अक्षय तृतीया का पर्व 14 मई शुक्रवार को मनाया जा रहा है। इस दिन शुभ कार्य करने से उसका फल हमेशा बना रहता है। आइए जानें अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त के बारे में और जानें इसका क्या है महत्व।

पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। इस साल अक्षय तृतीया 14 मई को है। इस दिन को अख तीज के रूप में भी जाना जाता है। यह हिंदुओं और जैनियों के लिए बेहद शुभ और पवित्र माना जाता है। अक्षय तृतीया वैशाख माह में शुक्ल पक्ष तृतीया के दौरान आती है। संस्कृत में अक्षय शब्द का मतलब होता है जो अंतहीन या हमेशा के लिए है और इसलिए अक्षय तृतीया को सौभाग्य लाने के लिए माना जाता है। शुभ अक्षय तृतीया पर, लोग नए काम या व्यवसाय शुरू करना पसंद करते हैं।

फल कभी भी समाप्त नहीं होता
वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि को "अक्षय तृतीया" कहा जाता है।यह पर्व पूर्वाह्न व्यापिनी में मनाया जाता है। इस बार दिनाँक 14 मई 2021,शुक्रवार को तृतीया तिथि सूर्योदय से दिनाँक 15 मई 2021,प्रातः काल 7:59 बजे तक रहेगी। रोहिणी नक्षत्र प्रातः 5:44 बजे तक तत्पश्चात मृगशिरा नक्षत्र रहेगा। मान्यता है कि इस दिन किया गया कोई भी धार्मिक कार्य अक्षय होता है,उसका फल कभी भी समाप्त नहीं होता।भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि से युगादि तिथियों का प्रारंभ हुआ था, इसलिए इसका धार्मिक महत्व है।ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का अविर्भाव भी इसी दिन हुआ था। मुहूर्त ज्योतिष में इस दिन को "अबूझ मुहूर्त" के रूप में मान्यता प्राप्त है। इस दिन तिल सहित कुशों से पितरों का जलदान करने से पित्तीश्वरों की अनंत काल तक तृप्ति होती है।इस दिन मूंग एवं चावल की खिचड़ी बिना नमक डाले बनाई जाती है।

ज्योतिष की दृष्टि में महत्व
इस वर्ष 14 मई 2021,शुक्रवार को भारतीय समय अनुसार सूर्योदय से दिनाँक 15 मई 2021 को प्रातः काल 7:59 बजे तक तृतीया तिथि रहेगी।इस दिन *रोहिणी नक्षत्र प्रातः काल 5:44 बजे तक तक रहेगा। सुकर्मा योग सूर्योदय से पूरे दिन रहेगा तत्पश्चात धृति योग आरम्भ होगा।सूर्योदय से साँय काल 7:03 बजे तक मृगशिरा का चंद्र होगा।

खाता पूजन प्रथम मुहर्त
अभिजित मुहूर्त,पूर्वाह्न 11:08 बजे से 11:58 बजे तक रहेगा। इस दिन प्रातः कालीन स्थिर लग्न वृष 5:28 से 7:22 बजे तक,इस समय चर नाम का चौघड़िया मुहूर्त भी होगा।इस समय लग्नेश लग्न में ही विधमान रहेंगे।द्वितियेश और पंचमेश पराक्रमेश के साथ लग्न में विद्दमान रहेंगे।चतुर्थेश सूर्य अपनी उच्च राशि में रहेंगे।अतः इस स्थिर लग्न में सभी ग्रह अनुकूल हैं।

दूसरा मुहूर्त
द्वस्वाभाविक मिथुन लग्न मुहुर्त प्रातः काल 7:21से 9:41 बजे तक रहेगा।इस लग्न में प्रातः काल अमृत का चौघड़िया मुहूर्त भी रहेगा। इस मिथुन लग्न में धनेश चंद्र अपनी उच्च राशि वृष में विराजमान रहेंगे।

तृतीय खाता पूजन मुहूर्त
इस मुहूर्त में स्थिर लग्न सिंह अपराह्न 1:02 बजे से अपराह्न 2:14 बजे तक रहेगी।इस मुहूर्त में अपराह्न 1:31 बजे से 3:00 बजे तक शुभ का चौघड़िया मुहूर्त रहेगा।इस लग्न में राहु और शनि का दानोपाय करके एवं गणेश,महालक्ष्मी,कुबेर,इन्द्रादि का पूजन करके खाता पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा।

चतुर्थ चौघड़िया मुहूर्त
चर-लाभ-अमृत की सँयुक्त बेला मुहूर्त:-प्रातः काल 5:41बजे से अपराह्न 10:38 बजे तक

महत्व
पुराणों के अनुसार इसी दिन से सतयुग एवं त्रेतायुग का आरम्भ हुआ था। विष्णु धर्मोतर पुराण में कहा गया है कि जो व्यक्ति एक भी अक्षय तृतीया के व्रत कर लेता है, वह सब तीर्थों का फल प्राप्त पा जाता है। भगवान श्री कृष्ण का कथन है कि अक्षय तृतीया के दिन स्नान,जप,तप, होम,स्वध्याय,पित्र, तर्पण और दान जो कुछ भी किया जाता है, वह सब अक्षय हो जाता है।इसलिए इस तिथि को "अक्षय तृतीया" के नाम से जाना जाता है।शास्त्रों के अनुसार बहुत से शुभ व पूजनीय कार्य इसी दिन आरम्भ किये जाते हैं जिनसे सुख,समृद्वि और सफलता की प्राप्ति होती है।
इसलिए नये व्यवसाय, भूमि का क्रय,भवन,संस्था का उदघाट्न, विवाह,हवन आदि इस तिथि को किये जाते हैं।जो मनुष्य इस दिन गंगा स्नान करता है, वह सब पापों से मुक्त हो जाता है।भगवान परशुराम का अवतरण भी इसी दिन होने के कारण उनकी जयंती भी इसी दिन मनाई जाती है।यदि ये व्रत सोमवार, रोहिणी, कृतिका नक्षत्र से युक्त हो, तो अधिक फलदायक माना जाता है। भगवान बद्रीनाथ धाम के पट(द्वार) भी इसी दिन खुलते हैं।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari