RANCHI : कांके क्षेत्र में सप्लाई के पानी में कीड़ा निकलने की शिकायत के बाद इसकी वजह जानने के लिए आईनेक्स्ट रिपोर्टर ने गोंदा जलागार पहुंचकर पड़ताल की तो वहां सप्लाई का जो प्रॉसेस दिखा वो काफी चौंकाने वाला था। जिन 9 टंकियों में फिल्टरेशन का पानी स्टोर हो रहा है उनकी छह साल से सफाई ही नहीं हुई। जिसके कारण टंकियों में गंदगी व काई जम गई है। इन्हीं टंकियों का काला व दूषित पानी शहर में सप्लाई की जा रही है। जिस वजह से यहां से हो रही सप्लाई के पानी में कीड़ा निकलने की शिकायत आ रही है। इस प्लांट को चलाने के लिए प्रॉपर स्टाफ भी नहीं है। सप्लाई के लिए मशीन ऑपरेटर के नाम पर सिर्फ एक कर्मचारी की तैनाती है। और पानी की टेस्टिंग के लिए केमिकल डिपार्टमेंट के दो स्टाफ ड्यूटी पर थे। इन्हीं तीनों के कंधे पर आधी रांची को पानी पिलाने की जिम्मेदारी है।

सफाई में लापरवाही

गोंदा फिल्टर प्लांट में फिल्टरेशन के लिए नौ बड़ी-बड़ी टंकियां बनाई गई हैं। पानी जब डैम से आता है तो वह अलग-अलग प्रॉसेस के बाद इन्हीं टंकियों में आकर गिरता है जिसके बाद लोगों के घरों तक पानी की सप्लाई की जाती है। लेकिन इन टंकियों का हाल अगर आंखों से देख लिया जाये तो आप सप्लाई पानी पीना बंद कर देंगे। दरअसल इन टंकियों को साल में एक बार जरूर साफ करना चाहिए। लेकिन बीते छह साल में एक बार भी टंकियों की सफाई नहीं हुई है। हां, अब इनकी सफाई कराई जा रही है लेकिन पानी साफ करने के लिए भी जो मैटीरियल डाला जाता है वह भी बिल्कुल काला पड़ गया है। इसके अलावा फिल्टरेशन में लगी मशीनरी लगी हैं वो भी काफी पुरानी हो चुकी हैं। उनमें भी जंग लग भी चुकी है। सप्लाई पाइप में भी बार बार लिकेज होने की समस्या आती रहती है।

पानी पूरी तरह नहीं हो पाता साफ

पानी सप्लाई होने से पहले इसे चार प्रॉसेस में फिल्टर किया जाता है। सबसे पहले एरिएशन में डैम का पानी जमा होता है इसके अगले प्रॉसेस में कोगलेशन-फोगलेशनऔर फिर फिल्टरेशन की प्रक्रिया होती है। इसके बाद पानी अलग-अलग इलाकों में सप्लाई की जाती है। गोंदा जलागार में ये सारी प्रक्रियाएं होती तो हैं लेकिन इनसे पानी पूरी तरह साफ नहीं हो पाता है। पानी को फिल्टरेशन करने के लिए क्लोरीन गैस बहुत अहम होती है। लेकिन गोंदा डैम में चूना, ब्लीचिंग पाउडर से पानी को साफ करने का प्रयास किया जाता है।

लैब है लेकिन सभी साधन नहीं

पानी सप्लाई करने से पहले इसकी टेस्टिंग करनी जरूरी है। टेस्टिंग के लिए लैब तो है लेकिन यहां जांच के लिए प्रॉपर मशीन नहीं है। पानी की निरंतर जांच भी नहीं की जाती, कभी-कभी सिर्फ पीएच नाप लिया जाता है। वहीं केमिस्ट स्टाफ विकास ने बताया कि सुबह शाम-पानी की टेस्टिंग की जाती है। मशीनें तो पुरानी हो चुकी हैं। नया मशीन लगती तो काम और बेहतर ढंग से हो सकता है।

वर्जन

प्रश्न ही नहीं उठता है कि कीड़ा वाला पानी जायेगा। नगर निगम कुछ स्थानों पर नालों के ऊपर से ही कनेक्शन देता है जिस कारण कीड़े या गंदा पानी पाइप में आ जाता है। नगर निगम को इस पर ध्यान देना चाहिए। फिल्टर के लिए टंकियों की सफाई कराई जा रही है। एक-एक कर सभी टंकियों की सफाई कराई जायेगी।

तपेश्वर चौधरी, एग्जिक्यूटिव इंजीनियर

Posted By: Inextlive