-- वाहनों की बढ़ती अनियंत्रित संख्या के कारण बढ़ रहा प्रदूषण

- अतिक्रमण रहित सड़के और वाहनों की संख्या हो कम तो सुधर सकते हालात

LUCKNOW (14 May): शहर की आबोहवा सांस लेने लायक नहीं बची है। कई इलाकों में प्रदूषण का लेवल तो काफी खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने यू ही नहीं लखनऊ को विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में 17वें स्थान पर रखा है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजीरिसर्च (आईआईटीआर)की ओर से हर साल जारी प्री और पोस्ट मानसून सर्वे कर प्रदूषण का स्तर मापता है। और हर बार गवर्नमेंट को इसे कम करने के लिए सुझाव भी देता है। जिस पर कोई ठोस कदम न उठाए जाने के कारण ही समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।

बढ़ते वाहन बढ़ा रहे प्रदूषण

एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक लखनऊ में प्रदूषण का मुख्य कारक सड़कों पर दौड़ रहे डीजल व पेट्रोल से चलने वाले वाहन हैं। आरटीओ आफिस के डाटा के अनुसार इस समय लगभग डेढ़ लाख वाहन हर साल की गति से शहर में बढ़ रहे हैं। जबकि पिछले वर्ष 17 लाख से अधिक वाहन सिर्फ लखनऊ में ही रजिस्टर्ड हैं। इसके अलावा लगभग एक लाख वाहन रोजाना दूसरे जिलों से भी राजधानी होने के नाते लखनऊ आते हैं या यहां से गुजरते हैं।

वाहनों की बढ़ती अनियंत्रित संख्या के बावजूद शहर में ट्रैफिक की हालत भी बहुत खराब है। 25 से 30 किमी। की दूरी तय करने मे एक घंटे से अधिक का समय लग रहा है। इसके दौरान फ्यूल कंजप्शन भी उसी रेशियों में काफी बढ़ जाता है। इस दौरान फासिल फ्यूल से उत्सर्जित होने वाली कार्बनडाई ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड जैसी खतरनाक गैसे उत्सर्जित होती है। वहीं अनियंत्रित निर्माण और डेवलपमेंट भी इसमें योगदान दे रहा है।

बढ़ाया जाए प्लांटेशन

एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक डेवलपमेंट के साथ ही ग्रीनरी का विशेष ध्यान रखना होगा। सड़कों के किनारे बड़े पेड़ों और पाक और अन्य जगहों पर हरियाली बढ़ानी चाहिए। क्योंकि ये प्लांट ध्वनि और खतरनाक गैसेज को अवशोषित कर लेते हैं। जिससे प्रदूषण में कमी आती है। लेकिन पिछले कुछ सालों में राजधानी के चारो तरफ ग्रीन बेल्ट को अंधाधुंध तरीके से नष्ट किया गया। अगर इसे रोका न गया आने वाले कुछ सालों में लखनऊ पाल्यूशन के टॉप के शहरों में होगा।

ध्वनि प्रदूषण का लेवल भी बढ़ा

एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक ध्वनि प्रदूषण के लिए भी सबसे अधिक जिम्मेदार वाहन ही हैं। आईआईटीआर ने पिछले वर्ष की रिपोर्ट में बताया कि था कि रेजिडेंशियल हो या इंडस्ट्रियल एरिया हर जगह मानकों से कहीं अधिक ध्वनि प्रदूषण था। रेजीडेंशियल एरिया में प्रेस्क्राइब्ड लिमिट दिन के लिए 55 और 45 डेसीबल रात के लिए है। जबकि पिछले साल की रिपोर्ट में रेजीडेंसियल और इंडस्ट्रियल दोनों जगहों पर डेढ़ से दोगुने तक का ध्वनित प्रदूषण था।

दी रिकमेंडेंशंस

आईआईटी आर के साइंटिस्ट्स ने पॉल्यूशन लेवल को कम करने के लिए रिकमेंडेंशंस दी है कि शहर में मेट्रो, मोनोरेल जैसे पब्लिक मास ट्रांसपोर्ट को शुरू किया जाए जिससे पर्सनल वेहिकिल्स में कमी आए। साथ ही ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम को इम्प्रूव किया जाए। रोड्स से इनक्रोचमेंट हटाया जाए और ट्रैफिक को स्मूथ किया जाए। प्रेशर हार्न को सभी वाहनों से हटाया जाए और ऑटोमोबाइल पॉल्यूशन को कम किया जाए। गवर्नमेंट को पार्किंग चार्जेज बढ़ाने चाहिए और इसे आवर्ली बेसिस पर किया जाए ताकि लोग निजी वाहनों का कम यूज कर सकें। पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ बनाए जाएं।

मानकों से दोगुना पाल्यूशन

नेशनल एम्बिएंट एयर क्वालिटी स्टैंड‌र्ड्स (एनएएक्यूएस) के अनुसार शहर में रेस्पीरेबल सस्पेंडेंड पर्टीकुलेट मैटर (आरएसपीएम) की मात्रा इंडस्ट्रियल, रेजीडेंसियल, रूरल और अन्य एरियाज में 100 माइक्रो ग्राम प्रति मीटर क्यूब होनी चाहिए। लेकिन 2015 में रेजीडेंशियल एरियाज अलीगंज, विकास नगर, इंदिरा नगर और गोमती नगर में एवरेज कंसंट्रेशन एवरेज 182.5 रही। जबकि 2010 में यह मात्रा 156 थी।

वहीं 2015 में कामर्शियल एरियाज चारबाग, आलमबाग, अमीनाबाद और चौक में एवरेज कंसंट्रेशन एवरेज 294 रही। वहीं इंडस्ट्रियल एरिया अमौसी में यह 199.4 रही। जबकि 2010 में इन इलाकों में पाल्यूशन लेवल एवरेज 216.2 तक था। इंडस्ट्रियल एरिया अमौसी में यह मात्रा सिर्फ 160 थी।

यह भी जानें

शहर में 2015 वाहनों की संख्या- 1709662

2014 में वाहनों की संख्या- 1553065

2010 में वाहनों की संख्या- 1107455

शहर में फ्यूल आउटलेट्स की संख्या- 101 (6 सीएनजी)

साल भर में पेट्रोल खपत-

2015 में -- 1,49,281 किलोलीटर

2010 में-- 1,08,959

साल भर में डीजल खपत-

2015 में -- 1,58,534 किलोलीटर

2010 में -- 1,13,779

सीएनजी- 277,40,909 किलो

कोट--

सरकार साइकिल पाथ बना रही है। लोग इनका अच्छे से प्रयोग करें सरकार इनकी सुरक्षा पर भी ध्यान दे। ताकि लोग बिना रोक टोक आ जा सके। स्कूल कॉलेज, आफिस के लिए इनके प्रयोग को बढ़ावा मिलना चाहिए।

डॉ। प्रदीप श्रीवास्तव, सीनियर साइंटिस्ट

कोट-

सिटी में सक्षम लोग अपने घरों में सोलर पावर सिस्टम लगाएं। जिससे ग्रीन एनर्जी प्रोड्यूस होगी जिसे हम बैट्री चालित ई रिक्शा में प्रयोग कर सकते हैं। बैट्री चालित कारों को भी यहां बढ़ावा मिलना चाहिए। ताकि फॉसिल फ्यूल से होने वाले कार्बन उ‌र्स्जन को कम किया जा सके।

प्रो। भरत राज सिंह, पर्यावरणविद

Posted By: Inextlive