शिकवा-शिकायतें सुन लौटे, अब परिणाम पर टिकी नजरें
इविवि में पहले भी आई है फैक्ट फाइंडिंग कमेटी, लेकिन हुआ कुछ नहीं
vikash.gupta@inext.co.in ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में एकेडमिक, फाइनेंशियल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव ऑडिट करके सेंट्रल एक्सपर्ट कमेटी वापस लौट चुकी है। इविवि में आईआईएससी बंगलुरू के प्रो। गौतम देशी राजू की अध्यक्षता एवं संयोजक प्रो। केपी पांडियन की अगुवाई में पहुंची कमेटी ने शिक्षक भर्ती, हास्टल की समस्या, वित्तीय अनियमितता आदि की पड़ताल की है। शिक्षकों, अधिकारियों एवं छात्रों ने कमेटी से मिलकर अपनी बात रखी है। ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि सरकार को भेजी जाने वाली रिपोर्ट का मूल्यांकन किस स्तर पर होगा और भविष्य में इसके क्या परिणाम देखने को मिलेंगे ? कमेटी तो पहले भी आई हैवैसे कैम्पस में जो चर्चायें हैं, उनके मुताबिक दो तरह की बातें निकलकर सामने आ रही हैं। एक वर्ग कह रहा है कि चूंकि यह एक ब्रॉड कमेटी थी, ऐसे में रिपोर्ट का असर देखने को मिलेगा। वहीं एक वर्ग ऐसा भी है, जिसका कहना है कि ऐसी कमेटी तो यूनिवर्सिटी में पहले भी आई है। लेकिन न कुछ हुआ है और न ही कुछ होने वाला है। देखा जाये तो यह बात काफी हद तक सही भी है। इससे पहले 28 अप्रैल 2017 को हास्टल वॉशआउट मामले को लेकर शहर जल उठा था। तब एमएचआरडी मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर के निर्देश पर तीन सदस्यीय कमेटी इविवि पहुंची थी।
धूल फांक रहा सुधार का प्रस्ताव कमेटी में यूजीसी के तत्कालीन सचिव प्रो। जसपाल एस। संधु, एमएचआरडी के संयुक्त सचिव प्रवीण कुमार एवं दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रो। एसपी सिंह शामिल थे। बताया जाता है कि कमेटी में रिपोर्ट तैयार करने को लेकर ही कलह रही। बाद में कमेटी की रिपोर्ट का अता-पता ही नहीं चल सका। 26 अप्रैल 2012 को भी हास्टल वॉशआउट को लेकर इविवि और आसपास के इलाकों में भारी बवाल हुआ था। इसके बाद एमएचआरडी ने यूजीसी के पूर्व सचिव प्रो। सुखदेव थोराट और आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो। संजय गोविन्द धांडे की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी को विवि में घटना की पड़ताल के लिये भेजा था। कमेटी की रिपोर्ट तो सार्वजनिक हुई, लेकिन कमेटी द्वारा दिये गये हास्टल सुधार के सुझावों का कोई असर नहीं दिखा। कमेटी के समक्ष की गई शिकायतें - डायरेक्ट रिक्रुटमेंट से हो रही भर्ती की स्क्रीनिंग में मनमानी का आरोप - सेलेक्शन कमेटी में शामिल एक्सपर्ट्स का नाम सार्वजनिक करना - सेलेक्शन से पहले ही चयन और नाम वायरल होने का आरोप - हास्टल एलाटमेंट और पजेशन में देरी- कुर्सी मेज और फर्नीचर न मिलना, ठेके पर प्राईवेट मेस का संचालन
- हास्टल्स में गंदगी एवं प्रदूषित जलापूर्ति - विवि को यूजीसी से मिलने वाले पैसे का कंपलीट यूटिलाइजेशन न होना - दीक्षांत समारोह का आयोजन न होना - टाईम टेबल के एकार्डिग क्लासेस न चलना - वाई फाई फैसेलिटी के सही से काम न करने का मामला - लाईब्रेरी से सभी को किताबें इश्यू किये जाने की मांग - बायोटेक्नोलॉजी विभाग की लैब और क्लासेस में संसाधनो का अभाव - रिसर्च के दाखिले में लेटलतीफी - प्रशासनिक लचरता एवं संवादहीनता