-शान-ओ-शौकत के साथ निकला ईद-मिलाद-उन-नबी का जुलूस

-गुरु ग्रंथ साहिब शोभा यात्रा के लिए रोक दिया अपना जुलूस

PRAYAGRAJ: हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई को आपस में लड़ाने वालों को अयोध्या पर आए फैसले के बाद सबक मिल चुका है कि इनकी दाल गलने वाली नहीं है। हर धर्म व संप्रदाय के लोग अब आपसी भाईचारगी को ही पसंद कर रहे हैं। रविवार को सिटी में इसकी मिसाल देखने को मिली। पुराने शहर में मुस्लिम समाज के हजारों लोगों और वारसी समिति के पदाधिकारियों व सदस्यों ने भाईचारगी व एकजुटता का अनूठी मिसाल पेश की। यहां सिख समुदाय की शोभायात्रा को रास्ता देने के लिए ईद-मिलाद-उन-नबी के जुलूस को रोक दिया। इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने गुरुनानक देव की जयंती पर निकाली गई शोभायात्रा को नमन भी किया।

दिया बड़ा संदेश

रविवार को गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में सिख समुदाय की ओर से भव्य शोभायात्रा निकाली गई। वहीं इस्लाम धर्म के पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन पर वारसी समिति की ओर से जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाला गया। एक साथ दो धर्म व सम्प्रदाय का महत्वपूर्ण जुलूस एक ही रास्ते पर होने के कारण सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। डीएम-एसएसपी के साथ ही सभी वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद रहे। दोपहर करीब डेढ़ बजे सेंवई मंडी के मुहाने पर गुरु ग्रंथ साहिब की शोभायात्रा और हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन पर निकाला जा रहा जुलूस आमने-सामने आ गया। ऐसे मौके पर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी कुछ कर पाते, उसके पहले ही मुस्लिम समाज के अमन पसंद लोगों ने खुद आगे आते हुए जुलूस-ए-मोहम्मदी रोक दिया और शोभायात्रा को आगे जाने के लिए सभी ने मिल कर जगह दी। इस सम्मान, प्यार और आदर के लिए गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष सरदार जोगिंदर सिंह समेत सभी पदाधिकारियों ने वारसी समिति के अध्यख मौलाना मोहम्मद आरिफ वारसी व अन्य पदाधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

नबी की आमद मरहबा

नबी की आमद मरहबा, हुजूर की आमद मरहबा, सरकार की आमद मरहबा, आका की आमद मरहबा, दिलदार की आमद मरहबा। पैगंबर-ए-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिवस पर कुछ इसी तरह के नारों और परचम व शान-ओ-शौकत के साथ रविवार को सिटी में जुलूसे मोहम्मदी निकाला गया। जहां से भी जुलूस निकला वहां पर या रसूल या रसूल के नारे बुलंद होने लगे। आलम ये रहा कि जुलूस को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़े।

Posted By: Inextlive