-आईसीएसई बोर्ड एग्जाम कैंसिल कराने की मांग को लेकर दायर हुई है याचिका -क्या कहते हैं इंजीनियरिंग कालेज के डायरेक्टर व एजूकेशनिस्ट prayagraj@inext.co.in PRAYAGRAJ: कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले देश में तेजी से बढ़ रहे हैं. पिछले कुछ दिनों से देश में प्रतिदिन करीब 10 हजार नए केस सामने आ रहे

-आईसीएसई बोर्ड एग्जाम कैंसिल कराने की मांग को लेकर दायर हुई है याचिका

-क्या कहते हैं इंजीनियरिंग कालेज के डायरेक्टर व एजूकेशनिस्ट

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PRAYAGRAJ: कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले देश में तेजी से बढ़ रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से देश में प्रतिदिन करीब 10 हजार नए केस सामने आ रहे है। ऐसे में शिक्षण संस्थाओं को खोलने और सीबीएसई की रुकी परीक्षाओं को कराने के लिए नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया। इसके बाद बड़ी संख्या में पैरेंट्स ने बोर्ड एग्जाम कैंसिल करने और एवरेज मार्किंग करके बच्चों को प्रमोट करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है।

एडमिशन में भी करना पड़ेगा बदलाव

बोर्ड परीक्षा की जरूरत और इसके प्रभाव को लेकर दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने देश के फेमस इंस्टीट्यूशंस के डायरेक्टर और शिक्षाविद से बात की। मोती लाल नेहरू नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के डायरेक्टर प्रो। राजीव त्रिपाठी ने कहा कि मौजूदा हालात में बेहद खराब स्थिति है। इसको कोई मना नहीं कर सकता है। बच्चों के पैरेंट्स की चिंता भी बिलकुल सही है। लेकिन जहां तक बोर्ड एग्जाम की बात है तो आने वाले समय में सिचुएशन क्या होगी, इसपर कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन बोर्ड एग्जाम के जरिए बच्चों को एसेसमेंट में आसानी होती है। एग्जाम न होने से बच्चों को खुद को जज करने में भी कठिनाई आएगी। इसका सीधा असर उनके कॅरियर पर पड़ेगा।

टारगेट ओरिएंटेड तैयारी पर पड़ेगा असर

एमएनएनआईटी के डायरेक्टर प्रो। राजीव त्रिपाठी कहते हैं कि बड़ी संख्या में बच्चे टारगेट बनाकर तैयारी करते हैं। वह बोर्ड एग्जाम्स की तैयारी को लास्ट मोमेंट के लिए रखते हैं। सबसे पहले उनका टारगेट अपने गोल की तैयारी को फाइनल करना होता है। इस कारण उनके स्कूल के सेमेस्टर या टर्म एग्जाम पर असर पड़ता है। उनका मानना होता है कि बोर्ड के पहले वह बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर लेंगे। ऐसे बच्चों पर सीधा असर पड़ेगा। क्योकि एवरेज मार्किंग पुराने रिकार्ड को देखकर करने पर उनकी बोर्ड की पोजिशन कम हो सकती है। जहां तक इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन की बात है तो प्रवेश के समय बोर्ड का प्रतिशत भी कुछ मायने रखता है। किसी भी बच्चे का 75 प्रतिशत या बोर्ड के टॉप 20 परसेंटाइल को देखा जाता है। ऐसे में अगर बोर्ड एग्जाम कैंसिल होता है तो प्रवेश प्रक्रिया में भी राहत देनी चाहिए।

कॅरियर के लिहाज से भी पड़ेगा असर

बच्चों का मूल्यांकन उनके कॅरियर के लिहाज से बेहद जरूरी होता है। भले ही मूल्यांकन का प्रारूप कोई भी हो। अलग-अलग इंस्टीट्यूशंस के शिक्षाविदें का मानना है कि 12वीं में बच्चों का मूल्यांकन उनके कॅरियर की दिशा तय करता है। बच्चों के साथ ही उनके पैरेंट्स भी बच्चों की कैपिबिलिटी को ध्यान में रखकर कॅरियर से जुड़े डिसीजन लेते हैं। ऐसे में अगर एवरेज तरीके से मूल्यांकन होगा तो उसका सीधा असर बच्चों के कॅरियर पर पड़ेगा। वहीं जहां तक पैरेंट्स के क‌र्न्सन की बात है तो वह भी पूरी तरह से जायज है।

मूल्यांकन बेहद जरूरी है। तरीका कोई भी हो, लेकिन सही प्रकार का मूल्यांकन कॅरियर पर असर डालता है। जहां तक परीक्षा कैंसिल करने की बात है तो बच्चों को एडमिशन में भी राहत देनी चाहिए।

-प्रो। राजीव त्रिपाठी

डायरेक्टर, एमएनएनआईटी

मौजूदा समय में विचित्र स्थिति बनी हुई है। ऐसे में पैरेंट्स का सोचना भी जायज है। लेकिन अगर मंत्रालय की ओर से कोई निर्णय लिया गया है तो वह भी बच्चों की भलाई के लिए ही होगा। वैसे सतत मूल्यांकन जरूरी है।

-प्रो। पी नागभूषण

डायरेक्टर, आईआईआईटी

Posted By: Inextlive