-21 टीमों में अब डॉक्टर्स, फॉर्मासिस्ट, एएनएम, आशा वर्कर व निगमकर्मी शामिल

-हर टीम में होंगे 15 मेंबर, हर घर में तलाशा जाएगा लार्वा

देहरादून, डेंगू का डंक लगातार बेकाबू होता जा रहा है। मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। तमाम प्रयासों के बावजूद डेंगू कंट्रोल में न आने से अब हेल्थ डिपार्टमेंट ने नया एक्शन प्लान तैयार किया है। इसके तहत 21 टीमों का गठन किया गया है। निगम के कार्मिकों के सपोर्ट से ये टीमें हर घर तक पहुंच कर लार्वा को लेकर लोगों को अवेयर करेंगी। फॉगिंग और छिड़काव किया जाएगा। अबकी बार गठित की गई टीमों में डॉक्टर्स, फॉर्मासिस्ट, एएनएम व आशा कार्यकर्ताओं को भी शामिल किया है। ये टीमें बुखार की शिकायत वालों की पहचान भी करेंगी। विभाग ने सभी प्राइवेट हॉस्पिटल्स में एडमिट पेशेंट्स का भी रिकॉर्ड खंगालने का काम शुरु होगा।

आज से मोर्चा संभालेंगी टीमें

शहर के हर हिस्से में डेंगू फैल रहा है। कुछ दिन पहले डीएम सी रविशंकर ने बैठक लेते हुए चिंता जताई और सीएमओ मुख्यालय को डेंगू के पेशेंट्स का डाटा मांगा तो ऐसा कोई डाटा ही उपलब्ध नहीं था। बताया जा रहा है कि डेंगू के जितने भी पॉजिटिव मामले सामने आए हैं, उनमें अधिकतर सरकारी हॉस्पिटल्स के शामिल हैं, जबकि डिपार्टमेंट के पास प्राइवेट हॉस्पिटल्स का कोई डाटा नहीं है। इसको देखते हुए मंडे को सीएमओ ऑफिस में बैठक की गई। जिसमें अधिकारियों को सीएमओ की ओर सख्त निर्देश दिए गए हैं। तय किया गया कि गठित 21 टीमें रोज निगरानी रखेंगे। जिस घर में बुखार के पीडि़त मरीज मिलेंगे, उन्हें ट्रीटमेंट की जानकारी के साथ ही मेडिसीन भी मौके पर ही दी जाएगी।

::प्वाइंटर्स::

वर्ष--सेंपल्स--पॉजिटिव

2015--13,000--830

2016--40,000--1434

2017--7000--366

2018---

2019--20000--562

अब तक कुल मामले

580---डेंगू पीडि़त पूरे प्रदेश में।

375--पुरुष

205--महिला

562--दून में डेंगू पीडि़त

हॉस्पिटल में अव्यवस्था का आरोप

डेंगू के लगातार बढ़ रहे मामलों को लेकर विपक्ष भी हमलावर हुआ है। पूर्व विधायक राजकुमार ने दून मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को लेटर लिखकर मरीजों को सुविधाएं देने की डिमांड की है। चेतावनी दी है कि मरीजों को किसी प्रकार की असुविधाएं होने पर आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा। आरोप लगाए कि अधिकांश मरीजों को हॉस्पिटल से मेडिसिन भी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। जिस कारण उन्हें मजबूर होकर बाहर से मेडिसिन खरीदना पड़ रहा है। हॉस्पिटल में बेड न होने के भी आरोप लगाए हैं। जबकि हॉस्पिटल में शौचालय की स्थिति भी बेहद खराब है। टीबी क्लिनिक के सामने नाले में गंदगी का आलम है। पीने का पानी नहीं है। ऑपरेशन के लिए तारीखें दी जा रही हैं।

