आबादी बढ़ती गई, उत्पादन घटता गया
जिले में लगातार कम हो रही कृषि योग्य भूमि, अंधाधुंध निर्माण से आई यह स्थिति
ALLAHABAD: आबादी तेजी से बढ़ रही है और उत्पादन घटता जा रहा है। 2001 के मुकाबले 2011 में देखते ही देखते जनसंख्या दस लाख बढ़ गई। अगले छह सालों में प्रति वर्ष एक लाख की औसत से जनसंख्या बढ़ी। अब सभी को रहने को घर चाहिए और घर के लिए जमीन चाहिए। नतीजा सामने हैं लगातार कृषि योग्य भूमि घट रही है जिससे उत्पादन भी घट रहा है। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि लोगों ने रहने की व्यवस्था के चक्कर में खाने की व्यवस्था को बिल्कुल भुला दिया है। अब हाल ये कि हर साल जिले में एक से दो फीसदी उत्पादन घट रहा है। खाद्यान्न पर घट रही निर्भरताजिले में खरीफ की फसल का उत्पादन प्रतिवर्ष 5.88 लाख मीट्रिक टन है। रबी का उत्पादन 4.90 मीट्रिक टन बताया जाता है। एक सर्वे के मुताबिक लोगों की निर्भरता अनाज की बजाय फल, साग सब्जी, दूध, अंडा, मांस और मछली पर बढ़ रही है।
कम हो रहा अनाज उत्पादन कृषि विभाग के सोर्सेज बताते हैं कि फाइलों में हर साल खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि दिखाई जा रही है। हकीकत इससे अलग है। प्रति वर्ष एक से दो फीसदी उत्पादन घट रहा है।लगातार कम हो रही कृषि भूमि
तेजी से बढ़ रही जनसंख्या की जरूरतें पूरी करने के लिए अकेले चाका में एक हजार हेक्टेयर से अधिक जमीन पर स्कूल-कॉलेज खोले गए हैं। नवाबगंज में भी यही हाल है। सबसे खराब स्थिति मेजा, मांडा की है। फैक्ट फाइल 10 लाख मीट्रिक टन जिले में कुल खाद्यान्न उत्पादन (रबी और खरीफ मिलाकर) 4.40 लाख हेक्टेयर जिले में कुल खेती योग्य भूमि 01 से 02 फीसदी हर साल घट रहा जिले में उत्पादन 04 साल में पांच से दस फीसदी घटा यमुनापार के मेजा, कोरांव, मांडा आदि क्षेत्रों में 01 हजार हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि में हुए व्यवसायिक निर्माण 65 लाख जिले की वर्तमान में जनसंख्या 59.59 लाख थी 2011 में जिले की जनसंख्या 49.36 लाख थी 2001 में जिले की जनसंख्या जिले के कई क्षेत्रों में खाद्यान्न का उत्पादन गिरा है। कृषि आधारित भूमि कम होने से ये स्थिति आई है। हम टेक्नोलॉजी, जैविक खेती और बेहतर बीजों के माध्यम से उत्पादन क्षमता बढ़ाने की कोशिश में लगे हैं। अश्रि्वनी कुमार सिंह, जिला कृषि अधिकारी