प्रयागराज में हुई पिछले शुक्रवार की हिंसा के मास्टरमाइंड के घर पर बुलडोजर से ध्‍वस्‍त कर दिया गया है। जिसके बाद अब अधिकारी इसी तरह की कार्रवाई के लिए लिस्‍ट के 37 अन्य आरोपियों पर विचार कर रहे हैं।

प्रयागराज (पीटीआई)। एक अधिकारी ने कहा कि प्रयागराज डेवलपमेंट अथॉरिटी (पीडीए) 37 लोगों के घरों की पहचान करने की कोशिश कर रहा है। साथ ही कहा कि जिनके घर बिना नक्‍शे के हैं, तो "कानून के अनुसार" कार्रवाई की जाएगी। बता दें प्रयागराज और उत्तर प्रदेश के कुछ अन्य शहरों में शुक्रवार को भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नुपुर शर्मा द्वारा अपमानजनक टिप्पणी के विरोध में विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी। रविवार को पीडीए ने हिंसा के मुख्य आरोपी जावेद अहमद के घर पर बुलडोजर चलाया था। प्रयागराज के सिनियर सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस अजय कुमार ने बताया था कि तलाशी के दौरान अहमद के घर से दो देशी पिस्तौल और कई जिंदा कारतूस बरामद किए गए।
37 आरोपितों के पते तलाश रही है पीडीए
कुमार ने बतााया कि पथराव में शामिल अन्य लोगों की भी लिस्‍ट मिली है। साथ ही कहा कि पीडीए 37 आरोपितों के पते तलाश रही है। हालांकि पथराव के बाद ज्यादातर लोगों ने अपने घरों में ताला लगा दिया और वहां से निकल गए। इस वजह से उनके सटीक घर खोजने में दिक्कत हो रही है। उन्‍होंने आगे कहा कि अधिकारी घरों का पता लगाने के लिए गलियों में जा रहे हैं। एक बार घरों की पहचान हो जाने के बाद, वे जांच करेंगे कि क्या घर बिना नक्‍शे को पीडीए द्वारा अनुमति दी गई थी, ओर अगर नही दी गई थी तो कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। एक अधिकारी ने पहले कहा था कि शहर के करेली इलाके में मुख्य आरोपी जावेद अहमद के घर जे के आशियाना के निर्माण की योजना को मंजूरी नहीं दी गई थी। उन्‍होंने कहा कि पीडीए से बिना नक्शा पास कराए ही घर बनाया गया था।
10 मई को नोटिस किया गया था जारी
अधिकारी ने कहा कि इसके लिए उन्हें 10 मई को नोटिस जारी किया गया था और 24 मई को अपना पक्ष रखने को कहा गया था। लेकिन दी गई तारीख पर न तो जावेद और न ही उनके वकील आए, न हीं दस्तावेज़ प्रस्तुत किया गया था। इसलिए 25 मई को विध्वंस आदेश जारी किए गए थे। बता दें आरोपी की तरफ से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल की गई थी। जिसमें पांच वकीलों के एक समूह ने ने दावा किया कि घर वास्तव में अहमद की पत्नी परवीन फातिमा का है। जो उसे उसके माता-पिता ने उसकी शादी से पहले दिया था। इसलिए अहमद का इस पर कोई अधिकार नही है। साथ ही यह विध्वंस कानून के खिलाफ था। वकीलों ने कहा कि पीडीए ने 11 जून को सदन में एक नोटिस चिपकाया था। जिसमें पिछली तारीख के कारण बताओ नोटिस का उल्लेख किया गया था। लेकिन अहमद या उनकी पत्नी को कभी भी कारण बताओ नोटिस नहीं मिला था।

Posted By: Kanpur Desk