रीजनल लैंग्वेज के आ गए 'अच्छे दिन'
-हिन्दुस्तानी एकेडेमी की भोजपुरी और ब्रजभाषा सहित चार रीजनल लैंग्वेज की कार्य योजना को शासन से मिली मंजूरी
ALLAHABAD: उप्र की बागडोर संभालने के बाद पिछले साल मार्च के अंतिम सप्ताह में सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर दौर पर गए थे। तब उन्होंने स्पष्ट कहा था कि हिन्दुस्तानी एकेडेमी में भोजपुरी, ब्रज, अवधी व बुंदेली जैसी रीजनल लैंग्वेज को नया मुकाम दिया जाएगा। दस महीने के बाद अब वह सपना साकार हो गया है। एकेडेमी के सचिव रवीन्द्र कुमार की ओर से रीजनल लैंग्वेज के संवर्द्धन व पुरस्कार शुरू करने जैसी कार्ययोजना को शासन स्तर से मंजूरी मिल गई है। तीन करोड़ से अधिक का बजटएकेडेमी प्रशासन ने जनवरी के पहले सप्ताह में भाषा विभाग को भोजपुरी, अवधी, ब्रज व बुंदेली लैंग्वेज के व्यापक प्रचार-प्रसार, सेमिनार कराने, पुस्तकों का प्रकाशन व प्रोत्साहन पुरस्कार शुरू कराने के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा था। शासन ने चार दिन पहले ही प्रस्ताव को मंजूर करते हुए लगभग 3.49 करोड़ के बजट को मंजूरी दे दी है।
शुरू होगी पुरस्कारों की श्रृंखला -बजट की स्वीकृति मिलने के बाद एकेडेमी की ओर से चारों रीजनल लैंग्वेज में पुरस्कारों की श्रृंखला शुरू किए जाने का निर्णय लिया गया है। -इसके लिए बाकायदा एक सेलेक्शन कमेटी का गठन भी किया जाएगा।-इसमें देश के प्रतिष्ठित साहित्यकारों को शामिल किया जाएगा।
-युवा प्रतिभाओं को चारों लैंग्वेज में किसमें कितनी पुरस्कार राशि दी जाएगी इसको लेकर भी कमेटी बनाई जाएगी। -रीजनल लैंग्वेज में पांडुलिपियों का प्रकाशन, साल भर सेमिनार आदि आयोजन भी कराए जाएंगे। कॉलिंग क्षेत्रीय भाषाओं को लेकर शासन का यह अच्छा प्रयास है। इससे युवा प्रतिभाओं को मंच मिलेगा और प्रदेश भर में व्यापक स्तर पर कार्य किया जाएगा। -डॉ। फखरुल करीम, साहित्यकार एकेडेमी के स्वर्णिम युग के वापस लौटने का संकेत हो चुका है। खासतौर से भोजपुरी को लेकर बहुत से कार्य होंगे और अन्य भाषाओं का दायरा बढ़ेगा। -नंदल हितैषी, साहित्यकार अभी तक हिन्दी और उर्दू को छोड़कर किसी अन्य भाषा को विकसित करने के लिए कार्य नहीं किया गया था। अगर पुरस्कारों की श्रृंखला शुरू हो रही है तो यह बहुत ही अच्छी बात है। -अजामिल व्यास, साहित्यकार वर्जन विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में रीजनल लैंग्वेज में जितने भी कार्य हो रहे हैं उनको बेहतरीन मंच दिलाया जाएगा। शासन ने एकेडेमी की कार्य योजना को सैद्धांतिक सहमति दे दी है। वित्तीय वर्ष का बजट आने पर पुरस्कार योजना शुरू की जाएगी। जिसकी जिम्मेदारी सलेक्शन कमेटी के ऊपर होगी। -रवीन्द्र कुमार, सचिव हिन्दुस्तानी एकेडेमी