-हिंदुस्तानी एकेडेमी में मैथिलीशरण गुप्त की रचनाओं में राष्ट्रीय चेतना विषय पर वक्ताओं ने रखे विचार

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PRAYAGRAJ: हिंदुस्तानी एकेडेमी एवं प्रकाश चन्द्र जुगमंदर दास अग्रवाल लोकहित ट्रस्ट की ओर से गांधी सभागार में मैथिलीशरण गुप्त की रचना में राष्ट्रीय चेतना विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयेाजन हुआ। संगोष्ठी का उद्घाटन मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। इस मौके पर चीफ गेस्ट डॉ। कविता अग्रवाल एवं वक्ता प्रो। अनिल राय, प्रो। रामकिशोर वर्मा, प्रो। त्रिभुवन नाथ शुक्ल का माल्यार्पण, प्रतीक चिन्ह व शाल देकर एकेडेमी के अध्यक्ष डॉ। उदय प्रताप सिंह ने स्वागत किया।

इस मौके पर उन्होंने कहा कि हमारे महात्मा, हमारे कवि, हमारे साहित्यकार जातियों में बांटते जा रहे हैं। हमारे जीवन में राजनीति का प्रभाव पड़ रहा है और राजनीति हमें तोड़ रही है। सभी वर्ग जातियों में सिमट रहे हैं। पहले आलोचक कहते थे कि खड़ी बोली में कविता लिखी नहीं जा सकती है।

मैथिलीशरण ने तोड़ा मिथक

संगोष्ठी के दौरान डॉ। उदय प्रताप सिंह मिथक तोड़ते हुए एक नए तेवर और कलेवर के साथ साकेत लिखकर खड़ी बोली को समृद्ध किया। कार्यक्रम में चीफ गेस्ट डॉ। कविता अग्रवाल ने कहा कि मैथिलिशरण गुप्त के समय में गुप्त जी ने जो कविताएं लिखीं व आज भी प्रासंगिक हैं। जिस राष्ट्रीय चेतना की तब आवश्यकता थी, वह आज भी है। प्रकाश चन्द्र जुगमंदर दास अग्रवाल लोकहित ट्रस्ट का उद्देश्य हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार करना है। यह सभी के सहयोग से संभव है। इस मौके पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रो। अनिल राय ने कहा कि राष्ट्रीय चेतना मैथिलीशरण गुप्त को संस्कार रूप में मिली थी, उनका समय बहुत सारी हलचलों का था। इस दौरान अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे। इस मौके पर डा। सरोज सिंह, डॉ। रणंजय सिंह, विवेक सत्यांशु, डॉ। फाजिल अहसन हाशमी समेत अन्य साहित्यकार मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive