नैनी कांड के आरोपियों का लाइसेंस निरस्त फिर भी असलहा कहां है पता नहीं

दोनों पक्षों की ओर से 27 शिकायतें हुई, सब डाल दी गई ठंडे बस्ते में

नैनी जेल में बंद चन्द्रभान और अशोक यादव के बीच दुश्मनी 2005 से चल रही थी। इसका एक कारण चन्द्रभान को सिर मुड़वाकर घुमाना था और दूसरा उसके बेटे ज्ञानचन्द्र का एरिया के प्रापर्टी डीलिंग कारोबार का बढ़ता दायरा। अशोक को यह नागवार गुजर रहा था। इसकी पूरी जानकारी कोतवाली प्रभारी, हल्का दरोगा और बीट सिपाही सभी को थी। लेकिन, किसी ने सीरियसली इसे नोटिस ही नहीं लिया। शिकायतों की फेहरिश्त लम्बी होती और कार्रवाई शून्य। नतीजा नैनी जेल के सामने शूटआउट के रूप में सामने आया। एसएसपी ने पड़ताल में यह तथ्य सामने आने के बाद झूंसी कोतवाली के प्रभारी प्रेम नारायण, हल्का दरोगा अमिल कुमार और सिपाही अबू बकर और अमरेश सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। प्रकरण की जांच की जिम्मेदारी एसपी ट्रैफिक को सौंप दी गई है। पुलिस इस मामले में अशोक यादव और राजकुमार यादव को जेल भेज चुकी है।

संडे को तड़तड़ाई थीं गोलियां

रविवार 5 जून की शाम नैनी जेल के सामने शूटआउट हुआ था। सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे चन्द्रभान यादव उर्फ बाबा से मिलकर लौटते समय उसके बेटे ज्ञानचन्द्र यादव की गाड़ी पर ताबड़तोड़ फायरिंग की गई। इसमें लालता प्रसाद यादव की मौके पर व ज्ञानचन्द्र यादव की इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो गई। चार लोग शत्रुधन सिंह, सुरेश यादव, श्रीकान्त यादव व अनिल यादव गम्भीर रूप से हो गए। मृतक के भाई संतोष यादव की तहरीर पर नैनी थाने में मुकदमा दर्ज हुआ। इसमें शैलेन्द्र यादव को मुख्य आरोपी बनाया गया है। हत्याकांड के बाद सोमवार और मंगलवार को झूंसी में जमकर बवाल हुआ। मंगलवार को पुलिस पर हमला कर दिया गया जिसमें एएसपी गणेश साहा भी जख्मी हो गए थे।

27 शिकायतें, एक पर भी कार्रवाई नहीं

मामला शांत होने के बाद एसएसपी ने खुद झूंसी थाने की पत्रावली का अवलोकन किया तो पता चला कि दोनो पक्षों में 2005 से 2008 एवं अब तक कसीदगी चली आ रही थी। इसे न तो कोतवाल ने नोटिस लिया और न ही हल्का दरोगा और सिपाहियों ने। अभिलेखों एवं प्रार्थना पत्र आर्डर बुक रजिस्टर की समीक्षा में पाया गया कि अब तक कुल 27 शिकायती प्रार्थना पत्रों में से बीट दरोगा अनिल कुमार के पास आठ व बीट आरक्षी अबू बकर के द्वारा 19 शिकायती प्रार्थना पत्रों की जॉच करायी गई। जांच बीट आरक्षी अमरेश सिंह को न देकर आरक्षी अबू बकर को दी गयी, इससे कोतवाल की भूमिका पर भी सवाल उठ गए। जांच में पता चला कि अशोक यादव व राजकुमार यादव पुत्रगण हीरालाल निवासी छतनाग के शस्त्र लाइसेंस निलम्बन की कार्यवाही हो चुकी है, परन्तु शस्त्र कहॉ पर है कि जानकारी थाना अभिलेखों में अंकित नहीं मिली।

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चन्द्रभान के फरार बेटे पर भी नजर नहीं

जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि चन्द्रभान के बेटे राजेश यादव के खिलाफ भी थाने में 2008 में 302/120बी/34 भादवि व 7 सीएलए एक्ट में मुकदमा दर्ज हुआ। उसे न तो पकड़ने का ढंग से प्रयास किया गया और न ही 2013 के बाद कोई निरोधात्मक कार्रवाई की गई। उस पर इनाम राशि वर्तमान समय में 15 हजार रुपए हो चुकी है। एसएसपी ने इसे घोर लापरवाही ्रमानते हुए चारों के खिलाफ कार्रवाई की है।

Posted By: Inextlive