टोटकों का सहारा, क्वॉयल व ट्यूब की डिमांड

डेंगू के प्रकोप को देखते हुए अब पीडि़तों ने टोटकों का भी सहारा लिया है। शहर में अचानक कीवी की डिमांड बढ़ गई है तो पपीता के पत्तियां और बकरी के दूध के डिमांड में भी उछाल आया है। इधर, मार्केट में मच्छर भगाने वाली क्रीम, कॉयल और इलेक्ट्रिक मशीनों की बिक्री बढ़ गई है।

हर ब्लड बैंक से 120 यूनिट प्लेटलेट्स

बेकाबू होते हुए डेंगू व मरीजों की संख्या को देखते हुए अचानक दून के ब्लड बैंकों में भी प्लेटलेट्स की डिमांड बढ़ गई है। एक ब्लड बैंक से एवरेज 100-120 यूनिट्स तक प्लेटलेट्स की खपत हो रही है। चकराता रोड स्थित ब्लड बैंक के पीआरओ कमल साहू ने बताया कि अचानक प्लेटलेट्स, आरबीसी व प्लाज्मा की डिमांड में बढ़ोत्तरी हुई है।

प्लेटलेट्स के रेट

-एफएफपी (प्लाज्मा)--700-800

-प्लेटलेट्स--1000--1100

-आरबीसी--1450---1500

-जम्बू पैक--120000---14,000

हाॅस्पिटल्स की मोटी कमाई

डेंगू के डंक के कारण निजी हॉस्पिटल्स खूब चांदी काट रहे हैं। जानकार बताते हैं कि तेज बुखार की शिकायत पर मरीज दून सहित सरकारी हॉस्पिटल्स में भीड़ को देखते हुए निजी हॉस्पिटल्स में पहुंच रहे हैं। जहां उन्हें सस्पेक्टेड डेंगू केस घोषित किया जा रहा है। इसके बाद शुरू हो जाता है जांच का सिलसिला। बताया जा रहा है कि दून में शायद ही ऐसा ही कोई हॉस्पिटल होगा, जहां मरीज चेकअप कराने न पहुंच रहे हों और एडमिट न हो रहे हों। हर प्राइवेट हॉस्पिटल के वार्ड व आईसीयू तक पैक बताए जा रहे हैं।

ऐसे होती हैं जांचें

-सस्पेक्टेड केस पर रेडिप जांच व एनएस-1 व सीबीसी, कीमत करीब 1100 रुपए।

-एलाइजा टेस्ट का रेट 1100 रुपए।

-डॉक्टर्स की ओपीडी फीस करीब 500-700 रुपए तक।

-हॉस्पिटल्स में एडमिट होने पर मरीज का रोजाना बेड चॉर्ज दो हजार रुपए।

-आईसीयू में भर्ती होने पर ढाई से पांच हजार रुपए प्रति दिन।

-हॉस्पिटल में एक मरीज के भर्ती होने की समय सीमा तीन दिन से एक हफ्ते तक।

-प्लेटलेट्स की गिरावट आई तो उसका अतिरिक्त खर्च।

11 दिनों में चुकाए डेढ़ लाख

प्रेमनगर निवासी विकास भट्ट की वाइफ का बुखार आने पर पहले प्रेमनगर के एक हॉस्पिटल में एडमिट किया, जहां उन्हें पांच दिनों तक भर्ती रखा गया और 40 हजार रुपए चुकता करने पड़े। इसके बावजूद तबियत ठीक नहीं हुई तो दून के एक हॉस्पिटल में एडमिट किया। एक हफ्ते तक आईसीयू में रहने पर उन्हें 98 हजार रुपए भुगतान करने पड़े। विकास को 11 दिनों में लगभग 13 हजार रुपए के हिसाब से करीब डेढ़ लाख रुपए चुकता करने पड़े। अंदाजा लगाया जा सकता है कि डेंगू के नाम पर मरीज को कितना खर्च कर जान बचानी पड़ रही है। वर्ष 2016 में सरकार की ओर से लैब व प्राइवेट हॉस्पिटल को मनमाफिक रेट न लिए जाने के दिशा-निर्देश दिए गए थे। लेकिन इस बार अब तक हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से कोई गाइड लाइन जारी नहीं की गई है।

Posted By: Inextlive