RANCHI: कांके डैम को एक बार फिर अतिक्रमण मुक्त करने के लिए अवैध निर्माण को ध्वस्त किया जाएगा। नगर आयुक्त मनोज कुमार ने आदेश जारी किया है कि डैम की जमीन की एक बार फिर से नापी कराई जाएगी और जो भी अवैध निर्माण पाए जाएंगे उन्हें हटाया जाएगा। विदित हो कि जिला प्रशासन ने 2016 में कांके डैम की जमीन की नापी की थी। डैम की करीब 400 एकड़ जमीन की नापी कर उसे डिमार्केट कर दिया गया था। इस अभियान के दौरान जिला प्रशासन ने डैम के पास स्थित 16 से अधिक अतिक्रमण को ध्वस्त किया था। एक बार फिर से मेगा अभियान चलाकर अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की कार्रवाई की जाएगी।

जिला प्रशासन के लिए गंभीर चुनौती

जिला प्रशासन के लिए यह नापी काफी चुनौतियों भरा हो सकती है। इस अतिक्रमण एरिया में राजधानी के कई चर्चित चेहरों ने ठिकाना बना डाला है। साथ ही नगर निगम और प्रशासन की टीम के पास भी मैनपावर की कमी है। विभाग अमीन से लेकर स्टाफ तक की कमी से जूझ रहा है। निर्माण हटाए जाने पर लोगों का भारी विरोध भी सामने आता रहा है।

ग्रीन जोन एरिया में नक्शा पास होना अवैध

जितनी जमीन को ग्रीन जोन एरिया घोषित किया गया है उसपर किसी भी तरह का नक्शा पास नहीं किया जा सकता। जितने भी निर्माण किए गए हैं वो बिना नक्शा की स्वीकृति के ही किए गए हैं। अगर किसी ने नक्शा पास भी कराया है तो उसकी जांच की जाएगी कि आखिरकार यह नक्शा ग्रीन जोन में पास कैसे हो गया।

पेयजल विभाग सुस्त, जिला प्रशासन कस्टोडियन

विदित हो कि कांके डैम की जमीन पर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का अधिकार रहता है साथ ही जिला प्रशासन संबंधित जमीन के रिकार्ड का कस्टोडियन होता है। ऐसे में दोनों विभागों की मिलीभगत के बिना ्रग्रीनलैंड की जमीन पर कब्जा करना आसान नहीं हो सकता। जांच के दौरान साफ हो जाएगा कि अवैध निर्माण कितने सालों से किए गए हैं और परदे के पीछे कौन-कौन अधिकारी हैं।

2016 में 100 से अधिक लोगों के कब्जे की थी लिस्ट

2016 में कांके डैम की जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए जो टीम बनायी गयी थी उसमें जिला प्रशासन के अधिकारियों के अलावा पीएचइडी विभाग के तत्कालीन कनीय अभियंता (गोंदा) रामनरेश पासवान व ललित तिर्की एसडीओ शामिल हैं। तत्कालीन एडीएम गिरिजाशंकर प्रसाद ने कहा है कि अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो प्रशासन उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करते हुए कानूनी कार्रवाई भी करेगा।

यह थी स्थिति

1954 में कांके डैम में 459.59 एकड़ अधिग्रहीत जमीन है। जिन जगहों में भूमि अधिग्रहित हुई हैं, उनमें मिसिरगोंदा-मौजा 191, नवासोसो- मौजा 150, चटकपुर- मौजा 158, पंडरा-मौजा 155,हेसल-मौजा 202 व कटहलगोंदा-201 शामिल हैं।

सीएम को ट्वीट, आंदोलन की तैयारी: आदित्य विक्रम

झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के पूर्व प्रदेश सचिव आदित्य विक्रम जायसवाल ने मामले को गंभीरता से लेते हुए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट में प्रकाशित खबर को सीएम हेमंत सोरेन को ट्वीट करते हुए मामले की जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि रांची को सिटी आफ लेक्स बोला जाता था। लगभग 250 सौ से 300 तालाब हुआ करते थे मगर देखते ही देखते आबादी बढ़ने से तालाबों को नगर निगम द्वारा बर्बाद कर दिया गया, और महज 10 से 15 ही तलाब शहर में देखने को मिल रहे हैं। सरकार विचार करे नहीं तो आने वाले समय में रांची शहर में पानी की किल्लत और बढ़ जाएगी, और इस पर जांच हो नहीं तो एनजीटी से गुहार लगाने कीे तैयारी हमारी टीम कर रही है।

एक बार फिर से कांके डैम की नापी करायी जाएगी। साथ ही जो भी अवैध निर्माण पाए जाएंगे उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। 2016 में डैम की नापी कर उसके एरिया को डिमार्केट कर दिया गया है, उसी डिमार्केशन को फिर से जांचा जाएगा।

मनोज कुमार, नगर आयुक्त, रांची नगर निगम

Posted By: Inextlive