आप छोटे पर्दे पर ही नहीं बड़े पर्दे पर भी उनसे मिल चुके हैं. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत अपनी दोनों बेटियों को सेटेल करने के बाद की है. हाल ही में रिलीज हुई इशकजादे में दर्शकों ने उन्हें रिकगनॉइज किया है. उन्हें बिग स्क्रीन पर पहला ब्रेक श्याम बेनेगल ने दिया और वहां से शुरू हुए इस सफर के बाद उन्होंने पीछे मुडक़र नहीं देखा. हम बात कर रहे हैं चारू रोहतगी की. चारू ने इशकजादे में परिणिति चोपड़ा की मां का रोल अदा किया है. पिछले दिनों बरेली आईं चारू ने अपने बिजी शेड्यूल से समय निकाल कर आई नेक्स्ट से शेयर किए अपने एक्सपीरिएंसेस.


एक्टिंग के बारे में कैसे ख्याल आयामेरी मां बरेली में ही लिटिल आर्ट थिएटर में प्ले करती थी. हम भाई-बहन भी उनके साथ जाते थे. वहीं कभी क ोई छोटा सा रोल प्ले करते. बाद में कुछ प्ले में काम भी किया. पर उसके बाद मेरी शादी कोलकाता में हो गई. फिर वहां पारिवारिक जिम्मेदारियों में फंसी रही. दुर्भाग्यवश शादी के 11 साल बाद ही मेरे पति नहीं रहे. उसके बाद मेरा सारा समय सोशल वर्क और मेरी बेटियों की परवरिश में गुजरा. पर बेटियों के सेटेल होने के बाद कोलकाता में श्याम बेनेगल की फिल्म नेता जी द फॉरगॉटन हीरो का सेट लगा. वहीं ऑडीशन दिया और मेरा सेलेक्शन हो गया. बचपन से ही जो एक्टिंग का कीड़ा अंदर बैठ गया था, वही अब अपना असर दिखा रहा है. अब तो एक्टिंग ही जिंदगी है.
अब तक कौन सी फिल्म और टीवी सीरियल में काम किया है.


मैंने अब तक नेता जी द फॉरगॉटन हीरो, 15 पार्क एवन्यु, शिकार, पटियाला हाउस, नो वन किल्ड जेसिका, कुछ लव जैसा, इशकजादे फिल्म में काम किया है. कथा सरिता कृष्णा, लेडीज स्पेशल, सीआईडी, आहट, छज्जे-छज्जे का प्यार टीवी सीरियल्स में मैंने काम किया. कथा सरिता कृष्णा बंगाली सीरियल है, इसे अमोल पालेकर ने बनाया था. मेरी आने वाली फिल्म सेकेंड मैरिज डॉट काम है. छज्जे-छज्जे का प्यार में काम करना मेरे लिए टर्निंग प्वॉइंट साबित हुआ.एक्टिंग की दुनिया में आने के बाद से कोई ऐसा काम जो नहीं कर पाती हों.मुझे थिएटर करने की इच्छा है, पर जब से डेली सोप्स में काम करना शुरू किया है, तब से तो महीने में 26 दिन मैं बिजी ही रहती हूं और कभी-कभी तो दिन में 12 घ्ंाटे से भी ज्यादा की शिफ्ट हो जाती है. मैं थोड़ा फ्री समय में थिएटर में काम करना चाहती हूं. वहीं कोलकाता में मैं मेंटली रिटायर्ड बच्चों के लिए भी कुछ काम करती रहती थी. पर यहां वह भी नहीं हो पा रहा है.खाली समय में क्या करती हैं.मैं एक फैशन डिजायनर भी हूं. मुझे आउटफिट्स डिजायन करने का बहुत शौक है. जब भी मुझे थोड़ा समय मिलता है मैं अपने लिए आउटफिटस खुद ही डिजायन करती हूं. मुझे लगता है कि इसके बाद मैं रिलैक्स फील करती हूं.कोई ड्रीम जिसे पूरा करने की इच्छा हो.

मेरी इच्छा है कि मैं बरेली के स्टेज पर थिएटर प्ले करूं. भाई ने बताया है कि पिछले पांच-छह साल में बरेली में थिएटर के क्षेत्र में काफी उपलब्धियां हासिल की हैं. यह अच्छी बात है. मेरी शुभकामनाएं उसके साथ हैं.

Posted By: Surabhi Yadav