अब्दुल करीम तेलगी का नाम तो आपने सुना ही होगा। देश ही नहीं दुनिया के सबसे बड़े घोटालों में से एक फर्जी स्टांप पेपर घोटाले का दोषी अब्दुल करीम तेलगी 30 साल की सजा काट रहा था। आज उसकी अस्पताल में मौत हो गई। आपको बता दें कि इस घोटाले के अलावा भी तेलगी ने कुछ ऐसे काम किए हैं जिनके कारण वह सुर्खियों में रहा।

 

 

मूंगफली बेचने वाला तेलगी पैसा कमाने गया सऊदी अरब
आपको बता दें कि कर्नाटक के बेलगाम में पैदा हुआ अब्दुल करीम तेलगी बचपन में काफी गरीब था। 1980 के दौर में उसने काफी दिनों तक सड़क पर मूंगफली भी बेची थीं। उसके पिता की असामयिक मौत के बाद उसने अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए सब्जी तरकारी से लेकर तमाम चीजें बेचीं, लेकिन उसकी जिंदगी तब बदल गई जब वह बहुत सारा पैसा कमाने के लिए सऊदी अरब चला गया। जहां उसने 7 साल बिताए इन्हीं 7 सालों ने उसकी जिंदगी बदल कर रख दी।



10 साल में देश को लगाया 20 हजार करोड़ का चूना
सऊदी अरब से लौटने के बाद तेलगी की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई थी। उसने कुछ बड़ा करने की सोची और उतर गया स्टांप पेपर की बिक्री में। सन 1990 में उसने स्टांप पेपर वेंडिंग का काम शुरू किया कुछ समय बाद उसने फर्जी स्टांप पेपर छापने के लिए अपनी एक प्रेस भी लगाई। जिसकी मशीनरी उसने नासिक के सरकारी नोट छापने की प्रेस से नीलामी में खरीदी थी। चूंकि 10 से लेकर 1000 रुपए तक के स्टांप पेपर को छापने की टेक्नोलॉजी एक से ही होती है, इसकी वजह से 100 से लेकर हजार की कीमत वाले लाखों स्टांप पेपर छापकर वो अरबपति बन बैठा। तेलगी ने अपने फर्जी स्टांप पेपर बैंकों, बीमा कंपनियों से लेकर कॉर्पोरेट हाउसेस और आम लोगों को भी बेचे। तकरीबन 10 साल के भीतर उसने सरकार और देश को करीब 30 हजार करोड़ का चूना लगा दिया।

कैसे आया पुलिस की गिरफ्त में
अब्दुल करीम तेलगी का कारोबार खूब धुआंधार रूप से 10 साल से भी ज्यादा समय तक चला। 2001  में कई मामलों में शक होने के कारण जांच टीमों ने उसके फोन टैप करना शुरू कर दिया था जिसके द्वारा इस पूरे घोटाले की परतें खुलने शुरू हुई थीं।  शुरू में इस घोटाले को 100 या 200 करोड़ का माना जा रहा था लेकिन बाद की जांच में इस घोटाले के तार तकरीबन 9 राज्यों से जुड़ रहे थे। आधिकारिक तौर पर स्टांप पेपर घोटाले को करीब 20,000 करोड़ रुपए का माना जाता है।

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Posted By: Chandramohan Mishra