-जिले में कोरोना से सातवीं मौत, लालगोपालगंज के रहने वाले व्यक्ति ने तोड़ा दम

-नहीं थी कोई ट्रैवेल हिस्ट्री, चार दिन से वेंटीलेटर पर था भर्ती, देर रात हुई मौत

-संक्रमण के आठ नए मामले आए सामने, दो मामले इलाहाबाद विवि के

PRAYAGRAJ: जिले में कोरोना का खौफ बढ़ता जा रहा है। एक तरफ तो कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या में इजाफा हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ लगातार नए केसेज भी सामने आ रहे हैं। शुक्रवार को जिले में कोरोना से सातवीं मौत ने चिंता की लकीरें गहरी कर दी हैं। वहीं आठ नए मामले मिलने से प्रशासन के कान खड़े हो चुके हैं। शॉकिंग पहलू यह है कि इन आठ केसेज में दो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के हैं। सोर्सेज का दावा है कि यह दोनों भी उसी शख्स के कांटैक्ट में आने से संक्रमित हुए हैं, जिसने पूर्व एसएसपी को संक्रमित किया था।

सातवीं मौत ने बढ़ाई टेंशन

जिले में कोरोना से सातवीं मौत ने टेंशन बढ़ा दी है। लालगोपालगंज के रहने वाले 47 वर्षीय शख्स ने बीमारी की चपेट में आने के बाद दम तोड़ दिया। उसे सात दिन पहले एसआरएन में एडमिट कराया गया था। जांच में कोरोना की पुष्टि के बाद इलाज शुरू हुआ। लेकिन शुरुआत से ही मरीज की हालत सीरियस थी। चार दिन पहले उसे वेंटीलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया था, लेकिन जान नहीं बचाई जा सकी। परिजनों का कहना था कि मरीज कहीं बाहर नहीं गया था। अचानक तबियत खराब हुई और हालत बिगड़ती चली गई। फायदा नहीं हुआ तो परिजनों ने एसआरएन में भर्ती कराया। डॉक्टरों ने कोरोना की आशंका जाहिर करते हुए जांच के लिए सैंपल भेजा था। रिपोर्ट आने के बाद उसमें कोरोना की पुष्टि हो गई। परिजनों का भी सैंपल लिया गया। हालांकि परिजनों में किसी की रिपोर्ट में कोरोना के लक्षण नहीं हैं।

विवि के प्रोफेसर और पुस्तकालय अध्यक्ष भी पॉजिटिव

शुक्रवार को संक्रमित पाए जाने वाले आठ मामलों में इलाहाबाद विवि के दो लोग भी शामिल रहे। इनमें प्रोफेसर और पुस्तकालय अध्यक्ष का सैंपल कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। इसके बाद विवि कैंपस में सन्नाटा पसर गया। जो लोग भी इन दोनों के कांटैक्ट में आए थे वह सभी क्वारंटीन हो गए हैं। माना जा रहा है कि यह दोनों विवि के आला अधिकारियों सहित तमाम कर्मचारियों के भी संपर्क में थे।

दो डॉक्टर भी हुए संक्रमित

शुक्रवार को संक्रमित होने वालों में करेली और सोरांव के डॉक्टर भी शामिल हैं। इन दोनों की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। वहीं प्रीतम नगर के अबूबकरपुर के रहने वाले 37 साल के युवक की रिपोर्ट भी पाजिटिव आई है। वह नोएडा से लौटा था और मां और भाई के पॉजिटिव होने के बाद 14 जून को खुद को क्वारंटीन कर लिया था। अपने वाराणसी के साथी के संपर्क में आकर जीआरपी लाइन का रहने वाला युवक भी पॉजिटिव पाया गया है। इसी क्रम में टैगोर टाउन के रहने वाले 59 साल के बुजुर्ग की भी कोई ट्रैवेल हिस्ट्री नहीं मिली है। वह भी पाजिटिव पाए गए हैं। धानुपुर के रहने वाले 34 साल के युवक की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है।

पांच को किया गया डिस्चार्ज

आठ पाजिटिव आए तो पांच मरीजों को स्वस्थ होने के बाद घर भी भेजा गया है। इनमें से तीन कटरा और दो मऊआइमा के रहने वाले हैं। वर्तमान में कोटवा में 14 और एसआएन हॉस्पिटल में 19 मरीज एडमिट हैं। इस समय प्रयागराज में कुल 39 एक्टिव मरीज हैं। अब तक 130 मरीजों को डिस्चार्ज किया जा चुका है।

एसएसपी कार्यालय से विवि कैंपस तक फैलाया संक्रमण

बताया जाता है कि जेएनयू के पूर्व छात्र के संपर्क में आकर पूर्व एसएसपी संक्रमित हुए थे। कहानी यही खत्म नहीं हुई। विवि के प्रोफेसर और लाइब्रेरी अध्यक्ष भी इसी जेएनयू के इसी पूर्व छात्र के संपर्क में आकर कोरोना के शिकार हुए हैं। जेएनयू स्टूडेंट आठ जून को पूर्व एसएसपी के संपर्क में आया था। दस जून को लक्षण आने पर उसकी जांच कराई गई। 12 जून को वह पॉजिटिव पाया गया। इसके पहले जेएनयू स्टूडेंट छह जून को पुस्तकालय अध्यक्ष से लक्ष्मी टाकीज चौराहे पर मिले थे। जानकारी के मुताबिक इसके बाद जेएनयू का छात्र लगातार विवि आता जाता रहा। 12 जून को पुस्तकालय अध्यक्ष का जन्मदिन था। इस दौरान इविवि के कई प्रशासनिक अफसर, तमाम शिक्षक और कर्मचारी उन्हें शुभकामना देने पहुंचे थे।

सात जून को प्रोफेसर से हुआ था सामना

जेएनयू के छात्र ने विवि के प्रोफेसर से भी संपर्क बनाए रखा। वह सात जून को प्रोफेसर के घर गया था। उसे विवि में मौजूद कोरोना जांच मशीन आरटीपीसीआर पर लेख लिखना था। 12 जून को जब प्रोफेसर और पुस्तकालय अध्यक्ष को पता चला कि जेएनयू स्टूडेंट कोरोना संक्रमित हैं तो दोनों लोगों ने खुद को क्वारंटीन कर लिया। हालांकि इसके पहले यह दोनों लगातार विवि आते रहे और कुलपति और रजिस्ट्रार के संपर्क में भी रहे। अब इन दोनों के संपर्क में आने वालों ने खुद को क्वारंटीन किया है। दोनों की रिपोर्ट शुक्रवार को पॉजिटिव आ गई है। इसके पहले 16 जून को एसएसपी की रिपोर्ट पाजिटिव आई थी।

मरीज जब भर्ती हुआ था तभी सीरियस था। चार दिन पहले वेंटीलेटर पर शिफ्ट करना पड़ा। सीने में संक्रमण के साथ डायबिटीज भी थी। इसलिए हालत में सुधार नहीं हो सका। मरीज की कोई ट्रैवल हिस्ट्री सामने नहीं आई है। ऐसे में वह कैसे संक्रमित हुआ, यह पता नहीं चल सका।

-डॉ। सुजीत कुमार वर्मा, मेडिसिन विभाग, एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रयागराज

Posted By: Inextlive