Jamshedpur: गर्वनमेंट ऑफ इंडिया ने 2008 से 24 जनवरी को नेशनल गर्ल चाइल्ड डे के रुप में डिक्लेयर किया है. गर्वनमेंट द्वारा लिए गए इस स्टेप का मेन ऑब्जेक्टिव सोसायटी में गर्ल चाइल्ड के प्रति रिस्पेक्ट और उनके वैल्यू को बढ़ाना है ताकि इंडिया के चाइल्ड सेक्स रेसियो के डेक्लीनेशन को रोका जा सके.

सिटी का सेक्स रेशियो है कम

सिटी का सेक्स रेशियो 2011 के सेंसस के अनुसार 887 है जोकि  पूरे ईस्ट सिंहभूम में 922 है। ये रेशियो 0 से 6 साल तक के बच्चों का है। सिविल सर्जन डॉ जगत भूषण के अनुसार स्थिती काफी चिंताजनक है। अगर ऐसा ही आगे चलता रहा तो शायद आने वाले दिनों में डिफरेंस और बढ़ जाएगा, लोगों को अब जागरुक होने की जरूरत है.

कोशिशें हो रहीं नाकाम
सिटी में चाइल्ड सेक्स रेशियो  लगातार घटता जा रहा है। अल्ट्रासाउंड सेंटर्स पर कड़ी निगरानी ना रखा जाना इस घटते चाइल्ड सेक्स रेशियो का एक बड़ा रीजन है। अल्ट्रासाउंड सेंटर्स को रेग्यूलेट करने के लिए कई रुल्स बनाए गए हैैं। पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत अल्ट्रासाउंड द्वारा सेक्स डेटरमिनेशन पर रोक लगाया गया है। रूल के अनुसार सभी अल्ट्रासाउंड सेंटर्स का रजिस्ट्रेशन होना चाहिए पर हेल्थ डिपार्टमेंट की कड़ी निगरानी ना होने की वजह से कई जगहों पर इललीगल तरीके अल्ट्रासाउंड सेंटर चलाए जा रहे हैैं। इस पर रोक नहीं लग पा रहा है। लोग आराम में गर्भ में पल रहे गर्ल चाइल्ड का पता कर लेते हैं और बच्चा गिरा देते हैं।

ये भी हमारे सोसायटी का ही हिस्सा है
लडका लडकी में  फर्क नहीं रहा। आज सोसायटी में एक हिस्सा ऐसा है जो अपनी फैमिली में केवल गर्ल चाइल्ड ही प्रीफर करता है या उन्हें फर्क नहीं पड़ता कि उनका बच्चा लडक़ी है या लडक़ा। बिष्टुपुर की एकता हमेशा से ही चाहती थी कि उनको बेबी गर्ल हो। भगवान ने उनकी सुन ली, वो अपनी डेढ़ साल की आलिया के साथ काफी खुश हैं। सोनारी स्थित रागिनी रौशन की दो-दो बेटियां हैं। उन्हें बेटियों की मां होने पर काफी फक्र है।

लड़कियों को न समझें कम
जमशेदपुर में ऐसे कई एग्जाम्पल आपको मिल जाएंगे जिनमें लड़कियों ने अपने टैलेंट की वजह से न केवल अपने परिवार का बल्कि  सिटी का नाम भी रौशन किया है। स्पोर्ट्स के फिल्ड में दीपिका ने अपनी पहचान आज पूरे वल्र्ड में फेमस आर्चर के रुप में बनाई है। तो वहीं स्प्रीहा विश्वास ने आईसीएससी बोर्ड 2011 में इंडिया में टॉप किया था। इंटरटेनमेंट वल्र्ड में टेल्को की शिल्पा राव, सोनारी की प्रत्यूषा बैनर्जी, विया रॉय चौधरी, श्रुति कंवर एक जाना पहचाना नाम हैं। वहीं हाउसवाइफ प्रेमलता अग्रवाल ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ कर साबित कर दिया कि महिलाएं किसी उम्र में भी कमाल कर सकती है।

पीसीपीएनडीटी एक्ट को सही तरह से इंप्लीमेंट करने के लिए हमारा डिपार्टमेंट एक्टिव होकर काम कर रहा है।
डॉ जगत भूषण, सिविल सर्जन

मैंने लावण्या के होने से पहले यह डिसाइड किया था कि अगर मुझे गर्ल चाइल्ड होती है तो मैैं सेकेंड चाइल्ड के बारे में नहीं सोचुंगी। मैैं अपनी इकलौती बेटी के साथ बहुत खुश हूं।
सुकन्या दास, साकची
मेरे घर में तो दो दो लक्ष्मी हैं। मेरी बड़ी बेटी आस्था क्लास 7 में हैं और छोटी बेटी सान्वी 8 महीने की। मैं चाहती हूं कि मेरी बेटियां मेहनत के बल पर परिवार का नाम रौशन करे।
रागिनी रौशन, सोनारी
मेरी बेटी नियति अभी क्लास 1 में पढ़ती है। मैैं बहुत खुश हूं कि भगवान ने आर्शीवाद के रूप में हमें बेटी दिया। लोगों को अब बेटे और बेटी में कोई डिफरेंस नहीं करना चाहिए।
प्रीति पांडे, सोनारी

मैैं और मेरे हसबेंड फस्र्ट बेटी आलिया के आने से काफी खुश हुए थे।
एकता सिंह, बिष्टुपुर


Posted By: Inextlive