08 साल से एक ही ढर्रे पर हास्टल्स, इविवि में कई बार आई फैक्ट फाइंडिंग कमेटी, हुआ कुछ नहीं

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PRAYAGRAJ: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्रावासों में दाखिले और सुविधाओं के मौजूदा हालात बेहद चिंताजनक हैं। समय के साथ हास्टल की सूरत के साथ वहां की व्यवस्था में अमूलचूल परिवर्तन की जरूरतों को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका। ऐसा क्यों हुआ? इसकी शिनाख्त होना जितना जरूरी है, उतना ही यह भी जान लेना जरूरी है कि हास्टल्स को लेकर समय समय पर की जाने वाली बदलाव की बातें और दावे कब-कब और किस लेवल तक जाकर केवल छलावा ही साबित हुई हैं।

सुझावों पर अमल का निर्देश था

बता दें कि 26 अप्रैल 2012 को हास्टल वॉशआउट को लेकर इविवि और आसपास के इलाकों में भारी बवाल हुआ था। इसके बाद एमएचआरडी ने यूजीसी के पूर्व सचिव प्रो। सुखदेव थोराट और आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो। संजय गोविन्द धांडे की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी को विवि में घटना की पड़ताल के लिए भेजा था। कमेटी की रिपोर्ट तो सार्वजनिक हुई, लेकिन कमेटी द्वारा दिए गए हास्टल सुधार के सुझावों का कोई असर नहीं दिखा। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में हास्टल्स की स्थिति को बेहद ही चिंताजनक बताया था और कहा था कि प्रत्येक चीजों पर मंथन और योजनाओं को अमली जामा पहनाए जाने की तत्काल जरूरत है।

इनका तो पता ही नहीं चला

28 अप्रैल 2017 को भी हास्टल वॉशआउट मामले को लेकर शहर जल उठा था। तब भी एमएचआरडी मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर के निर्देश पर तीन सदस्यीय कमेटी इविवि पहुंची थी। इस हाईपावर कमेटी में यूजीसी के तत्कालीन सचिव प्रो। जसपाल एस। संधु, एमएचआरडी के संयुक्त सचिव प्रवीण कुमार एवं दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रो। एसपी सिंह शामिल थे। बताया जाता है कि कमेटी में रिपोर्ट तैयार करने को लेकर ही कलह रही। बाद में कमेटी की रिपोर्ट का अता-पता ही नहीं चल सका।

छात्रों से मिले थे

नवम्बर 2017 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में एकेडमिक, फाइनेंशियल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव ऑडिट के लिए सेंट्रल एक्सपर्ट कमेटी को भेजा गया था। इस ब्राड लेवल कमेटी में आईआईएससी बंगलुरू के प्रो। गौतम देशी राजू और प्रो। केपी पांडियन जैसे बड़े-बड़े दिग्गज शामिल थे। कमेटी ने शिक्षक भर्ती, वित्तीय अनियमितता के साथ ही हास्टल्स को लेकर समय-समय पर होने वाले उग्र आन्दोलनों की भी पड़ताल की। शिक्षकों, अधिकारियों एवं छात्रों ने कमेटी से मिलकर अपनी बात रखी थी। इस कमेटी की रिपोर्ट के मूल्यांकन और भविष्य में परिणाम को लेकर सभी को बहुत सारी उम्मीदें थी। क्योंकि, उस समय कमेटी में शामिल मेम्बर्स कुलपति से मिलने को लेकर दूरी बनाए हुए थे। इससे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि छात्रों से मिलने को लेकर लालायित कमेटी के सुझाव भविष्य में सख्ती के साथ लागू होंगे। लेकिन तब से लेकर अभी तक छात्रों की आवाज ठंडे बस्ते में ही है।

कमेटी के समक्ष की गई शिकायतें

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- हास्टल एलाटमेंट और पजेशन में देरी

- कुर्सी मेज और फर्नीचर न मिलना

- ठेके पर प्राईवेट मेस का संचालन

- हास्टल्स में गंदगी एवं प्रदूषित जलापूर्ति

- विवि को यूजीसी से मिलने वाले पैसे का कंपलीट यूटिलाइजेशन न होना

- प्रशासनिक लचरता एवं संवादहीनता आदि

Posted By: Inextlive