भारत के नौवहन उपग्रह आईआरएनएसएस 1 सी के प्रक्षेपण की श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र में आज उल्टी गिनती शुरू हो गई है. यह अमेरिका के ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम की तर्ज पर सात उपग्रहों की श्रृंखला में से तीसरा उपग्रह है. इसे पीएसएलवी सी 26 के जरिए प्रक्षेपित किया जाएगा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने बताया कि प्रक्षेपण प्राधिकार बोर्ड एलएबी से कल मंजूरी मिलने के बाद निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आज सुबह छह बजकर 32 मिनट पर उल्टी गिनती शुरू हो गई.

श्रृंखला के दो उपग्रहों को किया जा चुका है प्रक्षेपित
1425.4 किलो वजन के आईआरएनएसएस 1सी का प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारत के पीएसएलवी-सी-26 की 28वीं उड़ान के जरिए किया जाएगा. अमेरिका के जीपीएस की तरह भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आइआरएनएसएस) स्थापित करने के लिए इसरो की 7 उपग्रह भेजने की योजना है. इस श्रृंखला के दो उपग्रह आइआरएनएसएस 1ए को एक जुलाई 2013 और आइआरएनएसएस 1बी को इस साल चार अप्रैल को प्रक्षेपित किया गया.
क्या है इसरो का कहना
इसरो के वरिष्ठ अधिकारियों ने अभियान को लेकर बताया कि आइआरएनएसएस प्रणाली को शुरू करने के लिए सात उपग्रहों में से कम से कम चार उपग्रहों को प्रक्षेपित करने की जरूरत है. यह अमेरिका के जीपीएस, रूस के ग्लोनास व यूरोप के गैलिलियो की तरह ही है. चीन और जापान की भी इसी तरह की प्रणालियां बेईदोउ और क्वासी जेनिथ हैं.
अभियान के लिए की है काफी मेहनत
इस प्रणाली के तहत सात उपग्रहों को स्थापित किया जाना है. 1सी को छह अक्टूबर को प्रक्षेपित करने की योजना थी, लेकिन तकनीकी कारणों से इसे टाल दिया गया था. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया कि अभियान को सफल बनाने के लिए बीते काफी समय से सभी वैज्ञानिकों ने मिलकर बहुत मेहनत की है. अब इंतजार है इस मेहनत के सफल होने का. ताकि इसरो अपने देश को एक बार फिर कुछ नया दे सके और उसको लेकर सभी भारतीयों को उनपर नाज हो सके.

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Posted By: Ruchi D Sharma