-किराएदार रखने वालों को ही देना होगा पांच गुना हाउस टैक्स

-मकान में नहीं है कोई किराएदार तो प्रस्तावित दर में मिलेगी 40 फीसदी की छूट

-मुख्य कर निर्धारण अधिकारी पीके मिश्रा से दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की बातचीत

balaji.kesharwani@inext.co.in

PRAYAGRAJ: नगर निगम प्रयागराज हर महीने अरबों रुपए खर्च के बोझ से दबा हुआ है। सोर्स ऑफ इनकम कम और एक्सपेंसेज ज्यादा हैं। खाली खजाना भरने के लिए ही नगर निगम एडमिनिस्ट्रेशन ने संपत्ति कर नियमावली के अनुसार आवासीय भवनों का मासिक किराया दर बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। एक झटके में पांच से छह गुना मासिक किराएदारी दर बढ़ाए जाने का आरोप लग रहा है। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी पीके मिश्रा से बात की। उन्होंने प्रस्तावित टैक्स दर के कैलकुलेशन को समझाया।

सर्किल रेट और प्रचलित किराएदारी दर है मानक

मुख्य कर निर्धारण अधिकारी के मुताबिक संपत्ति कर नियमावली 4 ग में प्रावधान है। इसके मुताबिक नगर आयुक्त हर दो साल में मासिक किराएदारी की दरों का पुनरीक्षण करेंगे। पुनरीक्षण निर्धारण के भी दो मानक तय किए गए हैं। जिलाधिकारी द्वारा निर्धारित सर्किल रेट और प्रचलित किराएदारी को ध्यान में रखते हुए मासिक किराएदारी की दर तय होगी।

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कुछ ऐसे समझाया टैक्स का गणित

-एक भवन स्वामी 30 रुपया प्रति स्क्वॉयर फीट किराया ले रहा है। उसे 10 रुपए टैक्स देने में दिक्कत क्या है?

-सिविल लाइंस में टू-बीएचके फ्लैट 15000 रुपए में मिलेगा।

-इसमें आपको करीब 500 स्क्वायर फीट एरिया रहने के लिए मिलेगा।

-इस तरह 15,000 रुपये में एक महीने के लिए 500 स्क्वायर फीट एरिया मिला।

-अब कैल्कुलेट करें तो एक स्क्वॉयर वर्ग फीट का किराया करीब 30 रुपए हुआ।

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कैसे कह सकते हैं कि नगर निगम लूट रहा है

-इसी तरह कटरा, गोविंदपुर, सलोरी, राजरूपपुर समेत शहर के अन्य एरियाज में 10 बाई 12 का कमरा 4,000 रुपए से नीचे नहीं मिलेगा।

-150 स्क्वायर फीट स्पेस का किराया राजरूपपुर में 3500 रुपए है। यानी 20 रुपए प्रति स्क्वॉयर फीट किराया आम पब्लिक दे रही है।

- नगर निगम ने राजरूपपुर का रेट निर्धारित किया है, छह रुपए से सात रुपये।

- अब 20 रुपए प्रति स्क्वॉयर फीट के रेट से रेंट लेने वाले मकान मालिक को छह रुपये प्रति स्क्वॉयर फीट का टैक्स बहुत ज्यादा लग रहा है।

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2011 के बाद अब बढ़ रहा हाउस टैक्स

साल 2000 तक मासिक किराया दर एक रुपए था। 2011 में टैक्स दर बढ़ाई गई थी। 2011 के बाद अब आठ साल बाद टैक्स बढ़ रहा है। यह भार एक बारगी बढ़ा है तो बहुत ज्यादा लग रहा है। जबकि हकीकत में ऐसा कुछ नहीं है।

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किराएदार नहीं है तो 40 फीसदी रिबेट

-प्रस्तावित टैक्स दर का ज्यादा भार उसके ऊपर पड़ेगा, जिसने घर और दुकान किराए पर उठाई है।

-जो अपने मकान में खुद रह रहा है उसे नगर निगम 40 फीसदी की रिबेट दे रहा है।

-अगर किसी मकान पर छह रुपए प्रति स्क्वॉयर फीट रेट टैक्स लगाया गया। मान लीजिए उस घर में मकान मालिक खुद रह रहा है। ऐसे में उसका टैक्स छह रुपए का 40 फीसदी प्रतिशत यानी दो रुपए 40 पैसा कम हो जाएगा। यानी उसे केवल तीन रुपए 60 पैसा के हिसाब से देना होगा।

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टैक्स के दायरे में लाना मकसद

जिसके यहां किराएदार हैं उसे 40 फीसदी की रिबेट नहीं मिलेगी। बहुत से लोग हैं जिन्होंने एक घर में 25-25 कमरे बनाकर पूरी बिल्डिंग किराए पर उठा रखी है। किराए के तौर पर यह लोग महीने के दो से तीन लाख रुपए कमा रहे हैं। एक प्रतिशत टैक्स नहीं दे रहे हैं। ऐसे लोगों को टैक्स के दायरे में लाना भी हमारा मकसद है।

Posted By: Inextlive