- पौधे लगाने के बाद रखवाली का नहीं रखते ख्याल

- इको गार्डेन में आग में झुलस गए 300 से ज्यादा पौधे

LUCKNOW:

एलडीए ने लाखों खर्च कर स्मारकों में बड़ी संख्या में प्लांटेशन कराया था। बाद में बनी स्मारक समिति को इनकी रखवाली का जिम्मा दिया गया। इनको बचाने के लिए मालियों की फौज लगाई गई। फिर भी हफ्ते भर के अंदर दो बार आग लगने से 300 से अधिक पेड़ नष्ट हो गए। अब जो पेड़ बचे हैं वे भी सूखने की कगार पर हैं।

लाखों की संख्या में आए थे पौधे

शहर के स्मारकों में बसपा शासन काल के दौरान लाखों की संख्या में पेड़ों को बाहर से मंगवा कर लगाया गया था। इसमें पीपल, पाकड़, ताड़, सहित विभिन्न किस्मों के पेड़ हैं। उम्मीद जताई जा रही थी कि जब ये पेड़ बड़े होंगे तो इसका फायदा वातावरण को मिलेगा। लेकिन अब ये पेड़ लापरवाही की भेंट चढ़ रहे हैं।

तैनात हैं 1200 सुरक्षा कर्मी

स्मारकों और पेड़ पौधों की सुरक्षा के लिए ही 1200 सुरक्षा कर्मी विशेष सुरक्षा वाहिनी में भर्ती किए गए थे। साथ ही लगभग 5400 अन्य कर्मचारी भी हैं। इसमें बड़ी संख्या में माली हैं जिनका काम सिर्फ पेड़ों का रखरखाव करना है। लेकिन फिर भी बड़ी संख्या में पेड़ सूख चुके हैं। कई जगहों से पेड़ गायब हैं तो कई जगहों पर सिर्फ ट्री गार्ड ही बचे हैं।

कराई गई नई बोरिंग

स्मारक समिति के मुख्य प्रबंधक और सचिव एलडीए जय शंकर दुबे ने बताया कि पेड़ों को बचाने के लिए फायर हाइड्रेंट लगाए जा रहे हैं। साथ ही पानी की परेशानी को दूर करने के लिए स्मारकों में जरुरत के मुताबिक बोरिंग भी कराई गई है। ताकि हरियाली बनी रहे और पर्यावरण को भी संरक्षित किया जा सके।

अब बढ़ाएंगे पौधे

एलडीए सचिव जय शंकर दुबे ने बताया कि जल चुके पेड़ों की जगह दूसरे पौधे तो लगाए ही जाएंगे साथ ही अन्य जगहों जहां पर भी स्कोप है वहां भी बड़े पैमाने पर प्लांटेशन कराया जाएगा। स्मारकों में अभी बहुत खाली जगह है जहां पर पेड़ लगाए जा सकते हैं। इससे स्मारकों की सुन्दरता तो बढ़ेगी ही साथ ही पर्यावरण भी सुधरेगा।

एक पौधा लगाएं क्योंकि

पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक एक पौधा 50 साल में 17.50 लाख रुपये की ऑक्सीजन देता है। 41 लाख रुपए के पानी की रीसाइकिलिंग करता है। 300 पेड़ मिलकर एक व्यक्ति द्वारा फैलाए गए पाल्यूशन को खत्म करने की क्षमता रखते हैं। 35 लाख रुपये के वायु प्रदूषण को नियंत्रित करता है। तीन फीसद तक तापमान को नियंत्रित करता है। 18 लाख रुपए की जमीन कटाव पर खर्च को रोकता है। साथ ही तीन किलो से अधिक कार्बन डाई ऑक्साइड हर साल सोखता है।

Posted By: Inextlive