-हाईकोर्ट के बाद हनुमान मंदिर चौराहे पर एडवोकेट्स का प्रदर्शन

ALLAHABAD: सरकारी डॉक्टर को नान प्रेक्टिसिंग एलाउंस मिलता है। वे कागज-पत्तर में ऐसा दिखाकर सरकार से पैसा भी वसूल करते हैं। इसके बाद भी वे प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। एक नहीं कई स्थानों पर अलग-अलग टाइम पर बैठते हैं। पब्लिक से मोटी फीस वसूलते हैं और दवा कंपनियों से सेटिंग करके अलग कमाई करते हैं। उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई जरूरी है। लेकिन, उससे भी ज्यादा जरूरी है इसे संज्ञेय अपराध घोषित किया जाना। तभी इस बीमारी से छुटकारा मिलेगा। गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने मंदिर के बाहर एडवोकेट्स ने विरोध प्रदर्शन के दौरान ऐसी ही मांग उठाई।

चलाया हस्ताक्षर अभियान

एडवोकेट अजय कुमार मिश्रा ने बताया कि सरकारी डॉक्टर्स की प्राइवेट प्रैक्टिस के विरोध और इलाहाबाद में एम्स स्तर के हॉस्पिटल की मांग को लेकर एडवोकेट के साथ समाजिक कार्यकत्र्ताओं ने संयुक्त रूप से यह अभियान शुरू किया है। इस दौरान हस्ताक्षर अभियान भी चला। 8क्भ् लोगों ने इस मांग से सहमति व्यक्ति करते हुए अपने हस्ताक्षर किए। सरकारी डॉक्टर के प्राइवेट प्रैक्टिस करने के कारण ही आकस्मिक परिस्थितियों में मरीजों को लेकर दिल्ली या लखनऊ जाना पड़ता है। क्योंकि, डॉक्टर सरकारी हॉस्पिटल में मिलते ही नहीं है।

पड़ोसी जिलों से भी आते हैं मरीज

एडवोकेट्स की मानें तो शहर में एकमात्र चिल्ड्रेन हॉस्पिटल है जहां पड़ोसी दर्जनों जिलों से रिफर होकर मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं। यहां पर सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, मिनी ब्लड बैंक आदि की इंतजाम कराया जाए ताकि पब्लिक को राहत मिले। प्रर्दशन के बाद वकीलों ने कमिश्नर बादल चटर्जी को शाम को मेमोरेंडम सौंपा। इस दौरान विवेक मिश्रा, अभिषेक, दिलीप पाण्डेय, पंकज, रवीन्द्र श्रीवास्तव समेत दर्जनभर से अधिक अधिवक्ता मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive