पाक अधिकृत कश्‍मीर में घुसकर आतंकियों को मारने के बाद भारतीय कमांडो की हर तरफ तारीफ हो रही है। उड़ी हमले का बदला लेने के लिए भारत ने कई दिनों पहले ही प्‍लॉनिंग कर ली थी। और इस प्‍लानिंग के मुखिया थे भारत के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी अजीत डोभाल। डोभाल की निगरानी में ही भारतीय कमांडो ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया और आतंकियों को बड़ा सबक सिखाया।



Pok में सर्जिकल स्ट्राइक से पहले डोभाल ने पूर्वोत्तर भारत में भी ऐसे ही एक ऑपरेशन को अंजाम दिया था। कुछ महीनों पहले भारतीय सेना ने सीमा पार म्यांमार में कार्रवाई कर उग्रवादियों को मार गिराया। इस ऑपरेशन के मास्टइमाइंड भी डोभाल थे। भारतीय सेना ने म्यांमार की सेना और एनएससीएन खाप्लांग गुट के बागियों के सहयोग से ऑपरेशन चलाया, जिसमें करीब 30 उग्रवादी मारे गए थे।

साल 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी-814 को काठमांडू से हाईजैक कर लिया गया था। उस समय डोभाल को भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार बनाया गया था। इसके अलावा कश्मीर में भी डोभाल ने कई काम किए हैं। डोभाल ने उग्रवादी संगठनों में घुसपैठ कर ली थी। उन्होंने उग्रवादियों को ही शांतिरक्षक बनाकर उग्रवाद की धारा को मोड़ दिया था। उन्होंने एक प्रमुख भारत-विरोधी उग्रवादी कूका पारे को अपना सबसे बड़ा भेदिया बना लिया था।

अस्सी के दशक में डोभाल उत्तर पूर्व में भी सक्रिय रहे। उस समय ललडेंगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट ने हिंसा और अशांति फैला रखी थी। लेकिन तब डोवाल ने ललडेंगा के सात में छह कमांडरों का विश्वास जीत लिया था और इसका नतीजा यह हुआ था कि ललडेंगा को मजबूरी में भारत सरकार के साथ शांतिविराम का विकल्प अपना पड़ा था।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari