ्क् दिसंबर, ख्0क्भ् तक का समय मिला है। - डॉ विद्यावती पाठक , इनचार्ज प्रिंसिपल राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज