- इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के संस्कृत विभाग की ओर से हुआ व्याख्यान

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PRAYAGRAJ: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के संस्कृत विभाग एवं पं। गंगानाथ पीठ के संयुक्त तत्वाधान में ग्रन्थागार के आडिटोरियम में मंगलवार को व्याख्यान का आयोजन हुआ। लखनऊ यूनिवर्सिटी के संस्कृत विभाग के एचओडी प्रो। अयोध्या दास श्रीवैष्णव ने भारतीय संस्कृति के संवर्धन में संस्कृत वाड्मय की उपादेयता विषय पर विशिष्ट व्याख्यान हुआ। इस अवसर पर उन्होंने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि विश्व की संस्कृतियों में भारतीय संस्कृति का गौरवशाली स्थान है। भारतीय संस्कृति का मूल आधार संस्कृत वाड्मय में अन्तर्निहित मानव मूल्य एवं उदान्त का चिंतन है। संस्कृत के बगैर हम भारतीय संस्कृति की कल्पना ही नहीं कर सकते है।

आज भी प्रासंगिक है भारतीय मानवता के मूल्य

व्याख्यान के दौरान उन्होंने कहा कि भारतीय मानव मूल्य जितने प्राचीन काल में प्रासंगिक थे, उतने ही आज भी प्रासंगिक है। वर्तमान में संस्कृत वांड्मय में वर्णित मानव मूल्यों को आधुनिक दृष्टिकोण से व्याख्यायित करने की आवश्यकता है। इस मौके पर अध्यक्षीय सम्बोधन में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के संस्कृत विभाग के एचओडी प्रो। उमाकांत यादव ने कहा कि भारतीय संस्कृति एवं संस्कृत वांड्.मय में अन्योन्याश्रय संबंध है। इस मौके पर कार्यक्रम का संचालन डॉ। अरविंद सिंह, स्वागत डॉ। प्रियंका सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ। ब्रम्हदेव द्विवेदी ने किया। व्याख्यान के मौके पर प्रो। केके श्रीवास्तव, प्रो। राम सेवक दुबे, प्रो। सुचित्रा मित्रा, डॉ। एसपी सिंह, डॉ। अभिनीत श्रीवास्तव समेत बड़ी संख्या मे रिसर्च स्कॉलर व एमए के स्टूडेंट्स मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive