- नेशनल वाटर वे के टर्मिनल को डेवलप करने का नहीं है कोई प्लान

- जबकि हल्दिया से इलाहाबाद तक जहाज चलाने के लिए टर्मिनल है जरूरी

- नौ हेक्टेयर एरियर में बनाया गया है टर्मिनल, केवल बाउंड्री बनवाने का हुआ है काम

- 35 लाख में खरीदी गई जमीन की कीमत आज है करोड़ों में

नेशनल वाटर वे के टर्मिनल को डेवलप करने का नहीं है कोई प्लान

- जबकि हल्दिया से इलाहाबाद तक जहाज चलाने के लिए टर्मिनल है जरूरी

- नौ हेक्टेयर एरियर में बनाया गया है टर्मिनल, केवल बाउंड्री बनवाने का हुआ है काम

- फ्भ् लाख में खरीदी गई जमीन की कीमत आज है करोड़ों में

balaji.kesharwani@inext.co.in

ALLAHABAD:

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ALLAHABAD:

इसे नेशनल वाटरवे-क् हल्दिया टू इलाहाबाद को वाराणसी तक ही सीमित करने की साजिश नहीं तो क्या कहेंगे, कि इलाहाबाद में टर्मिनल बनाने के लिए बजट जारी किया जाए और फिर काम न होने पर टर्मिनल के लिए भेजी गई मोटी रकम को वापस लौटा दिया जाए। जिस वाटरवे पर हल्दिया से इलाहाबाद तक जहाज चलाने और गंगा नदी को लोगों की जिंदगी से जोड़ने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया है। यह उसी वाटरवे को डेवलप करने वाले विभाग की हकीकत है।

ख्007 में मिले थे आठ करोड़

सेंट्रल गवर्नमेंट की ओर से इलाहाबाद के करछना से सटे लवाइन कला गांव में टर्मिनल को डेवलप करने के लिए ख्007 में आठ करोड़ रुपया इनलैंड वाटरवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को दिया गया। आईडब्ल्यूएआई ने आठ करोड़ को इलाहाबाद क्षेत्रीय कार्यालय के खाते में भेज दिया। लेकिन उसमें से केवल भ्ब् लाख खर्च हुआ और सात करोड़ रुपया बिना खर्च किए ही आईडब्ल्यूएआई को वापस चला गया। पिछले तीन-चार चार सालों से टर्मिनल को डेवलप करने की जिम्मेदारी निभाने वाले विभाग सीपीडब्ल्यूडी के पास ख्0 लाख रुपए पड़ा हुआ था। डेवलपमेंट का कोई काम कराए जाने का आदेश न मिलने के कारण ख्0 लाख सीपीडब्ल्यूडी के खाते में पड़ा रहा। करीब पंद्रह दिन पहले आईडब्ल्यूआई ने सीपीडब्ल्यूडी के पास बचे हुए इस ख्0 लाख को भी वापस ले लिया।

बनना था फ्लोटिंग जेट्टी

वाटरवे को चालू करने, जहाजों का आवागमन शुरू करने से पहले टर्मिनल होना जरूरी है। ख्00फ्-0ब् में लवाइन कला गांव में करीब फ्भ् लाख रुपए में नौ हेक्टेयर जमीन टर्मिनल के लिए खरीदा गया था। जिसे डेवलप करने के लिए ख्007 में आठ करोड़ रुपया गवर्नमेंट की ओर से दिया गया। इस आठ करोड़ रुपए से टर्मिनल पर फ्लोटिंग जेट्टी, फ्लोटिंग प्लांटून, गोडाउन, रूम बनना था। टर्मिनल के लेवलिंग का काम भी होना था। ताकि जहाज टर्मिनल तक आसानी से पहुंच सके। लेकिन काम कुछ नहीं हुआ। केवल टर्मिनल के जमीन की बाउंड्रीवाल कराई गई। जिस पर भ्ब् लाख रुपए खर्च हुए। अन्य कामों पर भी कुछ पैसे खर्च हुए। इसके बाद करीब ख्0 लाख रुपया सीपीडब्ल्यूडी के पास पड़ा था। जो अब वापस कर दिया गया है।

कोसी जहाज भी ले लिया

इलाहाबाद से चुनार तक ख्0ख् किलोमीटर वाटरवे एरिया का सर्वे करने, इस एरिया को मेंटेन करने और ड्रेनेज का काम कराने के लिए इलाहाबाद डिवीजन के पास सुविधा के नाम पर केवल एकमात्र कोसी जहाज था। विभाग की ओर से इस जहाज को भी छीन कर वाराणसी भेज दिया गया। अब सर्वे का काम नाव के जरिए हो रहा है।

अगर किसी काम के लिए कोई बजट जारी किया गया है, तो उस बजट को उस काम पर खर्च किया जाना चाहिए। अगर बजट मनी को खर्च करने में लापरवाही की गई है, या फिर धनराशि को खर्च किए बगैर ही केवल काम न कराए जाने के कारण वापस किया गया है, तो यह गलत है। इस पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी जी से बात की जाएगी।

केशव प्रसाद मौर्य

सांसद, फूलपुर

Posted By: Inextlive