-फर्जी डॉक्यूमेंट लगाकर नौकरी पाने के मामले में हुई थी कार्रवाई

ALLAHABAD: फर्जी डॉक्यूमेंट दिखाकर नौकरी हासिल करने वाली सहायक अध्यापक के खिलाफ कार्रवाई के नौ साल बाद डीआईओएस ने उसे बहाल कर दिया। इसके बाद विवाद शुरू हो गया। आरोप है कि आरपी रस्तोगी इंटर कॉलेज, मलाक हरहर में नीलू देवी मिश्रा नाम की महिला ने बीएड की फर्जी अंकपत्र दिखाकर चयन बोर्ड के जरिए नौकरी हासिल की थी। शिकायत होने के बाद तत्कालीन डीआईओएस दिनेश सिंह ने माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से नीलू मिश्रा के डॉक्यूमेंट मांगे। उसके बाद उसे कानपुर के छत्रपति शाहू जी महाराज यूनिवर्सिटी में सत्यापन के लिए भेजा। यूनिवर्सिटी की ओर से डॉक्यूमेंट को असत्यापित कर दिया गया। फिर डीआईओएस ने संबंधित सहायक अध्यापिका के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश देते हुए चयन बोर्ड द्वारा उसे बर्खास्त करने की संस्तुति कर दी। करीब नौ साल बाद महिला को वर्तमान डीआईओएस ने बहाल करते हुए उसकी फिर से ज्वॉइनिंग करा दी। इसके बाद मामला तूल पकड़ने लगा।

बिना सस्पेंड किए बर्खास्तगी नहीं

फर्जी मार्कशीट के आधार पर नौकरी पाने और उसमें कार्रवाई के कई साल बाद बहाल करने के मामले में पूछने पर डीआईओएस आरएन विश्वकर्मा ने बताया कि चयन बोर्ड के अधिनियम 21 का पालन नहीं होने के कारण उन्होंने नीलू मिश्रा के बर्खास्तगी को अनानुमोदित किया है। बताया कि किसी भी अध्यापक को सीधे बर्खास्त करने का अधिकारी विद्यालय के प्रबंधतंत्र को नहीं है। नीलू मिश्रा के मामले में यही गड़बड़ी पायी गई। फर्जीवाड़े की जांच में दोषी पाए जाने पर चयन बोर्ड की तरफ से बर्खास्तगी का अनुमोदन होना चाहिए।

Posted By: Inextlive