-एनसीजेडसीसी में त्रिधारा महोत्सव में हुआ चरनदास चोर नाटक का मंचन

PRAYAGRAJ: चोर भी ईमानदार और सिद्धांतवादी हो सकता है? जीहां, शुक्रवार शाम एनसीजेडसीसी में आयोजित त्रिधारा महोत्सव के नाटक चरनदास चोर का नायक ऐसा ही कैरेक्टर था। शुक्रवार शाम हुए नाटक के मंचन में दिखाया गया कि भ्रष्ट और बेईमान व्यवस्था में ईमानदारी और सच के साथ जीवन बिताना कठिन है। नाटक का नायक चोर अपने पेशे में पर्याप्त दक्षता रखता है और अपने गुरु से चार प्रतिज्ञा करता है। पांचवीं प्रतिज्ञा उसे गुरु के कहने पर लेनी पड़ती है। इसमें वह कभी झूठ नहीं बोलने की कसम खाता है।

जीवन से महंगा पड़ता है इंकार

नाटक में दिखाया जाता है एक रात चोर महल से सोने की मुद्राएं चोरी करता है। ईमानदार होने से परिस्थतियां बदलती हैं और उसे राजा बनने का अवसर प्राप्त होता है। लेकिन प्रतिज्ञा लेने के चलते वह इस लाभ को लेने से मना कर देता है। बाद में राजकुमारी उस पर मोहित हो जाती है और शादी की इच्छा व्यक्त करती है। लेकिन उसने किसी राजकुमारी से विवाह नही करने की प्रतिज्ञा ली थी। इस इंकार का मूल्य उसे जीवन देकर चुकाना पड़ता है। चरनदास चोर की कारगुजारियों और ईमानदारी से कहानी की बनावट अच्छी रही और दर्शकों ने खूब ठहाके लगाए। लोककथा पर आधारित इस नाटक का पुनर्लेखन और संकलन विजयदान देथा ने किया था। नाट्य रुपांतरण हबीब तनवीर और निर्देशन संजू साहू का था। कलाकारों में लवकुश कुमार, अजय कुमार, मदन कुमार, अभिनव शुक्ला, सूर्याश पांडे, रितिक कुमार आदि ने बेहतरीन अभिनय किया।

Posted By: Inextlive