-PCS result के बाद चला चुहलबाजी का दौर

-यादें हुई ताजा, मिलने मिलाने और बतकही का सिलसिला

-जागते बीती रात, बधाइयों में बीता दिन

-शुरू हो गई दूल्हे राजा की तलाश

ALLAHABAD: उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीपीएससी) में पीसीएस के रिजल्ट का हमेशा ही प्रतियोगियों को बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है। जैसे-जैसे परीक्षा परिणाम समय करीब आता है वैसे-वैसे अभ्यर्थियों की बेकरारी भी देखते ही बनती है। वहीं मंडे को पीसीएस के रिजल्ट में सफलता हासिल करने वाले अभ्यर्थियों के लिए अब तनावपूर्ण माहौल का समय बीत चुका है। देखते ही देखते आम छात्र से अफसर बन चुके इन अभ्यर्थियों के लिए मंडे की पूरी रात और ट्यूजडे का दिन कुछ ऐसा रहा जिसे शायद ही कभी ये भुला पाएं। कुछ ऐसे ही पल यूनिवर्सिटी रोड, हास्टल और डेलीगेसियों में ट्यूजडे को पूरे दिन देखने को मिले।

जनाब पीसीएस हुए हैं

दिन में करीब एक बजे छात्रसंघ भवन से हालैण्ड हाल की ओर जा रही रोड पर पांच-छह की संख्या में खड़े कुछ लड़के किसी के आने का इंजतार कर रहे थे। पहले तो उनपर किसी का ध्यान नहीं गया। इस बीच एक मोटरसाईकिल पर सवार दो लड़के आते हैं। उन्हें दूर से देखते ही पहले से मौजूद लड़कों के चेहरे खिल उठते हैं। बाइक रुकती उससे पहले ही मौजूद लड़के बाइक पर पीछे बैठे लड़के की ओर तेजी से लपकते हैं। वे कुछ बोलें इससे पहले ही बाइक पर पीछे बैठा लड़का तेजी से चिल्लाता है साला, मैं तो साहब बन गयाइस पर गले मिलने और एक-दूसरे को खींचने जो दौर चलता है। उसे देख यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले और कुछ दूरी पर खड़े छात्रों का हुजूम भी समझ जाता है कि ये जनाब पीसीएस हुए हैं।

हाथ जोड़ा और बोले अब नय पढ़ना

इस बीच यूनिवर्सिटी रोड पर सफलता पाए कुछ प्रतियोगी अपने संघर्ष के दिनों की यादें ताजा करने के लिए पहुंचना नहीं भूले। यूनिवर्सिटी रोड पर पाकड़ के पेड़ के नीचे जमा ऐसी ही मंडली में कुछ चयनित छात्रों ने अपनी भावनाएं दिल खोलकर शेयर कीं। इसमें एक पीसीएस ने अपने शुभचिंतक मित्र द्वारा फ्यूचर पर दागे गए सवाल पर तपाक से हाथ जोड़कर कहा भाई अब नय पढ़नातो इसपर बाकी सेलेक्टेड पीसीएस का भी जवाब तो कुछ नहीं आया अलबत्ता वे कुछ मुस्कुरा जरूर दिए। इस दौरान कुछ चर्चा संघर्ष के दिनों को लेकर छिड़ी तो किसी ने अपने हास्टल को याद किया तो किसी ने किराए के कमरे से मुक्ति पा लेने पर राहत की सांस ली।

भड़ास निकाल बोले सबको बताएंगे

हां चर्चा के इस दौर में एक-दो ऐसे भी रहे जो अपने चाचा, दादा, पापा और कुछ दोस्तों के अतुलनीय योगदान को याद करना नहीं भूले। वहीं एक महाशय ऐसे भी थे, जिन्हें सफलता के बाद पूर्व में विलेन साबित हुए रिश्तेदार भी खूब याद आए। बुरे दिनों में उनके दिए गए तानों को याद कर बार-बार सिहर रहे इस शख्स ने अपनी भड़ास निकालते हुए कहा पहले तो पहचानते ही नहीं थे, गांव में ऐसा बिहेव करते थे मानों आठ साल तैयारी करके मैंने कोई पाप कर दिया। अब जब रिजल्ट आया तो ऐसे-ऐसे दूर दराज के रिश्तेदार फोन कर रहे हैं, जिन्हें ये पहचानते तक नहीं। भड़ास निकालते हुए बोले कि अब सब खुद को काका, बुआ और चाची बता रही हैं, बोले सबको बताएंगे।

फ्री वाली लुगाई न चली

पुराने दिनों से आगे निकलकर बात कुछ आगे बढ़ी तो मंडली में शामिल दो कुंवारे पीसीएस जमकर घेरे गए। मित्र मंडली में एक ने कहा गुरु अब कितने में बात बनी(इनका मतलब शादी से था)। इससे पहले कि कुछ जवाब आता दूसरे ने बीच में कूदते हुए मसखरे अंदाज में कहा भई इनका तो टेम्पो हाई है। पचास लाख की बोली तय है। इसपर कुछ शांत खड़े दूसरे कुंवारे पीसीएस बहुत उकसाने पर धीरे से बोले अब फ्री वाली लुगाई न चली। इसपर दूसरे ने तंज कसा और बोले सही कह रहे हो आयोग तक कुंवारों की खोज शुरू हो चुकी है।

Posted By: Inextlive