अपराधियों के 'टारगेट' के आगे पुलिस फिसड्डी
-पुलिस गुडवर्क से कई गुना ज्यादा होता है अपराध, हर दिन होती हैं कई चोरी, लूट और छेड़खानी की वारदातें
-अधूरे खुलासे ने पुलिस का रिकॉर्ड और किया खराब, कई मामलों में पुलिस दर्ज भी नहीं करती एफआईआर >kushagra.pandey@inext.co.inKANPUR : 31 मार्च यानि गुरुवार को फाइनेंशियल ईयर खत्म होने के साथ ही यह क्लीयर हो गया है कि किस डिपार्टमेंट में किसने टारगेट पूरा किया और कौन फिसड्डी रह गया। इस मौके पर पिछले छह महीने के अपराध की समीक्षा की जाए तो पता चलता है कि अपराधियों ने ताबड़तोड़ वारदात कर अपने टारगेट को पूरा करने के लिए जी-तोड़ मेहनत की है, लेकिन पुलिस टारगेट पूरा करने में फेल साबित हो रही है। पुलिस गुडवर्क कर अपराधियों को पकड़ रही है, लेकिन उनका गुडवर्क अपराध की तुलना में इतना कम है कि वे अपराधियों के सामने फिसड्डी साबित हो रहे हैं। आइए आपको बताते हैं कि पुलिस क्यों अपराधियों के सामने फिसड्डी साबित हो रही है।
हर दिन औसतन 15 मुकदमेशहर में हर दिन अपराधी पुलिस को चुनौती देते हैं। इसका प्रमाण है कि शहर में औसतन हर दिन 15 मुकदमे दर्ज होते हैं। इसमें चोरी, लूट, हत्या जैसे संगीन मामले शामिल हैं। यह तो पुलिस का रिकॉर्ड है। इसके अलावा कई ऐसे मामले होते हैं, जिसमें पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने के बजाय पीडि़त को टरका देती है। वहीं, पुलिस के औसतन गुडवर्क के मुताबिक पुलिस एक दिन में पांच से छह बदमाशों को गिरफ्तार करती है। यह औसतन अपराधिक वारदात से आधा है। इससे साफ है कि अपराधी पुलिस से ज्यादा तेज है।
हर दिन चोरी, लूट और छेड़खानी रिकॉर्ड के मुताबिक शहर में हर दिन चोरी, लूट और छेड़खानी की वारदातें होती हैं। कई बार तो एक दिन में दो से तीन लूट और चोरी की वारदातें हो जाती हैं। यही हाल छेड़खानी के मामलों का है। साउथ एरिया में तो एक दिन में आधा दर्जन से ज्यादा छेड़खानी के मामले सामने आते हैं। छेड़खानी के तो कई मामले पुलिस पीडि़ता को बदनामी का खौफ दिखाकर दर्ज ही नहीं करते हैं। अगर पुलिस हर शिकायत को दर्ज करें तो यह आंकड़ा कई गुना बढ़ जाएगा। इन मामलों में आरोपियों की गिरफ्तारी का औसत बराबर का है, लेकिन चोरी और लूट के मामले में बदमाशों की गिरफ्तारी में पुलिस का रिकॉर्ड बेहद खराब है। ------------------ तीन दिन में एक मर्डर का औसतशहर में हत्या का भी ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। रिकॉर्ड के मुताबिक यहां पर हर तीन दिन में एक हत्या होती है। इसमें सबसे ज्यादा दहेज हत्या के मामले हैं। रिकॉर्ड के मुताबिक हर दूसरा मामला दहेज हत्या का होता है। वहीं, यहां गैंगवार होने से भी हत्या और हत्या के प्रयास के मामले ज्यादा होते हैं। वहीं, इन मामलों में आरोपियों की गिरफ्तारी में पुलिस का रिकॉर्ड बेहद खराब है। रंजिशन हत्या के मामलों में आरोपियों की गिरफ्तारी औसतन पांच से दस दिन में होती है, जबकि दहेज में हत्या में आरोपी की गिरफ्तारी औसतन एक से दो दिन में होती है। इससे पुलिस का रिकॉर्ड खराब हो गया है। मार्च के पूरे महीने में अपराधी तो अपने रिकॉर्ड से आगे निकल गए हैं, लेकिन पुलिस फिसड्डी साबित हुई है।
------------------- खराब हो रहा रिकॉर्डशहर की पुलिस हत्या के दर्जनों मामलों को लंबा समय बीत जाने के बाद भी नहीं खोल पाई है। इसमें हारुन हत्याकांड, पूर्व डीजीपी की रिश्तेदार और उसकी नौकरानी का मर्डर, मेस्टन रोड में बक्से में युवती की लाश मिलने समेत कई केस शामिल हैं। वहीं, स्वरूपनगर टीचर और उसकी मां के मर्डर जैसे दर्जनों मामलों का पुलिस अधूरा खुलासा किया है। इससे साबित होता है कि अपराधी पुलिस से ज्यादा तेज हैं। इससे अपराधियों की गिरफ्तारी में पुलिस का रिकॉर्ड भी खराब हो रहा है।
आंकड़ों में दर्ज अपराध थाना अक्टूबर नम्बर दिसंबर जनवरी फरवरी कल्याणपुर 67 49 43 52 69 चकेरी 55 42 36 66 56 घाटमपुर 43 41 56 73 61कोतवाली 34 33 47 36 41
नौबस्ता 56 35 52 39 44 गोविन्दनगर 46 33 44 40 35 ------------------- इन थानों में सबसे कम मुकदमे मूलगंज 12 07 11 17 09 अर्मापुर 15 14 09 08 19 कोहना 10 15 21 11 18 नर्वल 19 22 29 13 07 बादशाहीनाका 22 19 13 08 14