फ्लैग- पर्यावरणविद् और बीसीबी के प्रोफेसर ने रिसर्च कर केंद्रीय पर्यावरण विभाग को भेजी रिपोर्ट

-घर के अंदर या बाहर कहीं भी लगा सकते हैं मॉश प्लांट

-रिचर्स में चार घंटे में एक कमरे का 15 फीसदी कम हुआ पॉल्यूशन

बरेली : देखने में छोटा पर काम बड़ा। यह बात मॉस प्लांट पर बिल्कुल फिट बैठती है। यह नन्हा पौधा प्रदूषण के लिए काफी कारगर है। यह बात हम नहीं बल्कि रिचर्स रिपोर्ट बोल रही है। बरेली कॉलेज बरेली के रिटायर्ड प्रोफेसर और पर्यावरणविद् डॉ। डीके सक्सेना और बॉटनी विभाग के एचओडी डॉ। आलोक खरे ने रिचर्स कर इसकी विशेषता को साबित किया है। उनकी रिपोर्ट के मुताबिक मॉस प्लांट वातावरण में मौजूद पॉर्टिक्यूलेट मैटर यानि पीएम टू कणों और कार्बन कणों को बहुत तेजी से अवशोषित करता है। वहीं यह पौध इतना छोटा है कि इसको कमरे में भी रखा जा सकता है।

कमरे में किया रिचर्स

एक बंद कमरे में मॉस प्लांट के पौधे को रखा गया। कमरे के वातावरण में मौजूद पीएम टू पार्टिकल्स की जांच की गई। पौधे को चार घंटे तक ऐसे ही छोड़ दिया गया। चार घंटे बाद जब पीएम टू की जांच की गई तो इसमें 15 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। यह परीक्षण लगातार एक सप्ताह तक किया गया। जिसके बाद इस पौधे की विशेषता उजागर हुई।

सजावटी पर गुणों से भरपूर

देखने में यह पौधा स्नेक प्लांट और मनी प्लांट के जैसे भले ही दिखता है लेकिन यह पौधा सजावट के साथ ही आपकी जिंदगी बचाने में कारगर साबित हो सकता है। छोटा होने के कारण इसको गमले में लगाकर कमरे में रखा जा सकता है।

यह हैं विशेषताएं

- कार्बन समेत अन्य प्रदूषक कणों को अवशोषित करता है।

- छोटा इतना कि गमले में रखा जा सकता है।

- सूरज की रोशनी पर निर्भर नहीं

- रात में भी कार्बन कणों को अवशोषित करता है।

- पानी की जरुरत अन्य पौधे की तुलना में काफी कम

- फंगस या बैक्टीरिया भी जल्द अटैक नहीं करता

- लॉन या पार्क में फैलने पर अपनी नमी से प्रदूषित कणों को ऊपर नहीं उठने देता है।

क्या होते हैं पीएम टू पार्टिकल

पीएम टू ऑग्रेनिक पार्टिकल होते हैं जो कूड़ा, इलेक्ट्रिक कचरा और पेट्रोल डीजल के जलने से उत्पन्न होते हैं। हवा में घुलकर सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। जिससे गंभीर बीमारियां हो सकती है। इन पॉर्टिकल्स को नेक्ड आई यानि आंखों से नहीं देखा जा सकता है।

वर्जन

6 माह पहले मॉस प्लांट पर पर्यावरणविद् डॉ। डीके सक्सेना के साथ मिलकर रिसर्च की थी। जिसमें प्लांट की कई खूबियां समाने आई थी, इसकी रिपोर्ट केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भेजी गई है। यह पौधा वातावरण में मौजूद प्रदूषक कणों को अवशोषित कर करीब 15 फीसदी तक कम करता है।

डॉ। आलोक खरे, एचओडी, बॉटनी विभाग, बीसीबी।

Posted By: Inextlive