मोदी सरकार के पहले आम बजट में पूर्वाचल में एम्स का प्रस्ताव

BHU IMS पहले से ही है AIIMS की दौड़ में शामिल

VARANASI: नरेन्द्र मोदी सरकार के पहले आम बजट में चार ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एम्स खोलने का प्रस्ताव फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने दिया है। खास यह कि इन चार एम्स में से एक एम्स के पूर्वाचल में खोलने की बात कही गयी है। 2014-15 के इस आम बजट में दिये गये इस प्रस्ताव ने बनारस वालों के मन में एम्स की आस को मजबूत किया है। इसके साथ ही इस प्रस्ताव से बीएचयू के एसएस हॉस्पिटल को एम्स का दर्जा दिये जाने की मांग को भी गहरा समर्थन मिला है। हर किसी के मन में एक आस जगी है कि कहीं नरेन्द्र मोदी बनारस को ही पूर्वाचल के एम्स की यह बड़ी सौगात न दे दें।

BHU है दौड़ में सबसे आगे

एम्स की दौड़ में बनारस का नंबर पहले से ही है। बीएचयू को एम्स का दर्जा दिये जाने की मांग कई सालों से उठती रही है। एम्स की मांग को लेकर पिछले साल डॉ। ओमशंकर के नेतृत्व में एक बड़ा आंदोलन बीएचयू के रेजिडेंट्स डॉक्टर्स ने किया था। बीजेपी ने पूर्वाचल में एम्स खोलने को अपने एजेंडे में भी शामिल किया था।

समय व पैसे की होगी बचत

अब अगर बीएचयू में एम्स दिया जाता है तो यह 25 करोड़ की जनता के लिए एक बहुत बड़ी सौगात साबित होगा। दूसरी तरफ नया एम्स बनाये जाने की अपेक्षा बीएचयू को एम्स का दर्जा दिये जाने से पैसे और समय दोनों की बचत होगी। क्योंकि बीएचयू में एम्स के जरूरी बहुत सी सुविधाएं पहले से ही मौजूद हैं। वहीं दूसरी तरफ अगर नया एम्स बनाया गया तो इसे पूरी तरह शुरू होने में कम से कम दस साल और हजारों करोड़ का खर्च आयेगा। बीएचयू को एम्स का दर्जा दिये जाने पर यह खर्च कुछ करोड़ और कुछ साल में सिमट जायेगा।

दे पायेगा बेहतर इलाज

अगर एसएस हॉस्पिटल में आने वाले पेशेंट्स पर गौर करें तो यह हॉस्पिटल पूर्वाचल ही नहीं बल्कि आसपास के प्रदेश व नेपाल, भूटान, बंग्लादेश के लोगों को भी अपनी सेवाएं उपलब्ध कराता है। कुल मिलाकर कहें तो पूर्वाचल में एम्स के नाम से पहचान रखने वाले इस हॉस्पिटल को अगर एम्स का दर्जा मिला तो यह लोगों को और बेहतर इलाज दे पाने में सक्षम होगा।

IMS BHU पर एक नजर

-बीएचयू के एसएस हॉस्पिटल की वर्तमान क्षमता क्ख्00 बेड्स की है।

- हॉस्पिटल को हर साल ख्क्,ब्भ्0 रुपये प्रति बेड बजट प्राप्त होता है।

-साल भर में क्0 लाख पेशेंट्स का इलाज ओपीडी में होता है।

-एसएस हॉस्पिटल में पूर्वाचल के अलावा आसपास के प्रदेशों और पड़ोसी देशों से भी पेशेंट्स आते हैं।

-कई तरह के संसाधनों की कमी से जूझ रहा है हॉस्पिटल।

अगर एम्स हो गया तो

- प्रति बेड क्म्,79, 000 रुपये सालाना का बजट मिलेगा।

- कैंसर, किडनी फेल्योर, हार्ट जैसी गंभीर बीमारियों का होगा मुफ्त इलाज।

-पेशेंट्स को जांच और दवाइयां फ्री में मिलेंगी।

-स्पेशलाइज्ड ट्रीटमेंट की बेहतर व्यवस्था होगी।

- रिसर्च के लिए बेहतर फैसिलिटीज अवेलेबल होंगी।

-हॉस्पिटल में पेशेंट्स को विभिन्न तरह की सुविधाएं उपलब्ध होंगी।

आम बजट में नये एम्स खोलने का प्रस्ताव है। हम तो पहले से ही एम्स की मांग की लड़ाई लड़ रहे हैं। लगता है कि हमारी लड़ाई अब निर्णायक दौर में पहुंच चुकी है। बीएचयू आईएमएस एम्स के दर्जे का सबसे बड़ा हकदार है। बनारस को उसका हक मिलकर रहेगा।

डॉ। ओमशंकर, बीएचयू

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निकाला विजय जुलूस

पूर्वाचल के लिए एक एम्स की घोषणा होते ही आईएमएस बीएचयू के लोगों के चेहरे खिल उठे। इसे लेकर गुरुवार को रेजीडेंट डॉक्टर एसोसिएशन की ओर से बीएचयू कैंपस से लेकर बाहर तक विजय जुलूस निकाला गया। जुलूस का नेतृत्व निलंबित कार्डियोलॉजिस्ट डॉ। ओमशंकर कर रहे थ्ो। उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने वादे को निभाया है।

गोरखपुर भी हो सकता है

सरकार ने यह नहीं बताया कि एम्स पूर्वाचल के किस डिस्ट्रिक्ट में बनेगा। जानकारों की मानें तो पूर्वाचल में एम्स का निर्णय इंसेफ्लाइटिस रोग के मद्देनजर लिया गया है। यह खतरनाक बीमारी गोरखपुर में सर्वाधिक है। यहां हर साल सैकड़ों की संख्या में लोग जापानी बुखार, मेनेंजाइटिस जैसी बीमारियों के शिकार होते हैं। ऐसे में गोरखपुर भी एम्स का एक बड़ा दावेदार है।

Posted By: Inextlive