कभी कभी ऐसा होता है कि समझ ही नहीं आता कि फिल्म पसंद आई या नहीं दिमाग कंफ्यूसिंग इमोशन से घिर जाता है। ये तब होता है जब फिल्म का कुछ हिस्सा तिलिस्मी होता है और कुछ इतना अच्छा नहीं होता। नीरज पांडे की अय्यारी एक जबरदस्त कांसेप्ट और अच्छी कहानी है जो अंत में आपको असमंजस में डाल सकती है।

क्या आया पसंद  
अय्यारी की थीम, और फिल्म की कहानी बेहद अच्छी है, जो जनरेशन गैप और सुपीरिओरिटी काम्प्लेक्स के बैकड्रॉप पर एक अच्छी थॉट प्रोसेस को दिखाती है। ये कहानी काफी  इंट्रेस्टिंग भी है। फिल्म के डायरेक्टर नीरज पांडेय ने एक 'अय्यार' की कम्पलीट प्रोफाइल यहां डिफाइन ही कर दी है। कहना गलत नहीं होगा कि वो चंद्रकांता के लेखक देवकी नंदन खत्री के मोहपाश से ग्रसित हैं और ये फिल्म के फेवर में जाता है। फिल्म का साउंड डिजाइन इस फिल्म का एक प्रमुख किरदार है। फिल्म की सिनेमाटोग्राफी भी काफी उम्दा है।


 

अदाकारी
ये डिपार्टमेंट नीरज का सबसे स्ट्रांग डिपार्टमेंट है। मनोज बाजपेयी इस फिल्म के असली अय्यार हैं। अपने सटीक परफॉरमेंस की वजह से वो डल स्क्रीनप्ले को भी देखने लायक बना देते हैं। मनोज के सामने सिद्धार्थ मल्होत्रा फीके हैं पर उनकी अपनी पिछली परफॉर्मेंस के मुकाबले ये उनका सबसे अच्छा एटेम्पट कहा जाएगा। बाकी पूरी कास्टिंग परफेक्ट है। फिल्म कहीं-कहीं पर काफी स्लो है और इसीलिए दर्शकों के सब्र का इम्तेहान जरूर लेगी। अपनी कहानी, एक्टिंग परफॉरमेंस और साउंड डिजाइन के लिए एक बार इस थ्रिलर फिल्म को थिएटर में जाके देखना तो बनता है।

 


रेटिंग : 3स्टार

 

Posted By: Vandana Sharma