फोर्स देखते ही भाग खड़े हुए सभी अवैध हॉस्टलर्स

हिन्दू हॉस्टल के 184 एवं मुस्लिम बोर्डिग के 112 कमरे खाली

ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्रावासों में आपरेशन क्लीन अभियान के दूसरे दिन रविवार को फोर्स पहुंचते ही हड़कम्प मच गया। नीली वर्दीधारी रैपिड एक्शन फोर्सके जवानों को दूर से ही आता देख हास्टल में रुके लड़के भाग खड़े हुये। जिला, पुलिस और एयू एडमिनिस्ट्रेशन के ऑफिसर्स ने हिन्दू हास्टल और मुस्लिम बोर्डिग हाऊस के एक-एक कमरे को चेक किया और अपना ताला जड़कर सील लगा दी।

बाहर निकलवाए सभी सामान

रविवार को हिन्दू हास्टल के 184 एवं मुस्लिम बोर्डिग हाऊस के 112 कमरे को खाली करवाया गया। इसमें हिन्दू हास्टल में लड़कों की संख्या 368 एवं मुस्लिम बोर्डिग हाऊस में 226 थी। सबसे पहले पुलिस बल हिन्दू हास्टल पहुंचा। अखाड़े में मेस चल रही थी। इसमें रखे सभी बर्तन बाहर निकलवा दिये गये। स्टोर रूम में रखा सामान बाहर निकलवा दिया गया।

सुपरिटेंडेंट ने जताई आपत्ति

कार्रवाई के दौरान बाहर खड़े छात्रों ने आपत्ति जताई की सामान बेतरतीब तरीके से फेंके जा रहे हैं। इस पर हिन्दू हास्टल के सुपरिटेंडेंट डॉ। सुधारक त्रिपाठी ने भी नाराजगी जताई। हॉस्टल के कई कमरों से शराब की बोतलें और कुछ आपत्तिजनक वस्तुयें भी मिलीं। इससे एडमिनिस्ट्रेशन के ऑफिसर्स भी अवाक रहे। दिलचस्प यह रहा कि एयू एडमिनिस्ट्रेशन ने कुछ कमरों में ताला लगवाने के बाद शक होने पर दोबारा चेक किया। चेकिंग के लिये तालों को खोलने के लिये चाभी ही नहीं मिल रही थी। इसपर छात्रों ने भी चुटकी ली कि जब अभी चाभी नहीं मिल रही तो आगे क्या होगा ?

हास्टल की सुरक्षा बनीं चुनौती

हिन्दू हास्टल के बाद पुलिस बल मुस्लिम बोर्डिग पहुंचा। यहां कई कमरों के बाहर लड़कों का सामान रखा हुआ था। नौ कमरे ऐसे थे। जिनमें छात्रों की बजाय वकीलों का कब्जा मिला। कुल 23 कमरे ऐसे थे। जिनमें बाहरी नौकरीपेशा लोग रह रहे थे। अब सबसे ज्यादा खतरा दोबारा हास्टल में अवैध लोगों के कब्जे को लेकर है। पूर्व में ऐसा हो भी चुका है। हिन्दू हास्टल समेत कई हास्टल ऐसे हैं। जहां कोई बाउंड्री वाल नहीं है और न ही कोई सुरक्षा के इंतजाम हैं।

सर, बतायें हम अब कहां जायें

हास्टल्स में अभियान से छात्रों में बेचैनी देखने को मिल रही है। उन्हें सबसे ज्यादा चिंता किराये का कमरा ढूंढने को लेकर है। छात्र हों या छात्रायें उन्हें भीषण गर्मी में कमरा ढूंढे नहीं मिल रहा। जिन्हें मिल रहा है। उन्हें कमरे के लिये चार से छह हजार रुपये मंथली पे करना पड़ रहा है। छात्र अभियान में शामिल टीचर्स से पूछ रहे हैं कि सर, बतायें अब हम कहां जायें? सिटी में कमरा न मिलने से सबसे ज्यादा परेशानी में दूर दराज के जिलों से आने वाले छात्र हैं। उनके पास एक ही आप्शन है कि वे अपने घर चले जायें।

सभी कमरों पर ताला लगाकर सील किया गया है। यदि इन्हें कोई भी तोड़ता है या कमरे पर दोबारा अवैध रूप से कब्जा करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। छात्रावासों में अवैध कब्जे को रोकने के लिये कर्मचारियों की ड्यूटी लगा दी गई है।

प्रो। राम सेवक दुबे, चीफ प्रॉक्टर

Posted By: Inextlive