केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है कि मोदी सरकार द्वारा कानून लागू किए जाने के बाद से ट्रिपल तलाक मामलों में लगभग 82 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। नकवी ने कहा ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून को पारित हुए एक साल बीत चुका है।


नई दिल्ली (पीटीआई)। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है कि देश में ट्रिपल तलाक के मामलों में बड़ी गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि जब से इस सामाजिक बुराई के खिलाफ कानून लागू किया गया तब से लगभग 82 प्रतिशत की गिरावट आई है है। उन्होंने कहा कि बीते साल 1 अगस्त को जब यह कानून के रूप में अस्तित्व में आया तो यह दिन मुस्लिम महिला अधिकार दिवस ​​के रूप में दर्ज हो गया। प्रेस सूचना ब्यूरो द्वारा पोस्ट किए गए एक लेख 'ट्रिपल तलाक - बिग रिफॉर्म, बेटर रिजल्ट' में नकवी ने कहा कि ट्रिपल तलाक या तलाक-ए-बिद्दत न तो इस्लामिक था और न ही कानूनी, लेकिन वोटों के व्यापारियों द्वारा इस सामाजिक बुराई को राजनीतिक संरक्षण दिया गया था।विरोध के बावजूद ट्रिपल तलाक बिल कानून बनाया गया
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने उस लेख में यह भी जिक्र किया कि 1 अगस्त, 2019, भारतीय संसदीय इतिहास में एक ऐतिहासिक दिन है जब कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और तृणमूल कांग्रेस सहित तथाकथित 'सेक्लुरिज्म के चैंपियन' द्वारा विरोध के बावजूद ट्रिपल तलाक बिल कानून बनाया गया था। 1 अगस्त वह दिन बन गया जिसने लैंगिक समानता सुनिश्चित की और मुस्लिम महिलाओं के संवैधानिक, मौलिक और लोकतांत्रिक अधिकारों को मजबूत किया। यह दिन भारतीय लोकतंत्र और संसदीय इतिहास में एक गोल्डेन मोमेंट में दर्ज रहेगा। ट्रिपल तलाक के मामलों में करीब 82 फीसदी की गिरावट नकवी ने कहा ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून को पारित हुए एक साल बीत चुका है और ट्रिपल तलाक के मामलों में करीब 82 फीसदी की गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि ट्रिपल तलाक जैसी सामाजिक बुराई के खिलाफ कानून 1986 में पारित किया जा सकता था जब सुप्रीम कोर्ट ने शाहबानो मामले में ऐतिहासिक फैसला दिया था। 545 लोकसभा सदस्यों में से 400 से अधिक और राज्यसभा में 245 सदस्यों में से 159 से अधिक के साथ संसद में कांग्रेस के पास पूर्ण बहुमत था, लेकिन तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने संसद में अपनी ताकत का इस्तेमाल किया और निर्णय को निष्प्रभावी बना दिया।

Posted By: Shweta Mishra