-वक्त के साथ साइबर क्राइम का सिस्टम अपडेट करते गए शातिर

-साइबर सिक्योरिटी को तोड़ने का तरीका खोज बार कोड को बनाया हथियार

mukesh.chaturvedi@inext.co.in

PRAYAGRAJ: साइबर क्रिमिनल सिक्योरिटी सिस्टम के लिए चैलेंज बन चुके हैं। सुरक्षा के जितने नए तरीके खेजे जा रहे हैं, शातिर उसे तोड़ने के उतने ही नए हथकंडे तलाशते जा रहे हैं। बेहद सिक्योर कहे जाने वाले 'बार कोड' का भी तोड़ शातिरों ने तलाश लिया है। अब वह झांसा देकर ओटीपी या बैंक डिटेल पूछकर ही पैसे नहीं निकालते। खातों से पैसे चुराने के लिए शातिर कंपनियों के प्रोडक्ट पर लगाए गए बार कोड को भी अपना हथियार बना चुके हैं। बढ़ती शिकायतों को देखते हुए एक्टिव साइबर सेल ने लोगों को आगाह करने में जुट गया है। गाढ़ी कमाई को सेफ रखने के लिए सावधानी ही एक मात्र विकल्प माना जा रहा है।

इस तरह बदला फ्रॉड का ट्रेंड

-साइबर क्राइम की दुनिया से जुड़े शातिरों ने सबसे पहले बैंक के डिटेल लेकर खाते से पैसा निकालना शुरू किया।

-शातिर बैंक अकाउंट का नंबर उपभोक्ता को झांसा देकर पूछ लेते हैं फिर ऑनलाइन पैसे खाते में ट्रांसफर कर लेते हैं।

-लोग इसे लेकर जागरूक हुए तो शातिरों ने एटीएम को अपना हथियार बना लिया।

-अब वह बैंक कर्मचारी बनकर कस्टमर को फोनकर एटीएम का कोड या पिन नंबर पूछ लेते हैं।

-कस्टमर द्वारा यह जानकारी शेयर करते ही वह पांच से दस मिनट में खाते से सारा पैसा खींच लेते हैं।

-लगातार कई लोगों का पैसा इस तरह गायब हुआ तो कस्टमर खुद अलर्ट हुए और ऐसी जानकारी देने से कतराने लगे।

-फिर लोगों की मदद करने के नाम पर उनका एटीएम लेकर उसका क्लोन तैयार कर लोगों का पैसा खाते से निकालने का सिलसिला शुरू किए।

-इस तरह की कई घटनाओं का खुलासा हुआ तो फिर लोग एटीएम बूथ के अंदर किसी मदद लेने से कतराने लगे।

-दांव फेल होने लगे तो शातिरों ने ऑनलाइन शॉपिंग को अपराध का जरिया बना लिया।

-ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियों के कस्टमर को सर्च कर उनकी डिटेल लेकर खाते में पैसे ट्रांसफर करवाना शुरू कर दिया।

-सैकड़ों लोग ठगे गए तो लोग थोड़ा जागरूक हुए, फिर भी यह ट्रेंड जारी है।

-इसके बाद शातिरों ने लोगों को फोनकर महंगे इनाम निकले का झांसा देकर टैक्स के नाम पर पैसे मंगाना शुरू कर दिए।

-लोग अवेयर हुए तो यह तरीका भी थोड़ा डाउन पड़ा गया, इसके बाद शातिर बार कोड अपना हथियार बना लिए।

क्या है बार कोड

किसी भी प्रोडक्ट पर ब्लैक एंड व्हाइट स्क्वॉयर्स बने होते हैं। इसी को बार कोड कहा जाता है। जानकार कहते हैं कि बारकोड लेजर स्कैनर से स्कैन कर प्रोडक्ट की सारी डिटेल व रेड तक जाना जा सकता है। बार कोड की गिनती एक से नौ तक ही होती है। बार कोड पट्टी के किसी एक सिरे पर कुछ नंबर लिखे होते हैं। शॉपिंग बाद पेटीएम या अन्य ऑनलाइन ढंग से पेमेंट करने वाले लोग यदि अपने खरीदे गए प्रोडक्ट पर बने बार कोड के किसी हिस्से में लिखे नंबर को किसी शातिर से शेयर कर देते हैं। वह शातिर उसके जरिए प्रोडक्ट को सर्च कर ऑनलाइन बैंक अकाउंट तक पहुंचने का रास्ता खोज लेते हैं।

इस तरह बरतें सावधानी

-साइबर सेल प्रभारी जेपी सिंह ने बताया कि बेहतर होगा किसी को अपने बैंक या खीदे गए प्रोडक्ट पर बने बार कोड की डिटेल न दें

-आने वाली कॉल पर यदि कोई बैंक सम्बंधित डिटेल मांगे तो कतई न दें, आप सीधे बैंक में जाकर संपर्क करें

-अपने मोबाइल का वह नंबर सब को कतई न दें जिसका लिंक आप अपने बैंक अकाउंट से करवा रखे हैं

-ऑनलाइन शॉपिंग में ध्यान रखें कि सामान आप के हाथ में आ जाए तो ही पैसे का पेमेंट वह भी सावधानी से करें

-इनाम निकलने की सूचना देकर कोई पैसे अपने खाते में मंगवाई तो भी बिल्कुल रुपए ट्रांसफर न करें

ऑनलाइन या मोबाइल फोन पर अपने बैंक अकाउंट, आधार या पैन कार्ड जैसी चीजों की डिटेल बिल्कुल किसी को न दें और न ही शेयर करें। साइबर शातिरों से बचाव का तरीका सिर्फ सतर्क रहना ही है। थोड़ी सी चूक या लापरवाही बरतते ही साइबर क्रिमिनल उसका लाभ उठा लेते हैं।

-आशुतोष मिश्र, एसपी क्राइम

Posted By: Inextlive