दुनियाभर में शहरों पर आबादी का दबाव बढ़ रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। अनेक शहर बेतरतीब ढंग से विस्तार लेते जा रहे हैं। ऐसे में मोदी सरकार बुनियादी सुविधाओं तक लोगों की पहुंच बेहतर बनाने के लिए स्मार्ट सिटी बनाने और मौजूदा शहरों को नए सिरे से विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है जिसमें तकनीक का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाएगा। इन हाईटेक तकनीकों के इस्तेमाल से देश के शहरों का भविष्य भी पूरी तरह बदला हुआ नजर आएगा।


बिग रोल में दिखेंगी 70 टेक्नोलॉजी 'इन्फ्रास्ट्रक्चर इंटेलिजेंस डॉट कॉम' की रिपोर्ट में यह उम्मीद जताई गई है कि सिटी परफॉर्मेंस टूल के जरिए बदलाव की इस मुहिम में मुख्य तीन सेक्टर- ट्रांसपोर्ट, बिल्डिंग और एनर्जी समेत तकरीबन 70 टेक्नोलॉजी लीवर्स बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। इसमें कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में होने वाली बढ़ोतरी से लेकर एयर क्वालिटी व जॉब क्रिएशन जैसी अनेक चीजें शामिल हैं। हालांकि, दुनियाभर में स्मार्ट सिटी की राह में अनेक चुनौतियां हैं, लेकिन ऐसी बहुत सी तकनीके आ चुकी हैं, जिनके विकसित स्वरूप के माध्यम से भविष्य में शहरों का स्वरूप बिलकुल बदल जाएगा। क्या-क्या हैं स्मार्ट सिटी के मकसद?- शहरी जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना - स्वच्छ पर्यावरण उपलब्ध कराना - परिवहन व्यवस्था को बेहतरीन बनाना - शहरों की छवि खराब करती झुग्गी झोपडिय़ों को हटाना
- झुग्गी में रहने वाले लोगों को वैकल्पिक सुविधा मुहैया कराना- शहरी संसाधनों, सोर्सेज और बुनियादी संरचनाओं का सक्षम ढंग से विकास करना - 2022 तक सभी को आवास उपलब्ध कराना क्या-क्या है स्मार्ट सिटी मिशन में? - इस मिशन में 100 शहरों को शामिल किया जाएगा।- इसकी अवधि पांच साल (2015-16 से 2019-20) की होगी।


- पांच साल पूरे होने पर मंत्रालय द्वारा मूल्यांकन किया जाएगा और तब तय किया जाएगा कि इस मिशन को कहां-कहां चलाया जाए। - 100 स्मार्ट शहरों की कुल संख्या एक समान मापदंड के आधार पर राच्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच वितरित किया गया है।- इस वितरण फॉर्मूले का इस्तेमाल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अमृत के तहत धनराशि के आवंटन के लिए भी किया गया है।- स्मार्ट सिटी मिशन एक केंद्र प्रायोजित योजना केरूप में संचालित किया जाएगा।- पांच साल में 48,000 करोड़ रुपये, करीब प्रति वर्ष प्रति शहर 100 करोड़ रुपये औसत दिए जाएंगे।सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के शहर- शहरी विकास मंत्रालय ने यह तय कर दिया है कि देश के किस राच्य से कितने शहर स्मार्ट सिटीज प्रोजेक्ट के लिए चुने जाएंगे।- स्मार्ट शहरों की सूची में सबसे ज्यादा 13 स्मार्ट सिटीज उत्तर प्रदेश में होंगी।- तमिलनाडु के 12 और महाराष्ट्र के 10 शहरों को स्मार्ट सिटीज के तौर पर विकसित किया जाएगा।- मध्य प्रदेश के 7 और गुजरात और कर्नाटक के छह-छह शहर स्मार्ट सिटी बनेंगे। जो स्मार्ट सिटी नहीं उन्हें दिया जाएगा अमृत

कुल 100 स्मार्ट सिटीज के अलावा देशभर से अब तक 476 शहरों की पहचान अमृत योजना के लिए की गई है। ये सारे शहर कम से कम एक लाख की आबादी वाले होंगे। इन शहरों को बुनियादी सुविधाएं विकसित करने के लिए केंद्र सरकार की तरफ  से मदद मिलेगी। क्या हैं चुनौतियां? - भारत के तमाम शहर ऐसे हैं, जिनकी सही मैपिंग तक उपलब्ध नहीं है। - तमाम शहरों में अवैध कब्जों की भरमार है। सीवर लाइनें बेतरतीब बिछी हैं।- शहरों का बेतरतीब निर्माण हो चुका है। - ज्यादातर शहरों के लोग सड़क पर कूड़ा फेंकने के आदी हो चुके हैं। - तमाम शहरों के लोग कटिया डालकर बिजली चलाने में पारंगत हैं। - ज्यादातर शहरों के इलाके गलियों में बसे हैं, उन्हें कैसे स्मार्ट बनाया जाए। - अधिकांश शहरों में लोग ट्रैफिक लाइट का पालन नहीं करते। क्या स्मार्ट बनने के बाद करेंगे।- यूपी, एमपी, बिहार में बिजली की बहुत कमी है। शहर तो तब स्मार्ट होगा जब बिजली होगी।- शहर स्मार्ट बन गया तो हर इमारत, बिजली के खंभे और पाइप पर लगे सेंसर्स पर कौन निगरानी रखेगा।- हर व्यवस्था को बेहतरीन ढंग से चलाने के लिए यंत्रों को कौन नियंत्रित करेगा।

Posted By: Satyendra Kumar Singh